अपनी कला को सही दिशा में आकर देने वाले को ही कलाकार कहा जाता है। ऐसा माना जाता है,कि किसी भी वस्तु की सुंदरता उसे देखने वाले की आँखों में होती है। यह आर्टिकल भी एक ऐसे कलाकार की कहानी है, जिसने फल के बीज को चुना है अपनी कला को आकार देने के लिए। वह बीज जो हम सब बाहर फेंक देते है, क्योंकि हमें उसके फल से मतलब होता है । लेकिन इनकी आशावादी सोच और नवोन्मेष के वजह से आज यह सबके लिए एक चर्चा का विषय बन गया है, कि क्या सही में एक साधारण सी दिखने वाली बीज को एक बहुत ही सुन्दर कृति का रूप दिया जा सकता है? आइये जानते है:
एवोकैडो एक ऐसा फल है जो सेहत की दृष्टि से बहुत गुणकारी है। डिप्रेशन , हृदय रोग , आँखों के लिए न जाने कितने ही ऐसे फायदे यह अपने आप में समाये रखता है जिससे हम सब अवगत है लेकिन इसके बीज को हम निकल के फेंक देते है।
जन कैम्पबेल एक ऐसी कलाकार है जो एवोकैडो के बीज को एक सुन्दर सी कलाकृति में परिवर्तित कर देती है, जिसे देख कर कोई भी यह नही कह सकता है कि यह एक फल के बीज द्वारा बनाई गयी है।
एक दोपहर में अपना लंच बनाते समय कैम्पबेल को एवोकैडो के बीज की सतह पर एक निशान देख कर यह ख्याल आया ,कि क्या इस पर दूसरी आकृतियां भी उकेरी जा सकती है। वह उसकी सतह को ऐसे उकेरना चाहती थी, कि वह साधारण सा दिखने वाला बीज एक सुन्दर सी कला में परिवर्तित हो जाये।
कहते है न जहाँ चाह है वहाँ राह है। बस फिर क्या था उसी दिन से वह आयरिश कलाकारा लग गई अपने प्रयासों में ,ताकि उस बीज को वह नया आकार देकर उसे एक तुच्छ वस्तु से उच्च वस्तु में बदल दे।
वह धीरे धीरे उस पर महीन रेखाओं द्वारा अलग अलग चीजे उकेरने लगी। उनकी ज्यादातर मुर्तिया केल्टिक फोल्कलोर की के डिजाईन से प्रभावित थी।
उन्होंने कई जंगली आत्माओ के चेहरे , प्राचीन देवी देवताओं के चेहरे और उनके बालो को उड़ते हुए दर्शाया है। इतना ही नहीं मशरुम के आकार को भी उन्होंने अपनी कलाकृतियों में सम्मिलित किया है।
एक फल के बीजों को इतनी सुन्दर और आकर्षक कृतियो में गढ़ना आसान नहीं होता है ।
उनके लघुचित्र जो एक बीज पर उकेरे गए है वह रखने में बहुत ही आरामदायक होते हैं । उसे आप पेंडेंट के तरह या फिर की चैन के तरह या सिर्फ एक छोटी मूर्ति की तरह अपने पास रख सकते हैं।
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