27 जुलाई की रात और 28 जुलाई के कुछ शुरुवाती घंटों में, वैज्ञानिकों के लिए और खासकर भारतियों के लिए, एक ऐतिहासिक घटना घटने वाली है। इस दिन इक्कीसवीं सदी का सबसे लम्बा चन्द्र ग्रहण और ब्लड मून होने वाला है।
चन्द्रमा पृथ्वी की सबसे गहरी छाया, जिसे अम्ब्रा भी कहा जाता है, में गायब हो जायेगा। चन्द्रमा लाल रंग में कुल 1 घंटे 43 मिनट के लिए दिखाई देने वाला है जो कि अब तक के सभी ब्लड मून चन्द्रमा से 40 % लम्बा होगा। यह चन्द्र ग्रहण इसलिए भी ख़ास है क्योंकि यह गुरु पूर्णिमा के दिन पड़ने वाला है।
रक्त चंद्रमा इस शताब्दी के अन्य चंद्र ग्रहणों की तुलना में लंबी अवधि तक चलेगा क्योंकि चंद्रमा पृथ्वी की छाया के सबसे अंधेरे क्षेत्रों में से एक के माध्यम से गुजर रहा है जिसे ‘द एम्बरा’ कहा जाता है। ।
• जब धरती, सूरज और चंद्रमा सीधी रेखा में आ जाते हैं
• जब धरती पुरे चाँद को छिपा लेती है
• जब सूर्य की किरणें चन्द्रमा पर पड़ने लगती हैं
• सूरज की किरणें धरती के वायुमंडल से होकर गुजरे
• सूर्य की किरणें वायुमंडल से गुजरने पर बिखर जाती हैं
• सूरज की किरणें पड़ने से ही चन्द्रमा लाल रंग का दिखाई देता है।
भारत में चंद्र ग्रहण पूरी तरह से दिखाई देगा। पेनमब्रल (Penumbral) ग्रहण सुबह 11:44 बजे शुरू होगा, इसके बाद आंशिक ग्रहण 11:54 बजे होगा।
कुल ग्रहण 1:00 बजे (28 जुलाई) से शुरू होगा। जब चंद्रमा छाया के केंद्र के सबसे नज़दीक होगा, तब अधिकतम ग्रहण 1:51 बजे दिखाई देगा ।
2:43 बजे ग्रहण समाप्त हो जाएगा। आंशिक ग्रहण फिर से 3:49 बजे शुरू होगा। 4:58 बजे पेनमब्रल ग्रहण समाप्त हो जाएगा। ग्रहण की कुल अवधि छह घंटे और 14 मिनट होगी।
अगर हम पूरी दुनिया की बात करें तो चंद्र ग्रहण दक्षिण अमेरिका, पूर्वी अफ्रीका, पश्चिम एशिया और मध्य एशिया में दिखाई देगा।
पंडितों के अनुसार कुल ग्रहण 3 घंटा 55 मिनट का है। रात्रि को 11: 54 मिनट पर शुरू होने वाला ग्रहण रात्रि 3: 49 मिनट तक चलेगा। २७ जुलाई दिन के 2:54 पर इस ग्रहण का सूतक काल लग जाएगा। अतः सभी शुभ कार्य सूतक काल से पूर्व ही कर लें।
इस दिन गुरु पूर्णिमा होने के कारण गुरु पूर्णिमा से जुड़ी क्रियाएं भी २७ जुलाई की दोपहर के 2:54 मिनट के पहले ही कर लेना उचित रहेगा।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चंद्रग्रहण के समय राहु और केतु की छाया सूर्य और चंद्रमा पर पड़ती है और इसी के साथ सूतक काल भी शुरू हो जाता है। इस दौरान भगवान की पूजा तक अशुभ मानी जाती है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं और देव-दर्शन निषिद्ध माना जाता है। इस दौरान श्रद्धालु भजन-कीर्तन में समय व्यतीत करें तो उत्तम माना जाता है।
➡ चंद्रग्रहण के दौरान क्या-क्या नहीं करना चाहिए?
माना यह भी जाता है कि चंद्रग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं और गर्भ में पल रहे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। यह भी मान्यता है कि ग्रहण के दौरान अन्न या जल तक ग्रहण नहीं करना चाहिए, अन्यथा इससे शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
➡ सूर्य-ग्रहण से सम्बंधित गर्भवती महिलाओं के लिए गलत धारणाएं एवं अंधविश्वास
हालांकि वैज्ञानिक इन धारणाओं से इत्तेफाक नहीं रखते। उनके मुताबिक़ इस ऐतिहासिक पल का हर किसी को गवाह होना चाहिए। खाने-पीने सम्बन्धी परहेज़ का भी कोई वैज्ञानिक आधार नहीं माना जाता है।
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