अध्यात्मिक रीति-रिवाजों का सम्बन्ध आत्मिक शुद्धि से होता है। जीवन की सार्थकता पूर्णतया आत्मा की शुद्धता अर्थात विचारों की पवित्रता पर निर्भर करती है। धार्मिक प्रयोजनों में प्रयोग की जाने वाली सामग्री में सात्विक वस्तुओं का प्रयोग करने के पीछे मानव के संस्कार में सात्विकता का समावेश करने का सन्देश निहित होता है।
इन्हीं संस्कारों की ओर मानव का ध्यान आकर्षित करने के लिए मंदिरों एवं धार्मिक अनुष्ठानों में पंचामृत को विशेष रूप से शामिल करने का नियम बनाया गया है। तो आइये जाने इस लेख के माध्यम से पाँच सात्विक वस्तुओं के मिश्रण से पंचामृत तैयार करने की विधि।
पंचामृत अर्थात पाँच प्रकार के अमृत तुल्य गुणों से युक्त वस्तुओं जैसे- दूध, दही, शहद, शक्कर और घी। इनमें भी गाय के दूध और उससे बनी दही एवं घी के मिश्रण से तैयार पदार्थ को शामिल किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि गाय के दूध में वसा की मात्रा कम और पोषक तत्वों की मात्रा का अनुपात उचित मात्रा में शामिल होता है। इसीलिए गाय के दूध को अमृत तुल्य माना जाता है।
इन वस्तुओं में पाए जाने वाले गुण इस प्रकार हैं:
दूध : ये निर्मलता एवं शुद्धता का प्रतीक है। अर्थात मनुष्य का विचार पवित्र एवं दूध की तरह दोष रहित होना चाहिए।
दही : दही दूध से हीं निर्मित होता है, और दूध के सामान ही पौष्टिक एवं अनेक प्रकार से शरीर के लिए उपयोगी होती है। अर्थात हमें अपने पवित्र आचरण से दूसरों में भी पवित्रता का समावेश करना चाहिए।
घी: दूध को जला कर घी बनाया जाता है। अर्थार्त जिस कार्य में प्रकृति एवं जीवों का कल्याण निहित हो उसे करने के लिए हर संभव बलिदान देने को तत्पर रहना चाहिए।
शहद: अनेक औषधीय गुणों से पूर्ण होने के कारण शरीर के लिए अमृत का काम करता है। अर्थात हमें प्राणियों के दुःख दर्द में शहद के औषधीय गुणों की भाँति सहायक सिद्ध होना चाहिए।
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शक्कर: चीनी अपने मिठास के लिए जानी जाती है। अर्थात जीवन में सौहार्द एवं मधुरता बनाए रखने के लिए वाणी में मधुरता का समावेश होना चाहिए।
पंचामृत बनाने की विधि :
सामग्री :
गाय का कच्चा दूध – 1/2 लीटर
दही – 125 ग्राम
शक्कर – 100 ग्राम
शहद – 1 टेबल स्पून
गाय का घी – 1 टी स्पून
चिरौंजी – 15 ग्राम
मखाना – 15 ग्राम
गंगा जल – पाँच बूँद
तुलसी दल – पाँच
पंचामृत बनाने की विधि:
सबसे पहले एक बर्तन में गाय के कच्चे दूध में चीनी को भली -भाँति मिक्स करेंगे। फिर उसमें गाय के घी और शहद को मिक्स करेंगे। इसके बाद चिरौंजी, मखाना और गंगा जल डाल कर मिक्स करेंगे। अंत में दही को मिश्रण में अच्छी तरह मिलायेंगे। फिर ऊपर से तुलसी दल डालकर मिक्स कर देंगे। बस पंचामृत का प्रसाद बनकर तैयार हो गया।
पंचामृत एक प्रसाद होने के साथ ही शरीर के लिए फायदेमंद भी होता है। इसके उचित मात्रा में सेवन से शरीर पुष्ट एवं रोगमुक्त रहता है। कैल्शियम की मात्रा भरपूर होने के कारण हड्डियाँ मजबूत होती हैं। सात्विक वस्तुओं के मिश्रण से तैयार होने के कारण सकारात्मक उर्जा में वृद्धि होती है जिससे दिमाग शांत रहता है।
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गाय का पूरा शरीर देव भूमि है जहाँ 33 कोटी देवी-देवता निवास करते हैं।
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