आप सबको प्रेमचंद की मशहूर कहानी “हामिद का चिमटा” तो याद ही होगी न, जिसमें एक नन्हा बालक अपनी दादी के हाथों के छालों से विचलित होकर उन्हें रोकने के लिए मेले से चिमटा लेकर आया था। कुछ ऐसा ही किया मैक्सिको के जूलियन ने, जिसने अपनी माँ की तकलीफ से विचलित होकर एक अनोखा आविष्कार किया। इस आविष्कार की बदौलत एक ओर तो दुनिया की हर महिला को जानलेवा तकलीफ से छुटकारा मिलेगा वहीं दूसरी ओर 18 वर्षीय युवा 20,000 पाउंड भी मिल गए। आखिर क्या है वो आविष्कार जिसके माध्यम से महिला जगत में भी तहलका मचा और एक जानलेवा बीमारी से भी पीछा छूटा।
मैक्सिको के छोटे से शहर में एक किशोर जूलियन रिओस कांतू , जब तेरह वर्ष की उम्र का था तो उसकी माँ को दूसरी बार ब्रेस्ट कैंसर का पता लगा था। छह महीने के भीतर ही चावल के दाने के बराबर का कैंसर गोल्फ बॉल के बराबर का हो गया था। कैंसर इतना भयानक था, की जूलियन की माँ की जान बचाने के लिए उनकी दोनों ब्रेस्ट निकलनी पड़ीं। इस घटना से जूलियन ने ब्रेस्ट कैंसर के खिलाफ एक जंग छेड़ दी। जूलियन और उसके तीन दोस्तों ने वो उपाय ढूँढने का प्रयास किया जिसके द्वारा ब्रेस्ट कैंसर के शुरू होते ही पता चल जाता है और उसका इलाज संभव हो सकता है।
जूलियन और उसके मित्रों ने एक विशेष प्रकार की ब्रा ‘इवा’ का निर्माण किया जिसमें २०० सेंसर लगे हैं। यह सेंसर ब्रेस्ट का टेक्सचर, रंग और तापमान के आधार पर किसी भी प्रकार की अनियमितता का पता लगा लेते हैं। जूलियन ने इस बात का पता लगा लिया की ब्रेस्ट कैंसर की शुरुआत होने पर वहाँ का खून इकट्ठा होने लगता है और स्किन गरम भी हो जाती है और उसका रंग भी बदलने लगता है। ऐसा होने पर इस ‘इवा’ ब्रा के सेंसर फौरन इन परिवर्तनों को महसूस करके यूजर को बता देती है। इस काम को एक स्मार्ट एप के जरिये यूजर के फोन और स्मार्ट ब्रा को जोड़ दिया जाता है। स्मार्ट ‘इवा’ब्रा के परिणाम और एलर्ट इस एप के जरिये ब्रा पहनने वाले के पास पहुँच जाते हैं। जूलियन मित्र मंडली ने इस ब्रा का निर्माण हिजिया टेक्नोलोजी से किया है जिसके कारण महिला द्वारा हफ्ते में एक घंटे पहनने पर भी इसके सेंसर सही परिणाम देने में सक्षम हैं।
विज्ञान के आधुनिक चमत्कारिक तकनीकों के माध्यम से अनेकों असाध्य बीमारियों का इलाज खोज निकाला है। लेकिन फिर भी ब्रेस्ट कैंसर ऐसी लाइलाज बीमारी है जो अपने मरीज की जान लेने के साथ ही खत्म होती है। मेडिकल साइंस के नवीनतम उपचारों में कैंसर का पता लगाने के लिए अभी सिर्फ बायोप्सी ही एक ऐसा तरीका है जो सफल रहा है। बायोप्सी करने के लिए कैंसर संभावित स्किन के टिशू का एक हिस्सा लेकर और उसे चेक किया जाता था। लेकिन कभी-कभी यह तरीका कैंसर पता करने में सफल नहीं होता था और यह बीमारी जानलेवा सिद्ध हो जाती थी। इसके अतिरिक्त मेमोग्राफी, इमेज टेस्टिंग, फिजिकल एग्ज़ामिनेशन और अनेक टेस्ट किए जाते हैं। लेकिन ‘इवा’ के दुनिया में सामने आने पर यह सब करने की शायद ज़रूरत ही न हो। इस क्रांतिकारी ब्रा के प्रयोग में आने पर ब्रेस्ट कैंसर जैसे घातक रोग से मरीजों की जान बचाई जा सकेगी ।
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