आशिक़ो का त्योहार बहुत ही नजदीक है – जी हाँ, हम बात कर रहे है वैलेंटाइन्स डे की, जिस दिन सभी अपने प्यार का इज़हार करते हैं। अगर आप इस दिन अपने प्यार का इज़हार कुछ अलग ढंग से करने चाहते हैं तो अंदाज़-ए-शायरी से बेहतर विकल्प और कुछ नहीं हो सकता है। और इश्क़ के इज़हार की बात हो और ग़ालिब साहब को याद न किया जाये ऐसा मुमकिन नहीं।
तो लीजिये फिर पेश है इश्क-ए-ग़ालिब और साथ में थोड़ा डोज़ दर्द-ए-ग़ालिब का।
“ए जाने वफ़ा यह कभी मुमकिन ही नहीं ,अफसाना लिखुँ और तेरा नाम न आये। ”
लड़ते है और हाथ में तलवार भी नहीं। ”
‘ ग़ालिब” , जो लगाए बुझाये न बने ”
आखिर इस दर्द की दवा क्या है
मैं गया वक्त नहीं हूं, कि फिर आ भी न सकूं
➡ वैलेंटाइन्स डे पर दीजिये अपने प्यार को एक प्यार भरा तोहफा
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
में नहीं जनता की दुआ क्या है
न पूछा जाये उससे न बोला जाये मुझसे
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