आज कल के व्यस्त जीवन में अपनी सेहत का ख्याल रखना बेहद कठिन हो जाता है। ऐसे में योग ने लोगों के जीवन और सेहत को बेहतर बनाने में एक बेहद अहम भूमिका निभाई है। योग कैसे शुरू करें और कौन से आसन ऐसा करने में सहायक होंगे ये इस लेख से जानिए। इन आसनों को करने से आपको ये अंदाज़ा हो जायेगा की योग कैसे किया जाता है। तो चलिए शुरू करते हैं :
सीधे खड़े हो कर कन्धों को ढीला छोड़ दें। गहरी सांस ले कर दोनों हाथों को उठा आसमान को छूने की कोशिश करें। ये आसन आपकी साँसों को शांत कर हाथ , पैर ,घुटनों और जाँघों को ताकत प्रदान करता है।
2. अधो मुख स्वनासन (डाउनवर्ड डॉग)
यह एक बेहद आसान आसन है लेकिन इसमें बेहतर प्रभाव के लिए आपको कुछ देर तक ठहरना होता है। अपने हाथों और पैरों पर लेट शरीर के बीच के हिस्से को उठा लीजिये। अपने हथेलियों और पैरों के तलवों को अच्छे से धरती को दबाने दीजिये। पैरों को एक दूसरे से थोड़ी दूर पर रखिये और घुटनों को हल्का सा झुका लीजिये। ये मुद्रा आपके दिमाग को शांत कर आपमें एक नयी उर्जा का संचार करती है।
3. वीरभद्र आसन (वारियर पोज़ )
एक पैर को आगे को बढ़ा लें और पीछे के पैर को थोड़ा सा उलटी दिशा में रखें। अपने हाथों को अपने कमर पर रखें और आगे वाले पैर को झुका लें। फिर हथेली को नीचे की तरफ कर एक हथेली को आगे और एक को पीछे कर लें। थोड़ी देर रुक दिशा बदल लें। ये आसन आपके पूरे शरीर को ताकत प्रदान करता है और साथ ही साथ ये संयम ,एकाग्रता और संतुलन भी बढ़ाने में मदद करता है।
दोनों हाथ शरीर से सटा कर खड़े हों। फिर एक पैर को उठा दूसरे पैर पर टिका लें | एक बार संतुलन बन जाए तो हाथों को नमस्कार मुद्रा में जोड़ लें। सांस छोड़ दोनों हाथों को अलग कर ऊपर तक ले जाएँ। 30 सेकंड तक खड़े रहे और फिर दूसरे पैर के साथ दोहराएं। ये आसन आपके पैरों को संतुलन प्रदान करता है और उनसे जुड़ी सभी बीमारियों से आराम दिलाता है।
पीठ के बल धरती पर लेट जायें और दोनों पैर को ठीक से धरती पर टिका लें। इसके बाद अपनी पीठ और कमर के साथ पैरों को इतना उठाएं की सिर्फ तलवे धरती से टिके हों। इस अवस्था में 1 मिनट तक लेटे रहे। इस आसन से खून का संचार बेहतर होता है और पीठ ,रीड की हड्डी और कोल्हू की मांसपेशियां भी मज़बूत होती है।
दोनों हाथ पैर फैला कर खड़े हों और उसके बाद एक तरफ से झुक कर दूसरी तरफ का पैर छूने की कोशिश करें। ध्यान रहे दूसरा हाथ आसमान की तरफ हो। 5 साँसों तक रुकने के बाद दुबारा खड़े हो इसकी दिशा बदल लें। ऐसा करने से आपके जीवन से तनाव कम होता है और नपुंसकता, गर्दन और पीठ के दर्द इत्यादि में भी आराम मिलता है।
ज़मीन पर पैर फैला के बैठ जाएँ। सीधे पैर को उलटे पैर की जांघ को पार करके रखें। उलटे पैर के घुटने को मोड़ लें और सीधे पैर के घुटने को आसमान की तरफ कर के रखें। उलटे हाथ की कोहनी को सीधे पैर के बगल में और सीधे पैर की कोहनी को अपने पीछे जमीन पर रखें। 1 मिनट तक अपने शरीर को जितना मोड़ सकते हैं मोडें और उसके बाद दिशा बदल किसी कार्य को फिर करें। इस आसन से आपके शरीर के पूर्ण स्वास्थ्य को लाभ पहुँचता है खास तौर से रीढ़ की हड्डी और पीठ।
पेट के बल धरती पर लेटें और हाथों को शरीर के साथ रखें। फिर पूरा दबाव लगते हुए अपने शरीर के उपरी हिस्से को उठाएं और हाथों पर सारी ताकत लगायें। थोड़ी देर रुक वापस से इस आसन को करें। ये आसन आपके तनाव को कम करता है और कंधे, पेट और छाती की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।
9. एक पद राजकपोतासन (पिजन)
पहले पुश अप वाली अवस्था में आयें। अपने सीधे पैर को मोड़ लें और सीधे हाथ को उसके पास टिका लें। फिर उलटे पैर को पीछे ले जाएँ और थोड़ा सा उठाएं। उलटे हाथ से उस पैर के तलवे को पकड़ने की कोशिश करें। 1 मिनट रुक इसे दिशा बदल दोहराएं। ये आसन मल मूत्र से सम्बंधित तकलीफों को दूर करने में सहायता करता है और अंदरूनी अंगों के स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचाता है।
डाउनवर्ड डॉग मुद्रा में आयें और चलके अपने घुटनों को पैरों तक लेकर जाएँ। कोहनी को झुका लें और हाथों के सहारे से दोनों एड़ियों को ऊपर उठाएं। पैरों को वापस रखें और हाथों को पैरों के साथ मिलाएं। 5 से 10 साँसों तक इसी मुद्रा में रहे। ये आसन आपका संतुलन और एकाग्रता बढ़ाता है और साथ ही पेट की पाचन शक्ति को भी बेहतर बनाता है।
अपनी एड़ियों को मिला कर बैठें,अपने शरीर के उपरी हिस्से को झुका लें धरती से छुएं। अपनी छाती को जितना अपने पैरों से मिला सकें मिलाएं और दोनों हाथों को आगे तक बढाएं। इस अवस्था में कुछ क्षणों तक रहे। ये आसन आपके शरीर को आराम देता है और पीठ और रीढ़ की हड्डी की तकलीफ कम करता है।
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