15 दिसम्बर को अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है। सुलेमानी चाय की रेसिपी उसी दिन छपनी चाहिए थी। लेकिन चाय बनाने में हमें कुछ ज्यादा ही समय लग गया। माफी चाहते हैं।
हम थोड़ा देर तो आयें है लेकिन दुरुस्त आए है। सुलेमानी चाय की इस रेसिपी को ढूँढने में हमें थोड़ा समय लग गया। पर हमें यह यकीन है कि इस चाय को पीने के बाद आप हमारी इस गलती के लिए हमें जरूर माफ कर देंगे।
सुलेमानी चाय – चाय के मुरीदों के लिए यह नाम नया नहीं है। बल्कि यह एक ऐसी खास चाय है, जिसे बेहद खाद मौकों पर बनाया जाता है। यह आई तो यह अरब से है। लेकिन जब से हिंदुस्तान पधारी है, हमने इसे अपना बना लिया है। केरल माबार इलाके में तो इसे हर जश्न में शामिल किया जाता है। ईद हो या निकाह, सुलेमानी चाय की स्वाद भरी चुस्कियां लिए बगैर कोई भी खुशी का मौका निकले, यह नहीं हो सकता।
अब चाहें आप केरल में हैं या फिर कलकत्ता में, इस ठंड के मौसम में अगर सुलेमानी चाय न पी तो फिर क्या पिया। जितनी खास इसकी बातें है उतनी ही खास इसकी रेसिपी भी है।
सुलेमानी चाय की रेसिपी में थोड़ी-बहुत फेरबदल हो सकती है। कई सारी रेसीपियाँ देखने के बाद यह विधि हमें बेस्ट लगी। एक बार जरा आप भी अपने घर पर इसे बनाइये, और फिर हमें भी बताइये कि यह रेसिपी आपको कैसी लगी।
क्या आप जानते हैं कि चाय बनाने का भारतीय तरीका कितना गलत है?
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