एक समय था जब घर में एक नन्हें बच्चे के आने की आहट मिलते है घर के बड़े-बुजुर्ग बच्चों के नाम अपने इष्ट देवी-देवता के नाम पर रखने का निर्णय ले लेते थे। लेकिन पचास और साठ के दशक के आते-आते यह काम बच्चों के माता-पिता ने अपने हाथ में लेकर विदेशी नामों को चुनना […]
क्या सभी मर्द एक जैसे होते हैं
एक ही शख्सियत रखते हुए ,कभी बाप-बेटे,दोस्त तो भाई-पति भी होते हैं फिर हर नारी के मन में यही ख्याल आता है, क्या सभी मर्द एक जैसे होते हैं!! जी हाँ, बचपन से लेकर वृद्धधा अवस्था तक आते हुए, कभी न कभी हर नारी के साथ कुछ ऐसा हो जाता है, जिससे उनका मन आहत […]
होली पर कविता – प्रेम पिचकारी
मुरली-मनोहर, बंसीधर बनवारी, राधा प्यारी खड़ी तेरे द्वारे,लिए प्रेम पिचकारी। नैनन लिए अनुराग गुलाबी, माथे रचा सुहाग दोआबी, स्वीकार करो गिरधारी। नैनन लिए अनुराग गुलाबी, माथे रचा सुहाग दोआबी, स्वीकार करो गिरधारी। कंगन डारे चमक सुनहरी,खड़ी मुस्काए वृषभानु दुलारीरंग डारो श्याम-मनोहारी। रंग गुलाल से रंगा है अंबररंग गयी है धरा ये सारीहोली खेलें राधा-मुरारी।
होली का हर रंग कुछ कहता है
कहते हैं जीवन में केवल दो रंग यानि सफ़ेद जो खुशी और प्रसन्नता का प्रतीक है और काला जो दुख और परेशानी का प्रतीक हैं, ही महत्व रखते हैं। लेकिन जिंदगी को खुशगवार बनाने के लिए इनके अलावा ही बहुत सारे रंगों की ज़रूरत होती है जो प्रकृति में चारों ओर किसी न किसी रूप […]
बुरा न मानो होली है
“आप, अगले महीने की दस तारीख को आ रहे हैं न “ कानों में मधुर घंटियाँ तो बजीं साथ ही दिमाग ने खतरे की घंटी भी बजा दी। “ हाँ-हाँ क्यूँ नहीं आऊँगा” आवाज़ में शाहजहाँ वाला प्यार घोलते हुए लगभग एक माह से गई श्रीमति जी को कहा। “ यही तो दिन है जब […]
होली के पीछे छिपा वैज्ञानिक कारण
हिन्दू धर्म के तीज-त्योहारों और रीति-रिवाजों के पीछे अक्सर कोई न कोई वैज्ञानिक कारण छिपा होता है। होली भारत के दो प्रमुख त्योहारों में से एक है, और इसके पीछे भी कई सारे वैज्ञानिक तर्क हैं। आइये, आपको होली के विज्ञान से रूबरू करवाते हैं। हिन्दू कैलंडर के अंतिम चक्र में आने वाली शिशिर ऋतु […]