ऐसी मान्यता है कि शनिवार के दिन शनिदेव को तेल चढ़ाने का बहुत महत्व होता है। इस दिन तेल चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। इस संबंध में दो कथाएं प्रचलित हैं।
शनि देव की पहली कथा
कहा जाता है कि एक बार शनि देव को अपने बल और पराक्रम पर अहंकार हो गया था। उस समय हनुमान जी भी अपने पराक्रम के लिए प्रसिद्ध थे। भगवान शनि अपने अहंकार में हनुमान जी के साथ युद्ध करने निकल पड़े।
➡ हनुमान को संकटमोचन क्यों कहा जाता है?
जब शनिदेव हनुमान जी के साथ युद्ध करने पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि वे एक शांत स्थान पर बैठकर भगवान श्री राम की भक्ति में डूबे हुए हैं। शनि देव ने उन्हें युद्ध के लिए ललकारा, लेकिन हनुमान जी उनके साथ युद्ध नहीं करना चाहते थे।
हनुमान जी ने युद्ध करने से मना भी किया, लेकिन शनिदेव उन्हें बार-बार युद्ध के लिए उकसाने लगे। हनुमान जी के सब्र का बांध टूट गया और दोनों के बीच एक भारी युद्ध हुआ।
अंत में शनिदेव हार गए और उनके शरीर पर बहुत गहरे घाव हो गए। उपचार के लिए हनुमान जी ने शनिदेव के घावों पर तेल लगाया जिससे उनके घाव ठीक हो गए। तभी से शनिदेव के भक्त उनकी उस पीड़ा को कम करने के लिए उन्हें तेल चढ़ाते हैं।
दूसरी कथा
इसी प्रसंग में एक और कथा मशहूर है। अहंकारी रावण ने सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था जिसमें शनि देव भी शामिल थे। शनिदेव को रावण ने अपने बंदी गृह में उल्टा लटका रखा था।
जब हनुमानजी भगवान् राम के दूत बन लंका पहुंचे तो रावण ने उनकी पूँछ में आग लगवा दी थी। क्रोध में हनुमानजी ने सारी लंका को जला डाला। लंका जली तो परिणामस्वरूप सारे ग्रह आज़ाद हो गएँ। शनिजी भी आज़ाद तो हो गए पर उल्टा लटका होने के कारण उनके शरीर में भयंकर दर्द होने लगा।
➡ सम्पूर्ण रामायण की कहानी: केवल 1000 शब्दों में
तब हनुमानजी ने उनकी सहायता हेतु उन्हें शरीर पर मालिश के लिए तेल दिया जिससे उनकी सारी पीड़ा दूर हो गयी। तब शनिजी ने कहा कि जो भी भक्त उन्हें तेल चढ़ाएगा उसकी वो सारी पीड़ा दूर करेंगे।
तो शनि देव को तेल चढ़ाने के पीछे ये कारण हैं। यदि आप भी किसी समस्या से परेशान हैं तो शनिवार के दिन शनिजी को तेल अर्पित करें और अपनी समस्या से मुक्ति पायें।
प्रातिक्रिया दे