हमारे घर की रौनक, हमारी बेटियों को एक संपूर्ण जीवन के सभी रंगों से सजे हुए एक इंद्रधनुषी जीवन की सौगात देने के लिए हमें उनके बचपन से ही जागरूक होना होगा। आइये, जानते हैं उनके पालन-पोषण में हमें किन किन बातों का ध्यान रखना है जिससे भविष्य में वे न केवल शारीरिक रूप से मजबूत बनें, वरन मानसिक रूप से भी सशक्त बनकर जिंदगी के सफर में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल सके और हर मायने में स्वस्थ और जीवन मूल्यों से भरपूर एक संतुलित समाज के निर्माण में अपना सक्रिय योगदान दे सकें।
स्वास्थ्यप्रद पौष्टिक एवं संतुलित आहार:
बेटी को नियमित रूप से स्वास्थ्यप्रद, पौष्टिक एवं संतुलित आहार दें।
पर्याप्त नींद:
उनके लिए 8 से 10 घंटों की नींद आवश्यक है।
भरपूर पानी:
उनमें भरपूर पानी पीने की आदत डालें।
मनपसंद स्पोर्ट्स:
अपनी बेटी को कोई खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। क्रिकेट, बास्केटबॉल, फुटबॉल, खो खो, कबड्डी, टेनिस, बैडमिंटन जैसे अनेक खेल हैं जिसमें से वह कोई एक गेम चुनकर नियमित रूप से खेल सकती है।
फिजिकल एक्टिविटी:
उसके लिए उसकी रूचि के अनुरूप कोई फिजिकल एक्टिविटी चुनें । साइकिल चलाना, स्विमिंग, नृत्य, जौगिंग कुछ ऐसी एक्टिविटीज हैं जिन्हें अपनाकर आप की बच्ची अपना फिजिकल स्टेमिना बढ़ा सकती है।
व्यायाम:
बेटी को नियमित रूप से व्यायाम करने के लिए प्रोत्साहित करें। योगा, एरोबिक्स, जिम्नास्टिक्स, जुंबा अनेक ऐसे विकल्प है जो उसे शारीरिक रूप से मजबूत बनाएंगे।
विभिन्न मार्शल आर्ट्स:
अपनी बेटी को विभिन्न सेल्फ़ डिफेंस मार्शल आर्ट्स जैसे जूडो, किकबॉक्सिंग, कराटे और ताइक्वांडो भी सिखा सकती हैं। पारंपरिक मुक्केबाजी और कुश्ती भी शारीरिक क्षमता बढ़ाने के अन्य विकल्प हैं।
अपनी बेटी को रियलिस्टिकली सोचना सिखाएं:
आपकी बेटी सेल्फ डाउटिंग (स्वयं के क्षमताओं पर संदेह), अत्यधिक सेल्फ ब्लेमिंग (स्वयं पर अत्यधिक दोषारोपण करना), नेगेटिव थिंकिंग (नकारात्मक सोच) जैसी प्रवृतियां व्यक्त करें तो उससे कहें कि हमारे विचार हमेशा सही नहीं होते और कभी-कभी हमें उन्हें गलत साबित करना चाहिए।
यदि आपकी बेटी कहती है कि स्कूल में ओरल टेस्ट (मौखिक परीक्षा) से पहले उसे हमेशा लगता है कि उसे कुछ याद नहीं है और वह टीचर को जुबानी कुछ नहीं सुना पाएगी इस स्थिति में उसे अपने आपको बार-बार यह ऑटो सजेशन देना चाहिए कि मैं ओरल टेस्ट के लिए बहुत अच्छी तरह से तैयार हूं। मैं टीचर के सारे प्रश्नों के जवाब बहुत अच्छी तरह से दूंगी।
प्रॉब्लम सॉल्विंग में अपनी बिटिया को शामिल अवश्य करें:
आपकी बिटिया ने आज आपके निर्देशानुसार अपनी स्टडी टेबल साफ नहीं की और उसे अस्त-व्यस्त छोड़कर वह स्कूल चली गई। इस बात के लिए उसे बुरी तरह से डांट कर लज्जित महसूस करवाने के बजाय उसे सफाई का महत्व समझाते हुए शांति से पूछें कि “अपनी जिम्मेदारी का एहसास करने में तुम्हें सबसे अधिक क्या चीज सहायता करेगी,” और फिर उसकी सम्मति से एक प्लान बनाएं जिससे वह टेबल साफ करने का कार्य रोजाना पूरी जिम्मेदारी से स्वयं पूरा करें।
बिटिया में प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल डेवलप करें:
आपकी बिटिया किसी समस्या से जूझ रही है तो आप उसे हल ना करें वरन उसे स्वयं इस समस्या को सॉल्व करने के लिए प्रोत्साहित करें। मान लीजिए आपकी बेटी की क्लास के अनेक बच्चे उस पर हमेशा रौब जमाते हैं। तो बेटी के साथ मिलकर इस समस्या के पांच समाधान ढूंढें। फिर समस्या के समाधान के लिए इन पांच में से कोई एक कारगर हल को चुनने में उसकी मदद करें।
