कि हमें सनस्क्रीन लगाना चाहिए, इस बात को अब हम सब मानते हैं। लेकिन कशमकश तब होती है, जब सनस्क्रीन चुनने का समय आता है। खासकर सनस्क्रीन के एस.पी.एफ. को लेकर।
एस.पी.एफ. को लेकर लोग तरह-तरह की सलाह देते हैं। केवल आम लोग ही नहीं, स्किन के डॉक्टर, ब्युटिशीयन और अन्य त्वचा विशेषज्ञ की राय में भी आपस में अत्यधिक फर्क होता है। आपका डॉक्टर बोलता है, “कम से कम 15 एस.पी.एफ. वाली क्रीम लगाइए”। वहीं आपकी ब्यूटी पार्लर वाली आपकी सहेली आपको कम से कम 30 एस.पी.एफ. वाली सनस्क्रीन लोशन लगाने की सलाह देती है।
आखिर किसकी बात मानी जाये?
बेहतर यह रहेगा कि आप खुद समझ लें कि यह एस.पी.एफ. आखिर क्या बला है! एक बार आप इस मुएं एस.पी.एफ. का समूचा ताम-झाम समझ जाएँगे, तो आप ख़ुद-ब-ख़ुद ही सही निर्णय ले पाएँगी।
एस.पी.एफ. क्या होता है?
एस.पी.एफ. अँग्रेजी का एक संक्षिप्त नाम है जिसका अर्थ होता है Sun Protection Factor। हिन्दी में इसका मोटामोटी अनुवाद यह होगा: “सूर्य की किरणों से बचाने की क्षमता”।
सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणें (Ultra Violet Rays) हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाती है। सनस्क्रीन लगाकर आप अपनी त्वचा को इन हानिकारक पराबैंगनी किरणों से सुरक्षित करते हैं।
चित्र श्रेय: वेंकूवर स्किन क्लीनिक
अगर आपकी सनस्क्रीन क्रीम का एस.पी.एफ. 15 है, तो इसका अर्थ है कि यह क्रीम लगाने से सूर्य की हानिकारक किरणों का केवल 1/15 भाग ही आपकी त्वचा तक पहुंचेगा। यानि कि आपकी क्रीम 93% सुरक्षा दे रही है।
वहीं अगर आपकी सहेली की क्रीम का एस.पी.एफ. 30 है, तो वो अधिक सशक्त है। आपकी सहेली की त्वचा तक पराबैंगनी किरणों का केवल 1/30 भाग ही पहुँच रहा है। यानि कि 97% सुरक्षा।
पर गौरतलब करने वाली बात यह भी है कि यह गणित तभी सही बैठता है अगर आप सनस्क्रीन को अपनी त्वचा पर एक बराबर लगा रही हैं। नियम अनुसार आपको हर वर्ग सेंटीमिटर (square centimetre) त्वचा पर 2 मिल्लिग्राम सनस्क्रीन लगानी चाहिए!
अब इतनी गणित करना तो किसी के लिए संभव नहीं है। पर मोटी बात यह है कि अधिकतर लोग कम मात्रा में सनस्क्रीन लगाते हैं। यह गलती आप न करें – थोड़ा दिल खोल लगाइए। इस तरह से कि आपकी त्वचा पर क्रीम की एक हल्की परत बन जाये।
आपको कितनी एस.पी.एफ. वाली सनस्क्रीन खरीदनी चाहिए?
ऊपर दिये गणित पर फिर से चलते हैं। मान लीजिये कि कोई धूप में बाहर निकलती है। अगर सनस्क्रीन लगाए बगैर निकलती है और उसकी त्वचा दस मिनट में जलने लगती है। तो फिर एस.पी.एफ. 15 वाली क्रीम लगाने के पश्चात उसकी त्वचा 10 मिनट गुणा 15, यानि कि 150 मिनट तक सुरक्षित रहेगी।
लेकिन आपको इतने गणित के पचड़े में पड़ने की जरूरत नहीं है। आप इन मोटी-मोटी बातों पर ध्यान दीजिये।
1) अगर आप अक्सर धूप में लंबे समय तक रहती हैं, तो कम से कम एस.पी.एफ. 30 वाली सनस्क्रीन लीजिये।
2) अगर आप किसी ऐसे इलाके में रहती हैं जहां गर्मी अत्यधिक होती है, तो कम से कम एस.पी.एफ. 30 वाली सनस्क्रीन लीजिये। जैसे कि अगर आप दिल्ली या कानपुर में हैं।
3) अगर आप थोड़ी देर के लिए ही धूप में निकल रही हैं, या आप नैनीताल या शिमला जैसी जगह में रहती हैं, तो आपका काम एस.पी.एफ. 15 वाली क्रीम से चल जाएगा।
4) सनस्क्रीन लगाने में कंजूसी मत करिए। आपके शरीर का जो भी भाग धूप में रहेगा, वहाँ एक अच्छी मात्रा में क्रीम को लगाइए।
5) चाहे सनस्क्रीन कितना भी शक्तिशाली हो, वो दो घंटे से अधिक सुरक्षा नहीं देता। अगर आप दो घंटे से अधिक धूप में रहने वाले हैं, तो अपने साथ सनस्क्रीन की ट्यूब लेकर चलिये। दो घंटे पश्चात क्रीम को फिर से लगाइए।
6) पराबैंगनी किरणें दो प्रकार की होती हैं – यू.वी. ए और यू.वी. बी। अत्यधिक एस.पी.एफ. वाली क्रीम यू.वी. बी से बचाती हैं, लेकिन कई बार यू.वी. ए के खिलाफ सुरक्षा कम देती हैं। इसलिए एस.पी.एफ. 50 के ऊपर न जाएँ।
अगर हमसे पूछें, तो हम आपको कौनसी सनस्क्रीन लेने की सलाह देंगे?
1) भारत के अधिकतर हिस्सों में तापमान 30 डिग्री के ऊपर पहुँच जाता है। एक अच्छे ब्रांड की एस.पी.एफ. 50 वाली सनस्क्रीन खरीदिए।
2) अगर आप किसी ठंडी जगह में रहती हैं, जैसे कि किसी हिल स्टेशन में तो एस.पी.एफ. 30 वाली क्रीम आपके लिए काफी है।
प्रातिक्रिया दे