पूरा भारत 17 Oct 2020 से माँ दुर्गा के स्वागत के लिए तत्पर हो रहा है। इस तिथि से आगे के दस दिन लगभग हर हिन्दू व्यक्ति नवरात्रि के रूप में माँ दुर्गा के नौ रूपों का स्वागत करने के सुसज्जित हो रहा है। इस शुभकारी और मंगलकार्य में किसी प्रकार की कमी न हो और हर साधक अपना मनचाहा फल प्राप्त करने में सफल हो, इसके लिए पूजा से पहले यहाँ बताए उपायों और वास्तु टिप्स पर ध्यान दें।
नवरात्रि 2020 की पूजा से पहले करें ये काम
किसी भी प्रकार की पूजा से पहले जब सभी साधक घर की साफ-सफाई करके पूजा स्थल को भी नियमित रूप से गौ मूत्र से अच्छी तरह से साफ करते हैं, तब इसे शुभ माना जाता है। इसके बाद वास्तु के नियमों को ध्यान में रखते हुए निम्न उपाय अपनाते हुए साधक नवरात्रि की पूजा कर सकते हैं:
माँ दुर्गा की स्थापना:
नवरात्रि का पर्व ईश्वर के शक्ति स्वरूप की आराधना का पर्व माना जाता है। इस अर्थ में माँ दुर्गा को शक्ति का अवतार मानते हुए नवरात्रि में इनकी आराधना करनी चाहिए। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखें कि जिस कमरे में देवी-स्थापना करनी है, उसका रंग हल्का पीला, हरा या गुलाबी रंग का होना चाहिए।
प्रतिमा की स्थापना दिशा:
माँ दुर्गा की मूर्ति की स्थापना इस प्रकार से करनी चाहिए जिससे प्रतिमा का मुख दक्षिण की ओर या कहें तो उत्तर पूर्व की ओर होना चाहिए। इसके साथ ही घट-कलश की स्थापना भी अगर करनी है तो उसके लिए लकड़ी के साफ पट्टे पर स्वास्तिक का निशान बना कर मूर्ति के साथ रखा जा सकता है।
साधक की दिशा:
मूर्ति की पूजा करते समय साधक को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर बैठ कर पूजा करनी चाहिए। चारों दिशाओं में से पूर्व दिशा में देवताओं का वास माने जाने के कारण इसे पूजा के लिए उपयुक्त दिशा माना जाता है।
पूजा सामग्री की दिशा:
नवरात्रि की पूजा में केवल साधक और साधना ही नहीं, साथ-साथ नवरात्रि पूजा सामग्री का भी वास्तु के अनुसार बहुत महत्व माना जाता है। इसलिए इस सामग्री को दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
अखंड ज्योत की दिशा:
अधिकतर साधक पूरे नवरात्रि माँ की अखंड ज्योत जलाने की प्रक्रिया भी अपनाते हैं। इस समय ध्यान रखें कि इसकी दिशा दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर होनी चाहिए। ऐसा करने से घर में केवल पॉज़िटिव एनर्जी का ही वास रहेगा। इसके साथ ही प्रतिदिन दोनों समय पूजा करते समय धूप-बत्ती और घी की ज्योत को जलाना भी अनिवार्य होता है।
चन्दन का प्रयोग:
वास्तु के अनुसार अगर नवरात्रि की पूजा करते समय चन्दन का इस्तेमाल किया जाये तब इससे साधक की पूजा अधिक लाभकारी और मंगलकारी हो सकती है।
पूजा के लिए उपयुक्त बर्तन:
साधक कैसे बर्तनों का इस्तेमाल नवरात्रि की पूजा करें, इस संबंध में वास्तु में तांबे और पीतल के बर्तनों का उपयोग करने की सलाह दी गई है। इसके साथ अगर कोई साधक चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहता है तब वह भी अच्छा रहता है।
पूजा की विधि में सहयोगी कार्य:
दुर्गा माँ की पूजा से पहले मूर्ति स्थापना स्थल और घर के दरवाजे और चौखट पर स्वास्तिक का शुभ-निशान बुरी ताकतों को दूर रखने में सहायक होता है। पूजा के अंत में प्रतिदिन दोनों समय शंख और घंटा ध्वनि आसपास के वातावरण को शुद्ध रखते हैं।
इन सब उपायों को करके देवी दुर्गा की आराधना निश्चय ही सफल हो सकती है। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखें कि पूजा के बाद कोई भी सामग्री और फूल आदि को इधर-उधर फेंककर उसकी अवमानना न की जाये।
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