धर्म और संस्कृति

ओणम क्यों मनाया जाता है?  इस त्यौहार का क्या महत्व है?

ओणम केरल का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे सितम्बर में मनाया जाता है। ओणम का त्यौहार लगातार दस दिनों तक मनाया जाता हैं। आइये, इस लेख में हम आपको बताएँगे, कि ओणम क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है
कहा जाता है, कि इस दिन राजा महाबली ने भगवान विष्णु से अपनी प्रजा से वर्ष में केवल एक बार मिलने की अनुमति मांगी थी।

उनकी अनुमति पाकर राजा आशीर्वाद देने धरती लोक आते हैं। इसे राजा महाबली के याद में मनाया जाता है, इस दिन उनका भूलोक में भव्य स्वागत होता है। ओणम का अर्थ श्रावण होता हैं. इस त्यौहार को श्रावण माह में केरल राज्य में चाय, अदरक, इलायची, कालीमिर्च, धान जैसी फसलों के तैयार होने की ख़ुशी में मनाया जाता है। इस त्यौहार में ख़ासतौर पर श्रावण के देवता तथा फूलों की देवी की पूजा होती है। हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार यह त्यौहार अगस्त अथवा सितम्बर के महीने में मनाया जाता है।

इस दिन सुन्दर पुष्पों से घरों को सजाया जाता है, एवं इन दिनों घरों में फूलों की रंगोली बनाई जाती है। महिलायें और किशोरियाँ इस दिन नाचने गाने में मस्त रहती हैं और पुरूष तैरने और नौका-दौड़ में सम्मिलित होते हैं।

मलयालम में इस रंगोली को “ओणमपुक्कलम” कहा जाता है, महिलाऐं इस रंगोली को गोलाकार में बनाकर इसके बीच में एक दिया जलाकर रख देती हैं। ओणम पर्व के नौवें दिन सभी घरों में विष्णु जी की मूर्ति की स्थापना की जाती हैं तथा उनकी पूजा – अर्चना की जाती है। विष्णु भगवान की पूजा करने के बाद घर की औरतें एकत्रित होकर गोलधारा बनाकर सामूहिक नृत्य करती हैं तथा गीत गाती हैं।

गोलाई में नृत्य करने की यह परम्परा “थप्पतकली” कहलाती है। ओणम के नौवें दिन ही शाम को घर में गणेश जी की मूर्ती और श्रावण देवता की मूर्ति स्थापित की जाती है। मूर्तियों को स्थापित करने के बाद इनके समक्ष शुद्ध घी के दीपक जलाएं जाते हैं तथा एक विशेष प्रकार का भोग जिसे “पूवड” कहा जाता उसका भोग लगाया जाता है।

थिरुओनम या तिरुओणम ओणम त्यौहार का आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है। इस दिन केरल राज्य के सभी घरों में पारम्परिक पकवान बनायें जाते है। चावल के आटे में विभिन्न प्रकार की सब्जियों को मिलाकर अवियल बनाया जाता है, केले का हलवा, नारियल की चटनी बनाई जाती है। इसी प्रकार पूरे 64 प्रकार के पकवान बनाएं जाते है। जिन्हें ओनसद्या कहा जाता है। इन सभी पकवानों को बनाने के बाद इन्हें केले के पत्तों पर परोसा जाता हैं.

केरल के लोग ओणम के त्यौहार को नाचते – गाते मानते है। इस दिन पूरे राज्य में शेर नृत्य, कुचीपुड़ी, गजनृत्य, कुमट्टी काली, पुलीकली तथा कथकली जैसे लोकनृत्य किये जाते हैं।

 

 

शिवांगी महाराणा

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