हमारे शरीर में होने वाली विभिन्न जैविक क्रियाओं में से रोग प्रतिरोधक क्रिया भी एक महत्वपूर्ण कीटाणुनाशक प्रक्रिया है. यदि हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगी तो कोई भी बिमारी हम पर अपना असर शीघ्र दिखा सकती है. दुनियाभर में विज्ञानं के प्रभाव से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए कई दवाइयाँ बनाई गई है. इसके अतिरिक्त कई पौष्टिक खाद्य पदार्थ भी हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते है, परन्तु वही दूसरी ओर अत्यधिक कीटाणुनाशक पदार्थों का सेवन हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को एक निम्न स्तर पर ले आता है. ऐसा क्यों?
यह जानने के लिए हम आपको बताते है कि दरअसल जो जीवाणु एक ओर तो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करते है, वही जीवाणु उसे बढ़ाते भी है. कुछ जीवाणु ऐसे है जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक है और कुछ ऐसे है जो अपने खाद्य पदार्थ के रूप में उन नुकसानदायक जीवाणुओं का सेवन करते है. खास प्रकार की दवाओं के अत्यधिक सेवन और संक्रमण के जरिए हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधी जीवाणु नष्ट हो जाते है, जिससे रोगनाशक जीवाणुओं की मात्रा शरीर में अत्यधिक बढ़ जाती है.
रोगजनक जीवाणु, शीघ्र रूपांतरण के कारण हमारे शरीर में बहुत तेज़ी से अपना कार्य करते है. यह रोग प्रतिरोधक जीवाणुओं को शरीर में अपना स्थान नहीं बनाने देते| यह जीवाणु हमारे शरीर में गंदगी फैलाते है और हमारे तंत्रिका तंत्र की गति को धीमा कर देते है. इससे हमारी कोशिका क्षीर्ण हो जाती है, जो शरीर में रोगों के प्रवेश को रोकने में सक्षम नहीं होती| इन्हीं जीवाणुओं को समाप्त करने के लिए हमारे शरीर में ऐसे जीवाणु पनपते है जो हमारे शरीर की अबुर्द कोशिकाओं और परजीवी कर्मियों को नष्ट कर देते है| इसी प्रकार एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) रोग, जो की एचआईवी वायरस के कारण होता है। इसके विपरीत स्वप्रतिरक्षित रोग (ऑटोइम्यून डिजीज) एक उत्तेजित ऑटो इम्यून सिस्टम के प्रभाव से फैलता हैं, जो सामान्य ऊतकों पर आक्रमण करता है, यह समझकर कि वे बाहरी जीव है.
इसी कारण से अत्यधिक जीवाणुनाशक पदार्थों के सेवन से हमारे शरीर में रोगों की वृद्धि करने वाले जीवाणुओं की संख्या रोगनाशक जीवाणुओं की अपेक्षा बहुत अधिक बढ़ जाती है. इस कारण से थोड़े समय बाद जीवाणुओं के अत्यधिक अवरोध के कारण हमारी तंत्रिका कोशिकाएं और रक्तवाहिकाएं अपना कार्य करने में सक्षम नहीं रहती. जिससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पूर्णतया समाप्त हो जाती है.
अतः एंटीबायोटिक तत्व हमारे शरीर के लिए फायदेमंद तो है ही परन्तु इनका अत्यधिक सेवन हमारे शरीर के लिए नुकसानदेय भी साबित हो सकता है. इसीलिए इनका एक निश्चित और उपर्युक्त मात्रा में सेवन आपको स्वस्थ और रोगमुक्त बनाए रखेगा.
कैसे शरीर के द्रव्यमान को प्रतिरोधक बैंड्स से नियंत्रित करें ?
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