बेटी को अपने संघर्ष को अपनी ताकत बनाने का परामर्श दें:
किसी परीक्षा में बेटी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा हो और वह बेहद दुखी हो तब ऐसी स्थिति में उसे पॉजिटिव ऐक्शन जैसे अगली बार की परीक्षा की कड़ी मेहनत से बेहतर तैयारी करने की सलाह दें। उसे समझाएं रिजेक्शन और असफलता जीवन का अहम हिस्सा हैं।
बेटी को अपनी गलतियों से सबक लेना सिखाएं:
उसे अपनी गलती के परिणाम का सामना बहादुरी से करना सिखाएं। निश्चित करें कि वह अपनी गलती पर शर्मिंदा या लज्जित महसूस करने के बजाय उसे सुधारने का प्रयत्न करे और उस गलती को अगली बार नहीं दोहराने के लिए सायास भरसक कोशिश करे।
अपनी बेटी को बताएं क्या सही है और क्या गलत:
आपका बेटा अपनी बहन के नए स्केट्स उसे बिना बताए स्कूल ले गया जिस वजह से आपकी बेटी ने क्रोध में उसे दो-तीन थप्पड़ लगा दिए। इस स्थिति में बेटी को समझाएं कि वह जो गुस्सा फील कर रही है वह अपनी जगह पर ठीक है परंतु अपने क्रोध की फीलिंग के वशीभूत होकर जो उसने भाई को चाँटे लगाए वह गलत है, सही नहीं।
अपनी बिटिया को डर का सामना करना सिखाए:
यदि आपकी बेटी किसी चीज से डरती है और उसे अवॉइड करती है तो वह उससे होने वाली परेशानी से मुक्त होने की हिम्मत कभी नहीं जुटा पाएगी। यदि आपकी किशोर होती बेटी को लड़कों के साथ बातचीत करने में झिझक फील होती है तो उसे लड़कों से सहज भाव से बातें करने के लिए शाबाशी दें। उस की प्रशंसा करें, यहां तक कि आप उसे कोई पुरस्कार भी दे सकती हैं। आपका यह कदम उसे निश्चय ही अपने भय से सफलतापूर्वक मुकाबला करना सिखाएगा।
बेटी का चरित्र निर्माण करें:
बेटी में चरित्र निर्माण हेतु आवश्यक स्वस्थ नैतिक मूल्यों का बीजारोपण करें। याद रखें, बच्चे कहने सुनने और उपदेश से अधिक माता-पिता को स्वयं उन मूल्यों को चरितार्थ करते हुए उन्हें देखकर उन्हें स्वयं आत्मसात करते हैं। यदि आप अपनी बेटी में ईमानदारी के मूल्य देखना चाहती हैं तो आपके हर कार्यकलाप में इसकी छाप होनी चाहिए।
बेटी को व्यक्तिगत तौर पर उत्तरदायित्व लेना सिखाएं:
व्यक्तिगत तौर पर किसी गलती की जिम्मेदारी लेना मानसिक ताकत का द्योतक है। आपकी बिटिया कोई गलती करे या मिस बिहेव करे तो उसे उसकी जिम्मेदारी किसी और पर कतई न डालने दें। यदि वह अपनी सोच, फीलिंग्स अथवा आचरण के लिए दूसरों को जिम्मेदार ठहराती है उसी क्षण उसे इस गलती का एहसास दिलाते हुए उसे करेक्ट करें।
अपनी बिट्टो रानी को इमोशनल मैनेजमेंट सिखाएं:
जब भी आपकी बेटी किसी बात पर खिन्न हो उसे शांत न करें और जब भी आपकी बेटी उदास हो उसे खुश करने का प्रयास न करें। इसके स्थान पर उसे अपनी परेशान मनः स्थिति से बाहर निकलने का कारगर विकल्प पहचानने में उसकी मदद करें। हो सकता है आपकी एक बेटी को अपनी उदासी से बाहर निकलने में कहानी की किताबें पढ़ना मदद करता हो वहीं दूसरी बेटी को अपने अपसेट मूड ठीक करने के लिए नृत्य करना सही लगता हो।
अपनी बेटी को गलतियां करने दें:
यद्यपि अपनी बेटी को गलती करते हुए देखना खासा कठिन होता है फिर भी उसे गलतियां करने दें क्योंकि इन गलतियों के परिणाम उसके लिए महानतम सबक साबित होंगे। गलतियां करके ही आपकी बेटी भविष्य में उन्हें करने से बचेगी।
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