च्यवनप्राश एक ऐसा आयुर्वेदिक उत्पाद है जो भारत में सबसे ज्यादा बिकता है और पीढ़ियों से लोग इसका इस्तेमाल करते आ रहे हैं।च्यवनप्राश में भी ‘डाबर च्यवनप्राश’ को सबसे बेहतरीन और उम्दा माना जाता है।
क्या है च्यवनप्राश
लेकिन असल में च्यवनप्राश क्या है? आयुर्वेद के अनुसार दवाइयों के साथ-साथ च्यवनप्राश का नियमित सेवन करने से खाँसी, पुराने जुकाम, तपेदिक और फेफड़े के रोगों में बहुत लाभ होता है। इसका कारण है कि च्यवनप्राश में शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली लगभग पचास तरह की जड़ी बूटियां शामिल होती हैं।
च्यवनप्राश और पांच तत्व
हर तरह के च्यवनप्राश में पाँच तरह के तत्व शामिल होते हैं,
• प्रधान द्रव्य
इन तत्वों में प्रधान द्रव्य ‘आंवला’ होता है।
• संसाधन द्रव्य
ये वे द्रव्य होते हैं, जिनमें आंवला, पानी डालकर हलकी आंच पर उबाला जाता है।
• यमक द्रव्य
तिल का तेल और घी को यमक द्रव्य माना जाता है।
• संवाहक द्रव्य
चीनी को संवाहक द्रव्य माना जाता है जो असल में च्यवनप्राश को सुरक्षित रखने का काम करती है।
• प्रेक्षप द्रव्य
तेजपात, छोटी इलायची, केसर, दालचीनी और शहद आदि को प्रेक्षप तत्व माना जाता है।
विभिन्न प्रकार के च्यवनप्राश
आज बाजार में कई तरह के च्यवनप्राश उपलब्ध हैं-
डाबर च्यवनप्राश
शतायु च्यवनप्राश
सोना चाँदी च्यवनप्राश
पतंजलि च्यवनप्राश
बैधनाथ च्यवनप्राश
सभी च्यवनप्राश आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर होते हैं और इनका नियमित सेवन बढ़ती उम्र के चिन्हों को कम करने के साथ ही कई तरह की बीमारियों से शरीर की रक्षा करता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।
सोना-चाँदी च्यवनप्राश और अन्य च्यवनप्राशों में अंतर
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर सभी च्यवनप्राश बेहतरीन है तो सोना-चाँदी च्यवनप्राश में क्या अलग है?
सोना-चाँदी च्यवनप्राश में सभी च्यवनप्राशों की भाँति कई गुणकारी जड़ी-बूटियों का समावेश होता है, लेकिन इनके साथ ही इस च्यवनप्राश में ‘सोने की भस्म या स्वर्ण भस्म’ और ‘चाँदी का वर्क’ मिलाया जाता है, जो इस च्यवनप्राश के गुणों और फायदों को और भी बढ़ा देता है।
सोना-चाँदी च्यवनप्राश में मौजूद ‘सोना’ (स्वर्ण भस्म) शरीर को मज़बूत बनाता है और ‘चाँदी’ दिमाग की एकाग्रता बढ़ाने के साथ ही दिमाग को चुस्त-दुरुस्त बनाने में काम आती है। इस च्यवनप्राश का सेवन बच्चों को करवाने से बच्चों का शरीर स्वस्थ रहता है और उनका दिमाग भी तेज बनता है।
यह च्यवनप्राश बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक के लिए काफी लाभप्रद है और इसका नियमित सेवन कई तरह की बीमारियों से शरीर की रक्षा करने में समर्थ है।
हालांकि कई लोग सोना-चाँदी च्यवनप्राश को महज़ बिक्री बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाला एक फंडा मानते हैं, लेकिन फिर भी इस च्यवनप्राश की बिक्री या लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आयी है।
च्यवनप्राश कोई भी हो, सभी बहुत फायदेमंद हैं। सभी में कई तरह की गुणकारी जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है, साथ ही आयुर्वेदिक उत्पाद होने के कारण इसके साइड इफेक्ट्स भी नहीं हैं। हालांकि च्वयनप्राश बच्चे कम ही पसंद करते हैं लेकिन इस समस्या का निदान भी डाबर ने ‘मैंगो’ और ‘ऑरेंज’ फ्लेवर्स में च्वयनप्राश निकालकर करने की कोशिश की है। बरसों से घर-घर में उपयोग किये जाने वाला च्यवनप्राश आज भी उतना ही गुणकारी है।
आप चाहे सोना-चाँदी युक्त च्यवनप्राश खाएं या आम च्यवनप्राश, आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने से लेकर आपको कई बीमारियों से बचाने में सभी च्यवनप्राश काफ़ी कारगर हैं। इसलिए च्यवनप्राश खाना अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करें।
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