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केवल टूथ ब्रश करना काफी नहीं, माउथ वाश इस्तेमाल करना भी जरूरी है

स्वस्थ दाँत हमारे शरीर के स्वास्थ्य के लिए ही अहम नहीं हैं, बल्कि ये हमारे व्यक्तित्व को भी प्रभावित करते हैं। हम सभी को नर्सरी कक्षा में दाँतों की सफाई की विधि सिखाई जाती है – “Up and down, and then Round”। क्योंकि ठीक तरीके से दाँतों को साफ़ न करने की वजह से मसूड़ों में सूजन एवं सड़न की समस्या पैदा हो जाती है।

जिसको दूर करने के लिए केवल टूथ ब्रश करना काफी नहीं होता है। इसके लिए माउथवाश का प्रयोग आवश्यक हो जाता है। तो आइये जाने इस लेख के माध्यम से दाँतों की सफाई के लिए माउथवाश की भूमिका।

दरअसल टूथ ब्रश से केवल दाँतों की सतह को साफ़ किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि टूथ ब्रश से दाँतों की सतह पर जमे चिपचिपे पदार्थ (Plaque) की सफाई कुछ हद तक ही हो पाती है।

लगभग 50% मुँह के अन्दर की सतह की सफाई नहीं पाती है। जैसे मसूड़े, जीभ, गालों एवं जबड़ों के ऊपर – नीचे की खाली स्थान आदि इसके अतिरिक्त टूथ ब्रश से दांतों के बीच में जमी कैविटी भी पूरी तरह से साफ नहीं हो पाती है।

जीभ एवं दाँतों के बीच जमी क्स्विटी को पूरी तरह से साफ़ करने के लिये ब्रश करने के बाद फ्लॉस की प्रक्रिया को अपनाना आवश्यक है। इससे दाँतों एवं जीभ पर जमे प्लेक साफ़ हो जाते हैं। इसके बाद माउथवाश करने से मसूड़ों एवं आसपास के खाली स्थान पर जमी गंदगी पूरी तरह साफ़ हो जाती है।

दाँतों की सड़न एवं मुँह से दुर्गन्ध आने का कारण प्लेक की पूर्णतयः सफाई न हो पाना है। जिसके कारण मसूड़ों में मवाद आना, दाँतों में कीड़े लगना एवं मुँह से दुर्गन्ध आना जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है। डेंटिस्ट के अनुसार सुबह उठने के बाद एवं रात में सोने से पहले दो बार ब्रश करना स्वस्थ दाँतों के लिए आवश्यक है। इसके साथ हीं दांतों की सफाई के दौरान फ्लॉस करना एवं माउथवाश भी आवश्यक है।

यदि आपके दाँत में पायरिया या कीड़े लगे हों तभी दिन भर में माउथवाश कई बार नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त घरेलु माउथवाश या नमक के पानी से कुल्ला करने से भी दाँत स्वस्थ रहते हैं। इससे मसूड़ों की सूजन दूर होती है एवं प्लेक की सफाई हो जाती है। जिससे मुँह से दुर्गध आने की समस्या दूर हो जाती है।

माउथवाश के लाभ :

नीम की पत्तियों को पानी में उबाल कर ठंडा होने पर कुल्ला करने पर दाँतों एवं मुँह के अन्दर की बैक्टीरिया समाप्त हो जाती है। इससे रोज़ रात में सोने से पहले कुल्ला करने से साँसों की दुर्गध भी दूर हो जाती है।

● टी ट्री आयल एंटीसेप्टिक का काम करता है। इससे कुल्ला करने से मसूड़ों स्वस्थ रहते हैं। एक कप पानी में टी ट्री आयल की दो बूँद डालकर कुल्ला करने से मुँह के खाली जगहों में उपस्थित प्लेक की सफाई हो जाती है।

फ्लोराइड युक्त माउथवाश मुँह के अन्दर प्लेक को जमने से रोकता है।

● गुनगुने पानी में नमक मिलाकर कुल्ला करने से मसूड़े में संक्रमण से सुरक्षा होती है। इससे मसूड़ों में सूजन एवं साँसों की बदबू से निजात मिलती है।

● एक कप पानी में दो बूँद पिपरमिंट आयल मिलाकर कुल्ला करने से साँस की बदबू दूर होती है।

● दाँतों के दर्द एवं बैक्टीरियल संक्रमण को दूर करने में लौंग के तेल का उपयोग सदियों से चला आ रहा है। अतः गुनगुने पानी में चार बूँद लौंग के तेल को मिलाकर कुल्ला करने से दाँतों की सड़न , मसूड़ों की सूजन एवं साँस की बदबू की समस्या दूर होती है।

➡ एक्टिवेटिड चारकोल से बनाइये अपने दांतों को सफ़ेद

Ritu Soni

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