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वर्ष 2019 में पड़ने वाले सभी एकादशी व्रत के दिन और दिनांक की सूची

हिन्दू धर्म में कुछ तिथियाँ बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। ऐसी ही एक तिथि एकादशी की मानी जाती है। हिन्दू कलेंडर अनुसार हर पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है। एक मास में दो पक्ष होते हैं – कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष, यानि हर मास में दो एकादशी पड़ती हैं।

प्राचीन काल से एकादशी का व्रत और पूजन हिन्दू घरों में विशेषकर धार्मिक प्रवृति की बड़ी उम्र की महिलाओं द्वारा पूरी श्रद्धा से किया जा रहा है। आइये इस बारे में और अधिक जानने का प्रयास करते हैं:

एकादशी व्रत कब किया जाता है?

हिन्दू पंचांग में सब तिथियाँ संस्कृत भाषा के अनुरूप प्रचलित होती हैं। इस अर्थ में महीने में आने वाली ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है। हिन्दू पंचांग में पूरे माह को दो भागों- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के रूप में विभाजित किया जाता है। माह का प्रथम भाग जो अमावस्या के बाद आता है शुक्ल पक्ष और द्वितीय भाग जो पूर्णिमा के बाद आता है कृशन पक्ष कहलाता है।

2019 का श्रीगणेश सफला एकादशी से हो रहा है। 1 जनवरी को ही पड़ेगी 2019 का पहला एकादशी व्रत।

दोनों पक्षों में आने वाली ग्यारहवीं तिथियाँ एकादशी कहलाती है। इस प्रकार एकादशी माह में दो बार आती है। पुरानों में दोनों एकादशीयों का अपना अलग महत्व होता है।

एकादशी व्रत का क्या महत्व है?

पुराणों में स्कंदपुराण में एकादशी का महत्व बताते हुए कहा गया है कि जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उसके सभी पूर्वज स्वर्गारोहण करते हैं।

एकादशी का व्रत कैसे करते हैं?

जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है, उसे उस दिन गेहूँ, मसाले और किसी भी प्रकार की सब्जी का सेवन नहीं करना होता है। इस व्रत की शुरुआत एक दिन पहले अथार्थ दशमी से शुरू हो जाती है। इस दिन एकादशी के व्रत करने वाले सुबह स्नान करने के बाद बिना नमक का भोजन करते हैं। इसके साथ की हर प्रकार के निरामिष भोजन के साथ ही प्याज़, मसूर की दाल और शहद आदि भी नहीं खाया जाता है।

उसके बाद सूर्यास्त पर उनका व्रत शुरू हो जाता है, जो एकादशी के सूर्यास्त तक चलता है। इस तिथि के जाने के बाद होने वाले सूर्योदय पर ही व्रती अपना व्रत सम्पूर्ण मानते हैं।

इस व्रत को किसी भी उम्र और लिंग का व्यक्ति कर सकता है। इस व्रत को करने वाला पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करता है।

एकादशी के व्रत नियम में किसी पेड़ की डाल या पत्ते को तोड़ना मना होता है। इस अर्थ में नीम का दातुन भी नहीं किया जाता है। इस दिन मुंह साफ करने के लिए सादे पानी से कुल्ला करके काम चलाया जाता है।

एकादशी के व्रत में क्या खाएं?

जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करते हैं वो भोजन में ताजे फल, मेवे, दूध और आलू के अतिरिक्त चीनी, अदरक आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त वो चाहें तो नारियल, जैतून, सेंधा नमक, शकरकंद, कुट्टू, काली मिर्च और साबुदाना भी ले सकते हैं।

वर्ष 2019 में एकादशी व्रत किस दिन करें?

वर्ष 2019 में एकादशी व्रत को निम्न तिथियों पर किया जा सकता है:

दिन व तिथि                                    एकादशी का नाम

मंगलवार, 01 जनवरी                   सफला एकादशी

गुरुवार, 17 जनवरी                     पौष पुत्रदा एकादशी

गुरुवार, 31 जनवरी                       षटतिला एकादशी

शनिवार, 16 फरवरी                         जया एकादशी

शनिवार, 02 मार्च                             विजया एकादशी

रविवार, 17 मार्च                             आमलकी एकादशी

रविवार, 31 मार्च                           पापमोचिनी एकादशी

सोमवार, 15 अप्रैल                            कामदा एकादशी

मंगलवार, 30 अप्रैल                         वरुथिनी एकादशी

बुधवार, 15 मई                                  मोहिनी एकादशी

गुरुवार, 30 मई                                    अपरा एकादशी

गुरुवार, 13 जून                                  निर्जला एकादशी

शनिवार, 29 जून                                योगिनी एकादशी

शुक्रवार, 12 जुलाई                            देवशयनी एकादशी

रविवार, 28 जुलाई                              कामिका एकादशी

रविवार, 11 अगस्त                         श्रावण पुत्रदा एकादशी

सोमवार, 26 अगस्त                               अजा एकादशी

सोमवार, 09 सितंबर                          परिवर्तिनी एकादशी

बुधवार, 25 सितंबर                                इन्दिरा एकादशी

बुधवार, 09 अक्टूबर                              पापांकुशा एकादशी

गुरुवार, 24 अक्टूबर                                   रमा एकादशी

शुक्रवार, 08 नवंबर                                 देवुत्थान एकादशी

शुक्रवार, 22 नवंबर                                 उत्पन्ना एकादशी

रविवार, 08 दिसंबर                                  मोक्षदा एकादशी

रविवार, 22 दिसंबर                                  सफला एकादशी

ऐसी मान्यता है कि एकादशी का व्रत हवन, यज्ञ या किसी भी प्रकार के वैदिक कर्म-कांड से अधिक फलदायी होता है। इस व्रत को मुख्य रूप से वैष्णव संप्रदाय के लोग करते हैं, लेकिन गैर-वैष्णव भी उतनी ही श्रद्धा से इस व्रत को करते हैं।

➡ वर्ष 2019 में पूर्णिमा व्रत के दिन और दिनांक की सम्पूर्ण सूची 

Charu Dev

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