च्यवनप्राश के फायदे बताने से पहले चलिये आपको इसके इतिहास से थोड़ा अवगत करवा देते हैं। आयुर्वेद के अनुसार च्यवनप्राश पोषण से भरपूर एक ऐसा रसायन है, जो हमारे स्वास्थ्य की अधूरी आवश्यकताओं को पूरी करता है। यह एक ऐसी चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि है जो शरीर में नई ऊर्जा का संचार करती है और तीनों दोषों यथा वात, पित्त और कफ़ को संतुलित करती है।
कहा जाता है कि अश्विनी कुमारों ने च्यवन ऋषि के लिए च्यवनप्राश की खोज की थी। जब ऋषि च्यवन बहुत वृद्ध हो गए, तब उन्होंने अश्विनी कुमारों से किसी ऐसी औषधि बनाने का अनुरोध किया जिससे वह अपना खोया यौवन पुनः पा सकें। इसके उपरांत अश्विनी कुमारों ने ऋषि च्यवन के लिए चवनप्राश बनाया, जिसके सेवन से उन्होंने अपना खोया यौवन पुनः प्राप्त कर लिया। इस प्रकार च्यवनप्राश का नामकरण ऋषि च्यवन के नाम के आधार पर किया गया।
यह आयुर्वेदिक औषधि 40-50 घटकों से बनी होती है। इसमें औषधीय गुणों से भरपूर करीब 36 प्रकार की जड़ी बूटियाँ होती हैं। शहद, केशर, नागकेशर, आंवला,पिप्पली, छोटी इलायची, दालचीनी, तेजपत्ता, पाटला, कमलगट्टा, अरणी, गंभारी, विल्व, श्योनक की छाल, नागमोथा, सफ़ेद मूसली जैसी अनेक औषधियों को मिलाकर च्यनवनप्राश बनाया जाता है।
डॉक्टर शालिनी बंसल B. A. M. S., M. D. (सिद्धांत आयुर्वेद) के अनुसार च्यवनप्राश के निम्न फ़ायदे हैं।
ऋषि चरक के अनुसार च्यवनप्राश अपने आप में एक संपूर्ण हेल्थ टॉनिक है जो स्वास्थ्य को बनाए रखने एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने के लिए अत्यंत उपयोगी है। यह रोगों का मुकाबला करने एवं उनकी रोकथाम में सहायक होता है। च्यवनप्राश मुख्यतः आंवले से बनता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। वैसे तो चयवानप्रश के फायदे ढेरों हैं, पर सदियों से इसकी लोकप्रियता के पीछे यह वाला लाभ ही कारण है।
आयुर्वेद के अनुसार चवनप्राश एक कायाकल्प करने की अति कारगर औषधि है। च्यवनप्राश हमारी खान-पान से जुड़ी कुआदतों, जंक फूड एवं एवं प्रदूषण के कारण होने वाले विकारों को दूर कर पोषण की जरूरत को पूरा करता है।
च्यवनप्राश श्वसन प्रणाली को संक्रमित होने से बचाता है। सर्दी, जुकाम, खासी की रोकथाम करता है। फेफड़ों को ताकत देकर उसके कार्य करने की क्षमता में बढ़ोतरी करता है। यह सांस के रोग और दमे में भी फायदेमंद सिद्ध होता है। बार-बार होने वाले जुकाम एलर्जी में भी इसका सेवन राहत पहुंचाता है।
विटामिन सी और अनेक बेशकीमती पोषक तत्वों से युक्त च्यवनप्राश का नियमित सेवन त्वचा को साफ़ एवं कांति युक्त बनाता है।
च्यवनप्राश का नियमित सेवन पाचन शक्ति में वृद्धि करता है। यह पाचन तंत्र के सभी अंगों को बल देता है। कब्ज़ में राहत दिलाता है। आंतों को ताकत देता है।
आधुनिक खान-पान के चलते लोग कोलस्ट्रोल युक्त भोजन का सेवन अधिक करने लगे हैं। इसलिए युवावस्था में ही अनेक लोग ह्रदय रोग से पीड़ित हो जाते हैं। यह ह्रदय के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होता है। यह ऐसी जड़ी बूटियों से बनाया जाता है जो ब्लड सर्क्युलेशन को सुचारू रूप से बनाए रखता है और शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मददगार साबित होता है। चवनप्राश हृदय की मांसपेशियों को बल देता है और इसकी धड़कनों को भी नियंत्रित करता है।
