वर्ष 2020 का पहला सूर्य ग्रहण इसी महीने की 21 तारीख को होने जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राहू और केतू ने चंद्रमा और सूर्य को श्राप दिया था, जिसकी वजह से वे ग्रहण से ग्रस्त होते हैं। ग्रहण की वजह से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के कारक माने जाने वाले सूर्य और चंद्रमा दुर्बल हो जाते हैं। इस कारण उनके शुभ फल देने की क्षमता कम हो जाती है।
ऐसे में 21 जून, 2020 को लगने वाले सूर्यग्रहण के बहुमुखी प्रभावों के विषय में जानने के लिए हमने देश के दो नामचीन ज्योतिषी, ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ एवं मूर्धन्य ज्योतिषी, अंक ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ सुरभि गुप्ता से जानकारी ली।
ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़,निदेशक,ज्योतिष परिषद एव शोध संस्थानके अनुसार इस ग्रहण का प्रारम्भ सुबह 9 बजकर 55 मिनट से होगा। यह ग्रहण प्रातः 9 बज कर 55 मिनट से दोपहर 2 बजकर 35 मिनट के मध्य अलग अलग समय समय पर समस्त भारत मे दिखाई देगा । इस ग्रहण की कंकण आकृति राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखण्ड के उत्तरी भाग तथा पंजाब के दक्षिणी भाग के कुछ हिस्सों में दिखाई पड़ेगी । भारत के शेष प्रान्तों में यह ग्रहण खंडग्रास के रूप में ही दिखाई देगा।
यह ग्रहण भूमण्डल पर प्रातः 9:16 से शुरू होकर दोपहर बाद 3:04 बजे तक घटित होगा जो अधिकांश अफ्रीका ,पूर्वी दक्षिणी यूरोप ,उत्तरी आस्ट्रेलिया व मध्य पूर्वी एशिया के समस्त देश (भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, सऊदी अरब,ईरान ,ईराक, दक्षिणी चीन, फिलीपीन्स, इंडोनेशिया आदि ) सहित हिन्द व प्रशांत महासागर में दिखाई देगा किंतु भारत मे दिन के 9:55 से दोपहर 2:35 बजे के मध्य अलग अलग समय पर दिखाई देगा।
ग्रहण प्रारम्भ होने के कुछ मिनिट पहले ही सूर्य पर चमकते हीरे की अंगूठी की भांति अदभुत नज़ारा बनता दिखाई देगा। इस दृश्य से 5-6 मिनिट पूर्व ही सूर्य की धूप कमजोर पड़ जाएगी , आकाश और भूमि पर चारो ओर विलक्षण रंगों की तरेंगे दिखाई देने लगेंगी।
पूर्ण ग्रहण के समय सभी पक्षी चहचहाते हुए सांयकाल की भांति अपने अपने घोंसलो की ओर जाने लगेंगे । कुत्ते और अन्य पशु भी भयभीत होकर अजीब हरकतें करने लगेंगे । फूलो की पंखुड़ियां बंद हो जाएंगी और गर्मी में भी सर्दी का अहसास होने लगेगा।
इस पूर्ण सूर्य ग्रहण की कंकणावधि के समय शुक्र ग्रह सूर्य से लगभग 25 अंश पश्चिम की ओर तथा बुध ग्रह सूर्य से लगभग 14 अंश पूर्व की ओर दिखाई देंगे । शेष तीन ग्रह ( मंगल , गुरु, शनि ) इस समय क्षितिज के नीचे स्थित होने के कारण दिखाई नही पड़ेंगे।
तारा मंडल में मेष, वृष ,मिथुन,कर्क,सिंह,कन्या, राशियों के ग्रह व नक्षत्र पश्चिम से पूर्व क्षितिज पर्यन्त इस समय अधिकतम 30 सैकिण्ड के लिए टिमटिमाते दिखाई देंगे।
ग्रहण का सूतक:
इस ग्रहण का सूतक दिनांक 20 जून शनिवार को रात 9:55 बजे से प्रारम्भ होगा । सूतक काल मे बालक , वृद्ध व रोगियों को छोड़कर धार्मिक जनों को भोजनादि नही करने के निर्देश शास्त्रो में मिलते हैं।
ग्रहण का राशि फल:
यह ग्रहण मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र एव मिथुन राशि मे हो रहा है।
अतः मिथुन राशि व मृगशिरा/आर्द्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को विशेष कष्टप्रद रहेगा ।
ग्रहण के दौरान क्या करें:
ग्रहण के समय सूर्याष्टक स्त्रोत , आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए । गायत्रीमंत्र का जप , गुरु मंत्र , व सत्संग आदि करना चाहिए।
सूर्य ग्रहण की अवधि में ज्योतिष विश्लेषण में क्या क्या प्रभावित होंगे?
