आहार

महिलाओं को बेकिंग करने में बेपनाह खुशी क्यों मिलती है?

आजकल देश भर  में कोविड 19  के प्रकोप के मद्देनजर संपूर्ण लॉक डाउन चल रहा है। मैं  आज सुबह अपने बगीचे में तनिक सुस्त, गुमसुम सी बैठी थी। लॉक डाउन का प्रभाव धीमे-धीमे अपना रंग दिखा रहा था।

दिन रात घर में बंधे-बंधे  पूरे अस्तित्व पर मानो  बोरियत और शिथिलता छाई हुई थी। तभी एक सोंधी-सोंधी सी खुशबू का झोंका मेरी नाक से टकराया और मेरे तन मन को  प्रफुल्लित कर उठा था।

मेरे घर से लगते हुए घर में श्रीमती वर्मा शायद केक बना रही थीं। उस मीठी सी खुशनुमा महक से बहुत हद तक मेरे संपूर्ण अस्तित्व पर शिद्दत से छाई मायूसी के बादल पल भर में ही छंट गए और मैं भी अपनी रसोई की ओर फुर्ती  से बढ़ चली – कुछ स्वादिष्ट सा  बेक करने। मैं सोच रही थी बेकिंग करने का ख्याल मुझे पहले क्यों नहीं आया? 

बेकिंग  करने के विचार मात्र ने मुझे आनंदित कर दिया और मैं सोच में पड़ गई आखिरकार बेकिंग और  खुशनुमा मूड के बीच क्या  संबंध  है? मैं  बेकिंग के विभिन्न स्टेजेज़  का विश्लेषण करने लगी। तो आइए आज हम आपको बताते हैं बेकिंग करते वक्त हमें, यानी महिलाओं को, इतनी खुशी क्यों मिलती है?

जूली ओहाना अमेरिका की एक सामाजिक कार्यकर्ता न्यूयॉर्क सिटी में अपने मरीजों को ठीक करने के लिए कलिनरी  थेरेपी काम में लेती है। कलिनरी थेरेपी का अर्थ है मानसिक समस्याओं के उपचार के लिए भोज्य पदार्थ बनाने की प्रक्रिया  का उपयोग। उनके अनुसार  बेकिंग एक थेरेपी है, क्योंकि यह बेकिंग करने वाले को अच्छा महसूस कराती है और यह उसके लिए मददगार और फायदेमंद सिद्ध होती है।

जूली ओहाना लोगों को अनेक प्रकार की समस्याओं से उबरने में मदद करती हैं।

सचेत रहना (mindfulness) आवश्यक है:

बेकिंग करते वक्त जब आप अपनी रसोई में रहती हैं, उस वक्त बेकिंग के लिए माइंडफ़ुलनेस के एक निश्चित स्तर की आवश्यकता होती है। माइंडफ़ुलनेस का अर्थ है उस क्षण  में अर्थात बेकिंग करते वक्त इस प्रक्रिया के प्रति  सचेत रहना, चैतन्य रहना।  बेकिंग करते समय आप एक रेसिपी के विभिन्न स्टेजेज़  फॉलो करती है। कोई चीज़  जैसे बिस्किट, कुकीज़  या ब्रेड बनाते वक्त आप उसके लिए आटा या मैदा गूँधती  हैं या बेलती हैं। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान आप उस वक्त पूरी तरह से चैतन्य  रहती हैं और दुनिया जहान के ख्यालों को परे हटाते हुए आपका ध्यान मात्र आटा गूंधने  या बेलने  की प्रक्रिया में लगा होता है।  इस प्रकार आप रिलैक्स होती हैं, तनाव से मुक्त होती हैं और जीवन से संतुष्टि पाती हैं।

बेकिंग: प्यार भरी मेहनत: 

अहाना यह भी कहती है कि बेकिंग की प्रक्रिया  प्यार के मीठे एहसास से भरी होती है। यह न केवल आपको अच्छा महसूस कराती है वरन  यह आपको कुछ ठोस वास्तविक, कुछ खाने की स्वादिष्ट सी चीज, जिसे आप स्पर्श कर सकती हैं, बना पाने की संतुष्टि देती है।  वह बेकिंग को लेबर ऑफ लव यानि  कि प्यार भरी मेहनत कहती है।

बेकिंग भावनाओं से जुड़ी होती है:

भोजन को लेकर हमारे अनुभव बहुधा  पारिवारिक स्मृतियों से जुड़े हुए होते हैं। हमें अपनी नानी दादी द्वारा बनाए गए भोजन की याद रहती है। हम अपने बच्चों को परिवार के पसंदीदा भोजन की महत्वपूर्ण रेसिपी सिखाते हैं।

अहाना कहती हैं कि बेकिंग  करने वाला इंसान दूसरों को स्वादिष्ट बेक्ड  चीजें देते वक्त प्रसन्नता का अनुभव करता है। परिणाम स्वरूप देने वाला साथ ही लेने वाला भी खुशी महसूस करता है।

लुइस जॉनसन के अनुसार बेकिंग की क्रिया हमारे सभी पांचों सेंसस को उपयोग में लेती है।

आटा गूंधना एक लयबद्ध एवं दोहराई   जाने वाली गतिविधि है जो कैथार्टिक भी होती है अर्थात यह प्रक्रिया आपकी स्ट्रांग भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम होती है। यह लोगों को उद्देश्यपूर्ण एवं प्रोडक्टिव होने का भान कराती है। यह शारीरिक कार्य रसोई में की जाने वाली साधना सदृश होता है। बेकिंग करते वक़्त हमारा शरीर व्यस्त हो जाता है और हमारे मन को रिलैक्स करने एवं रीफ़ोकस  करने का अवसर मिलता है।

आटे को खमीरीकरण से फ़ूलते  हुए देखना अपने आप में आनंददायी  होता है।

बहुधा ब्रेड बेक  करते वक्त जब ब्रेड की क्रस्ट सिकुड़ती  और ठंडी होती है, बेकर उसमें से अनेक तरह की आवाजें निकलती हुई सुनते हैं।  बेकर्स की जुबान में आप बहुधा लोफ़ बेक  होते वक्त उसे  गुनगुनाते हुए, चटकते हुए, फटते हुए और सीटी बजाते सुन सकते हैं।

जब भी हम भावनात्मक एवं आर्थिक कमी का सामना करते हैं, हमारा मस्तिष्क हमारे मन प्राण को प्रफ़्फुलित करने  एवं पैसा बनाने के तरीके ढूंढता है। ब्रेड बेक करना इन इच्छाओं को पूरी करता है। अव्यवस्था एवं गड़बड़ी के माहौल में लोग उस चीज के पीछे भागते हैं जिसे वे  नियंत्रित कर सकते हैं।  किसी रेसिपी को  फॉलो करना भी पूर्व घोषित परिणाम देता है अर्थात उस पर हमारा नियंत्रण होता है। आज के चुनौती भरे माहौल में किसी चीज को बनाना एवं अपनी मेहनत का फल प्रत्यक्ष देखना  अपने आप में पुरस्कार सदृश  होता है।

तो चलिए आपने देख ही लिया कि बेकिंग की प्रक्रिया कितनी आनंददायी  प्रक्रिया है। तो देर किस बात की? जुट जाइए बेकिंग में और अपने प्रिय जनों को अपने हाथ द्वारा बनाई गई स्वादिष्ट बिस्किट, कुकीज़  या केक खिलाकर बेपनाह खुशी का एहसास करिए।

Renu Gupta

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