च्यवनप्राश का सेवन मानसिक क्षमता में इज़ाफ़ा करता है। अनिद्रा, पागलपन, अल्ज़ाइमर्स एवं अन्य मानसिक रोगों के उपचार में लाभकारी है। यह मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करता है एवं स्मरण शक्ति में वृद्धि करता है। यह दिमाग की कार्यशीलता को बढ़ाता है
चवनप्राश में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो हमारी त्वचा को फ्री रेडिकल्स से होने वाली हानियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। यह ह्रदय को बल प्रदान करते हैं और मस्तिष्क को ऑक्सीजन की आपूर्ति करते हैं। इसमें विद्यमान आंवले में विटामिन सी होता है। इसका नियमित सेवन चेहरे पर झुर्रियों और बारीक रेखाओं की शिकायत को नियंत्रित करता है। इसलिए सौंदर्य एवं यौवन बनाए रखने में च्यवनप्राश बहुत कारगर सिद्ध होता है।
च्यवनप्राश का सेवन शरीर के किसी भी हिस्से में सूजन को दूर करने में सहायता करता है। उसमें मौजूद तिल का तेल, लौंग और अगुरु में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसमें विद्यमान फ्लेवोनॉयड्सके कारण भी यह एंटी इन्फ्लेमेटरी होता है। इनके साथ आंवला, अश्वगंधा और नागकेसर भी एंटी इन्फ्लेमेटरी होते हैं
चवनप्राश में मौजूद पाटला, तुलसी और हल्दी रक्त में मौजूद विषैले तत्वों को निकाल कर रक्त को शुद्ध करते हैं।
च्यवनप्राश का नियमित सेवन कैल्शियम के बेहतर अवशोषण एवं प्रोटीन के सिंथेसिस में प्रमुख भूमिका निभाता है, जिससे हड्डियां और दांत शक्तिशाली बनते हैं। हड्डी को मजबूत बनाने के लिए चवनप्राश को दूध के साथ खाना चाहिए। च्यवनप्राश दूध में मौजूद कैल्शियम को शरीर में अवशोषित करने में मददगार साबित होता है।
शोध से पाया गया है इसका नियमित सेवन कोलेस्ट्रोल, ट्राइग्लिसराइड्स एवं एल डी एल में कमी लाता है और अच्छे कोलेस्ट्रोल में वृद्धि करने में सहायक होता है।
च्यवनप्राश शरीर के तीनों दोषों को संतुलित करते हुए शरीर एवं मन को स्वस्थ एवं निरोग रखने में मददगार सिद्ध होता है।
च्यवनप्राश एक रसायन है जो कोशिकाओं और ऊतकों को रीजेनरेट करता है और क्रॉनिक रोगों को ठीक करने में अहम भूमिका निभाता है। क्रॉनिक रोग की विशेष औषधि के साथ च्यवनप्राश का नियमित सेवन उस रोग विशेष से शीघ्र मुक्ति दिलाता है।
च्यवनप्राश का नियमित सेवन गर्भवती महिलाओं के हेमोग्लोबिन के स्तर में वृद्धि करता है और उनके पोषक तत्वों की आवश्यकता पूरी करता है।
च्यवनप्राश में मौज़ूद सैपोनिन्स पित्त के लवणों को बांध कर पेट के कैंसर के जोखिम में कमी लाता है।
च्यवनप्राश के फायदे तो और भी ढेर सारे हैं। पर जो फायदा नंबर 1 है, केवल उसी कारण ही हम तो कहते हैं कि हर किसी को नित्य सुबह इस आयुर्वेदिक औषधि का सेवन करना चाहिए। (जानिए च्यवनप्राश सेवन करने का सही तरीका)।
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