पूरी दुनिया के लिए 21 जून 2020 को घटित होने वाला सूर्य ग्रहण अति संवेदनशील है। यह ग्रहण मिथुन राशि में घटित होगा। इस ग्रहण की अवधि में मंगल जलीय राशि मीन में स्थित होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे जिसके कारण अशुभ स्थिति पैदा होगी। इसके अतिरिक्त ग्रहण के दौरान 4 ग्रह शनि, गुरु, शुक्र और बुध उल्टी चाल चलेंगे। राहु केतु सदैव वक्र चलते हैं इसलिए इनको मिलकर कुल 6 ग्रह उल्टी चाल चलेंगे, जो शुभ फल नहीं देंगे। इस स्थिति में पूरे संसार में महत्वपूर्ण उठा पटक होने की संभावना है।
प्राकृतिक आपदा से कष्ट:
इस सूर्य ग्रहण के दौरान इन बड़े ग्रहों का उल्टी चाल चलने से प्राकृतिक विपत्तियों जैसे अति वृष्टि, समुद्री बवंडर, आँधी तूफान, महामारी आदि से जन-धन की व्यापक क्षति होने की संभावना बन सकती है। भारत और इसके पड़ौसी राष्ट्रों को जून माह के आखिरी हफ़्ते और जुलाई माह में प्रचंड वर्षा एवं जल प्रलय का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में इन राष्ट्रों में कई जगहों पर महामारी का प्रकोप और खाद्य पदार्थों के अभाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
पश्चिमी देशों में तनाव में वृद्धि होगी:
इस वर्ष मंगल जल तत्व की राशि मीन में पांच माह तक रहेंगे। इस स्थिति में वर्षा ऋतु में आसाधारण रूप से अति वृष्टि और महामारी की संभावना रहेगी। ग्रहण काल में शनि और गुरु का मकर राशि में वक्री होने से यह आशंका पैदा हो रही है कि चीन के साथ अनेक पश्चिमी राष्ट्रों के रिश्ते बिगड़ सकते हैं।
आर्थिक मंदी का प्रभाव:
भारत के पश्चिमी हिस्सों में स्थित पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान में राजनीतिक उथल पुथल तनाव की वज़ह बनेगी तथा हिंद महासागर में चीन की कारगुज़ारियों से तनाव के स्तर में वृद्धि होगी। मुमकिन है कि शनि, मंगल और गुरु इन तीनों ग्रहों के सम्मिलित असर से पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी का प्रभाव एक वर्ष तक रहे।
प्रत्येक राशि पर क्या रहेगा प्रभाव?
- मेष -आर्थिक लाभ
- वृष – व्यव वृद्धि
- मिथुन – शरीर कष्ट
- कर्क – धन हानि
- सिंह – उन्नति व लाभ
- कन्या – सुख समृद्धि
- तुला – गुप्त चिंता
- वृश्चिक – दुर्घटना भय
- धनु – स्त्री /पति कष्ट
- मकर – कार्य सिद्धि
- कुम्भ – चिंता पीड़ा
- मीन – रोग भय
देश की विख्यात ज्योतिषी, अंक ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ सुरभि गुप्ता के अनुसार यह सूर्य ग्रहण भारत के लिए विशेषतया महत्वपूर्ण साबित होगा। इस ग्रहण के दौरान 6 ग्रह उल्टी चाल चलेंगे जो हमारे देश और पूरी दुनिया में परिवर्तन लाएँगे। इस वर्ष सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में लग रहा है और इसका प्रभाव मिथुन राशि के लोगों पर अधिक होगा। यह संकेत बहुत अच्छा नहीं माना जा रहा क्योंकि 21 जून वर्ष का सबसे बड़ा दिन होता है और इसी दिन सूर्यग्रहण है।
किन राशियों के लिए शुभ:
सुरभि गुप्ता के अनुसार यह ग्रहण निम्न राशियों के लिए शुभ / अशुभ होगा:
- शुभ: मेष, मकर, कन्या एवं सिंह
- अशुभ: वृषभ, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, कुम्भ, मीन
क्या करें, क्या न करें?
- ग्रहण के समय बाहर न निकलें।
- पानी में गंगा जल मिला कर पियें।
- ग्रहण काल में शिव मंत्र का जाप करें।
- अनाज दान करें।
- इस अवधि में बाल एवं नाखून न काटें।
- लोगों को ग्रहण के दौरान गुरु मंत्र पढ़ने चाहिए। भजन सुनने चाहिए और शिव मंत्र पढ़ने चाहिए।
सूर्य ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए उपाय
निम्न राशियों के लोगों को निम्न चीजें दान करनी चाहिए:
- मेष राशि:सात प्रकार के मिश्रित अनाज
- वृषभ:सफ़ेद रंग की मिठाई
- मिथुन राशि: साबुत मूंग की दाल
- कर्क राशि: पक्षियों को अनाज खिलायें
- सिंह राशि: गुड़
- कन्या राशि: कपड़े
- तुला राशि: चावल
- वृश्चिक राशि: मसूर की दाल
- धनु राशि: गुड़ और पीले कपड़े
- मकर राशि: सरसों का तेल
- कुम्भ राशि: उड़द की दाल
- मीन राशि: गुड़
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