यह अमृतिय त्रिफला चूर्ण आंवला, हरड़ ओर बहेड़ा को मिलाकर बनाया जाता है । इसके नाम से ही कोई भी आसानी से समझ जाता है के यह किसी तीन चीजो का मिश्रण होगा, लेकिन क्या आप सभी इसके अदभुत फ़ायदों से अवगत हैं?
त्रिफला चूर्ण के घटक:
1) आंवला
2) बिभीतक (बहेड़ा)
3) हरीतकी (हरड़)
अब जब कि हम त्रिफला चूर्ण के तीनों घटकों से वाकिफ हो चुके हैं, चलिये आगे बदठे हैं और जानते हैं त्रिफला चूर्ण के फायदे।
त्रिफला के फायदे
1) मुख सम्बंधित सभी बीमारियों को दूर भगाये:
मुँह में छाले हो या दांत कमजोर हो रहे हों, या फिर दुर्गंध की समस्या हो त्रिफ़ला चूर्ण के पानी से सब ठीक हो जाता है । रात को तांबे या मिट्टी के पात्र में 2 चम्मच त्रिफ़ला को पानी मे भीगो कर रखे सुबह उठ कर इसे एक कपड़े से छान लें और इस पानी को मुह में भरकर थोड़ी देर बाद उस पानी को बाहर फेंक दे।
2) मोटापा कम करने के लिए:
मोटापा कम करने के लिए लोग पता नही कितने ही जतन करते है लेकिन विफल हो जाते । अगर त्रिफ़ला चूर्ण का काढ़ा बनाकर उसमें शहद मिलाकर उसका सेवन किया जाए तो ये शरीर की अतिरिक्त चरबी को खत्म करता है।
3) त्रिफ़ला आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद है:
कहा जाता है कि अगर मोतियाबिंद शुरुवाती हो तो वह भी त्रिफ़ला से ठीक हो सकता है। एक चम्मच त्रिफ़ला को 1 ग्लास पानी मे तकरीबन 10 से 15 मिनीट के लिए उबाल कर काढ़ा तैयार कर लें और फिर से अच्छे से छानकर ठण्डा होने पर इसका प्रयोग आँख धोने के लिए करें।
4) त्वचा पर चकते या निशान दूर कर सकता है त्रिफला।
त्वचा पर चकते , सनबर्न होना या अन्य किसी प्रकार के निशान इस त्रिफ़ला चूर्ण के सेवन से ठीक हो जाते है । यह चेहरे के पिगमेंटेशन को हटाता है और मृत कोशिकाओं को हटाकर त्वचा में एक नई चमक लेकर आता है । इसका उपयोग शहद के साथ करने से त्वचा के सारे रोग दूर हो जाते है।
5) त्रिफला कब्ज दूर करने के लिए भी कारगर है।
यह उपाय तो लगभग सभी जानते है कि त्रिफ़ला चूर्ण के नियमित सेवन से कब्ज की बीमारी दूर हो जाती है और पाचन क्रिया सुचारू रूप से कार्य करने लग जाती है ।रात्रि के समय इसे गुनगुने दूध से लेना अति लाभदायक होता है।
5) त्रिफला एंटीसेप्टिक का काम भी करता है।
शरीर मे अगर कही घांव हो गया हो तो उसे त्रिफ़ला के काढ़े से धोने से आपको किसी भी एंटीसेप्टिक की जरूरत नही पड़ेगी।
5) यूरिन इन्फेक्सन में फायदेमंद
यूरिन इंफेक्शन के लिए भी त्रिफ़ला का सेवन किया जाता है। त्रिफ़ला के चूर्ण को शुद्ध देसी घी के साथ मिलाकर लिया जाता है।
➡ त्रिफला का चूर्ण दूध के साथ पीने से पेट की जलन शांत होती है।
त्रिफला के सेवन को लेकर सावधानी:
1) जो महिलायें गर्भवती हो या स्तनपान कराती हो वो त्रिफला का प्रयोग न करे।
2) 6 साल से छोटे बच्चों को इसका सेवन न करने दे ।
3) इसे अधिक मात्रा में लेने से दस्त की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसलिए अगर इसका उपयोग कर रहे है तो इसे कम मात्रा में और चिकित्सक परामर्श के अनुसार ले।
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