Most-Popular

संजीवनी बूटी कहाँ पायी जाती है? संजीवनी के औषधीय गुण

संजीवनी बूटी का उल्लेख त्रेता युग के रामायण काल में मिलता है। जब श्रीलंका में रावण और राम के बीच चल रहे युद्ध के दौरान लक्ष्मण के मूर्छित हो जाने पर लंका के वैध सुषेण ने संजीवनी बूटी लाने की माँग की थी।

सुषेण वैध ने हनुमान जी को संजीवनी बूटी की पहचान के तौर पर चमकदार और विचित्र गंध वाली बूटी लाने को कहा था। तब हनुमान जी हिमालय की घाटियों में अनेक संजीवनी के समान बूटियों के बीच पहचान न कर पाने के कारण पहाड़ का एक भाग हीं उठा कर ले आये थे। इसी सन्दर्भ से अनुमान लगाया जा सकता है कि यह चमत्कारिक बूटी हिमालय पर्वत पर पाई जाती है।

संजीवनी बूटी की विशेषता :

संजीवनी एक औषधीय जड़ी-बूटी है। जिसका वैज्ञानिक नाम सेलाजिनेला ब्राह्पटेसिर्स है। इसकी उत्पत्ति आज से लगभग तीस अरब वर्ष पूर्व मानी जाती है।

यह वनस्पति चमकदार और विचित्र गंध से युक्त होती है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के वनस्पति अनुसंधान केंद्र में संजीवनी बूटी के जीन पर शोद्ध कर रहे वैज्ञानिको में से एक डाक्टर पी एन खरे ने एक साक्षात्कार में बताया कि संजीवनी वनस्पति पौधों के टेरीडोफिया समूह की है।

जो धरती पर पैदा होने वाले संवहनी पौधे होते थे। संजीवनी पौधे शुष्क सतह एवं पत्थरों पर भी उग सकते हैं। यह नमी न मिलने पर मुरझा जाते हैं और जैसे हीं थोड़ी सी भी नमी मिलती है पुनः हरे-भरे हो जाते हैं। इस बूटी की लम्बाई चार इंच होती है। यह लताओं के रूप में सतह पर फैलते हुए बढ़ती है।

 

संजीवनी बूटी प्राप्त होने वाले स्थान :

इस वनस्पति के जीन पर शोद्ध कर रहे वैज्ञानिकों के अनुसार यह भारत और नेपाल में पायी जाती है।

क्योंकि भारत के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश एवं उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों तथा उड़ीसा के आदिवासी क्षेत्र में पाई जाने वाली सिल्जेनेला ब्रयोपेटेरीस नामक वनस्पति में चमक होती है। जो रात के अँधेरे में भी चमकती है और मुरझा जाने के पश्चात पानी में डालने पर तीन से चार घंटे में हरी हो जाती है जिसके कारण ये संजीवनी बूटी की प्रमाणिकता को सिद्ध करती है।

हिन्दू धर्म ग्रन्थ रामायण के अनुसार हनुमान जी को लक्ष्मण जी के प्राण की रक्षा करने के लिए संजीवनी बूटी लाने के लिए श्रीलंका से भारत आना पड़ा था। इस सन्दर्भ से भी अनुमान लगाया जा सकता है कि संजीवनी बूटी भारत (ज्ञात हो कि उस समय नेपाल भी भारत का हीं अंग था) में हीं पायी जाती है।

संजीवनी बूटी के औषधीय गुण :

इस वनस्पति में मानव शरीर की मृत कोशिकाओं को जीवित करने की शक्ति होती है। जिसके कारण हीं इस बूटी को अमर बूटी भी कहते है।

• हार्ट अटैक पड़ने पर संजीवनी बूटी का काढ़ा दवा का काम करता है।

• पेशाब में जलन होने पर इसबूटी का काढ़ा असरदार होता है।

• महिलाओं की माहवारी की अनियमित की समस्या को दूर करने में लाभकारी होती है।

• पीलिया रोग को ठीक करने में उपयोगी होती है।

इसके अतिरिक्त अन्य बीमारियों के इलाज के लिए संजीवनी बूटी के उपयोग हेतु वैज्ञानिकों द्वारा शोद्ध किया जा रहा है।

Ritu Soni

View Comments

Recent Posts

चेहरे पर होने वाले छोटे-छोटे पिंपल्स को ठीक करने के घरेलू उपाय

खूबसूरत और चमकता चेहरा पाने की ख्वाहिश तो हर किसी की होती है लेकिन चेहरे…

2 वर्ष ago

मेथी से बनी हुई नाइट एंटी-एजिंग क्रीम – क्रीम एक, फायदे अनेक

मेथी एक ऐसी चीज़ है जो दिखने में छोटी होती है पर इसके हज़ारों फायदे…

2 वर्ष ago

कुणाल कपूर के अंदाज में बनी लजीज रेसिपी नवरत्न पुलाव रेसिपी

यूं तो नवरत्न अकबर के दरबार में मौजूद उन लोगों का समूह था, जो अकबर…

2 वर्ष ago

सर्दियों के लिए ख़ास चुने हुए डार्क कलर सूट के लेटेस्ट डिज़ाइन

वैसे तो गहरे और चटकदार रंग के कपडे किसी भी मौसम में बढ़िया ही लगते…

2 वर्ष ago

सर्दियों में डैंड्रफ की समस्या से बचने के असरदार टिप्स

डैंड्रफ एक ऐसी समस्या है जो आपके बालों को तो कमज़ोर बनाती ही है, साथ…

2 वर्ष ago

इंस्टेंट ग्लो के लिए टॉप 3 होममेड चावल फेस पैक

हमारी त्वचा बहुत ही नाजुक होती है। यदि इसकी सही तरह से देखभाल नहीं की…

2 वर्ष ago