गलत पोस्चर में कुर्सी पर बैठने या झुक कर गाड़ी चलाने के कारण पीठ में दर्द की समस्या हो जाती है। ये दर्द रीढ़ की हड्डी को सीधा ज्यादा देर तक न रखने के कारण उत्पन्न हो जाती है।
इस दर्द को दूर करने के लिए योगासन सबसे कारगर उपाय है। आइये जाने इस लेख के माध्यम से रीढ़ की हड्डी के दर्द को दूर करने में मददगार योगासन को करने की विधि।
रीढ़ की हड्डी के लिए योगासन
1. भुजंगासन
भुजंगासन करने की विधि:
● पेट के बल योग मैट पर लेट जाइए।
● दोनों पैरों को सीधा रखते हुए पैरों के बीच की दूरी को कम रखिये।
● कंधे की सीध में दोनों हाथ को रखते हुए हथेलियों को मैट पर टिकाये रखिये।
● अब साँस भरते हुए मुँह बंद करके नाभि तक के भाग को ऊपर साँप के फन की भान्ति ऊपर को उठाइये।
● फिर धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए पहली मुद्रा में नीचे आयें। इसी चक्र को दो से तीन बार पूरा करिए।
➡ प्रारंभिक योगासन – अगर आपने योग पहले नहीं किया है, तो यह लेख खास आपके लिए है।
2. बालासन
बालासन करने की विधि:
● दोनों घुटनों को मोड़ कर एड़ी पर शरीर का भार डालते हुए बैठ जाइए।
● साँस भरते हुए दोनों हथेलियों से एड़ी को पकड़िये एवं माथे से जमींन को छूने का प्रयत्न करिए।
● फिर धीरे -धीरे साँस छोड़ते हुए वापस पहली मुद्रा यानि एड़ी पर बैठिये।
● इस प्रक्रिया को शुरुआत में दो से तीन बार करिए।
➡ अब घर बैठे योगासन सीखिए – इन चित्रों और वीडियो की मदद से
3. ताड़ासन
ताड़ासन करने की विधि
● सीधे खड़े होकर गर्दन एवं कमर को सीधा रखिये।
● दोनों हाथ को सिर के ऊपर सीधा रखिये।
● पंजे के बल साँस भरते हुए शरीर को ऊपर की और खींचिए। इस मुद्रा में बने रहकर दो -तीन बार साँस छोडिये एवं भरिये।
● फिर धीरे -धीरे वापस पहली मुद्रा में आना है। यानि सीधे दोनों हाथ बगल में सीधा कर खड़े हो जाइए।
4. मकरासन
मकरासन करने की विधि
● दोनों कोहनियों को मिलाकर नीचे रखते हुए पेट के बल पैर सीधा पंजे पर टिकाते हुए लेट जाइए।
● साँस अन्दर भरते हुए कोहनियों को आपस में मिलाते हुए हथेलियों को ठोड़ी के नीचे रखिये।
● फिर साँस बाहर छोड़ते हुए धीरे -धीरे पहली मुद्रा में वापस आना है। यानि कोहनियों को पेट के नीचे रखते हुए हथेलियों को सीधा फर्श पर रखकर पेट के बल लेट जाइए।
● इस चक्र को दो -तीन बार पूरा करिए।
ये चारों प्रकार के योगासन को नियमित रूप से खाली पेट करने से रीढ़ की हड्डी के दर्द में निश्चित रूप से आराम प्राप्त होता है। प्रत्येक आसन में साँसों को अन्दर और बाहर छोड़ने की प्रक्रिया का ध्यान रखना आवश्यक है।
इसके साथ ही शुरुआत में दो से तीन बार करना चाहिए। फिर एक हफ्ते के अंतराल में योगासन का समय बढ़ाना चाहिए।
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