रक्त, हमारे शरीर के प्रत्येक हिस्से में जाकर शरीर को आक्सीजन, मिनरल्स एवं अन्य आवश्यक तत्व पहुँचाने का कार्य करता है. परन्तु कई बार रक्त में कई बाहरी एवं आंतरिक अशुद्धियों के मिल जाने के कारण यह अशुद्धियाँ रक्त के माध्यम से पूरे शरीर में फ़ैल जाती हैं और व्यक्ति के शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालकर उसे रोगग्रस्त कर देती हैं.
जिसके प्रभाव से व्यक्ति में थकान, अनिंद्रा, पेट संबंधी बीमारियाँ जैसे- पेट में गड़बड़ी होना, मोटापा , पेट दर्द आदि और त्वचा के रोग जैसे- दाग, फोड़े-फुंसी, कील-मुहाँसे आदि पनपने लगते हैं.
आज इस लेख में हम आपको इन परेशानी के कुछ घरेलू एवं आयुर्वेदिक इलाज बताएँगे. जिन्हें आज़माकर आप निश्चित ही रक्त में फैली हुई अशुद्धि को समाप्त कर उनसे होने वाले दुष्प्रभावों से बचे रह सकते हैं.
रक्त साफ करने के घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय
• रक्त में पनपी या फैली हुई अशुद्धि को दूर करने के लिए फाइबर युक्त भोजन एक सर्वोत्तम उपाय है. फाइबर युक्त पदार्थ जैसे- चुकंदर, मूली, शलजम, गाजर, नारंगी, अमरुद, गन्ना, टमाटर, बेर, पालक ब्रोकली, समुद्री शैवाल, क्लोरिल्ला, बंदगोभी आदि में रक्त साफ करने की क्षमता सर्वाधिक होती है.
• विटामिन C, लौहयुक्त एवं कैल्शियम युक्त पदार्थ रक्त में मौजूद अशुद्धियों को पूर्णतया समाप्त कर देते हैं. इसके अतिरिक्त बेल का रस एवं दूध से निर्मित खाद्य तत्वों के सेवन से रक्त में जमे हुए अपशिष्ट पदार्थ मल आदि का नाश होता है.
• कुछ मात्रा में दूध लेकर उसमें निम्बू निचोड़ें. इसका लगभग 5 सप्ताह तक दिन में 5-6 बार सेवन करने से रक्त में मिली हुई अशुद्धि समाप्त हो जाएगी. जिससे पेट संबंधी बीमारियाँ जैसे- कब्ज, दस्त, पेट दर्द, पेट में जलन आदि समस्याएँ नहीं रहेंगी.
निम्न उपायों को अपनाकर भी आप रक्त में सम्मिलित अपशिष्ट को दूर कर सकते हैं-
1. ग्वारपाठे का ताज़ा रस, 25 ग्राम शहद और आधे निम्बू का रस मिलाकर रोज़ाना इसका सेवन करें.
2. 25 ग्राम मुनक्के को रात में भिगोकर सवेरे पीसकर इसका एक कप पानी के साथ सेवन करें.
3. 60 ग्राम करेले का रस पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करें.
• दिनभर में कम से कम 2 लीटर पानी का सेवन अवश्य करें. पानी की पर्याप्त मात्रा रक्तप्रवाह को शरीर में समुचित रूप से बनाए रखती है .अधिक पानी के सेवन से अशुद्धियाँ पसीने या मूत्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाती है.
• एक चौथाई प्याज के रस में निम्बू और शहद की कुछ मात्रा मिलाकर पीने से रक्त विकार दूर होते हैं. आधा कप प्याज का रस, एक कप गाजर का रस और एक कप पालक का रस मिलाकर इसका रोज़ाना भूखे पेट सेवन करने से रक्त शुद्धि में लाभ प्राप्त होगा.
• नीम की पकी हुई निम्बोली चूसने या नीम के पत्ते, छाल, जड़ आदि को पीसकर नित्य पानी के साथ पीने से रक्त की अशुद्धि दूर हो जाएगी. आंकड़े के ताजे फूलों को काली मिर्च के साथ पीसकर पानी से इसका सेवन करें, इससे रक्त साफ हो, शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ जाएगा.
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