मैं अपने हरे-भरे लॉन में गुलाब के पौधों की छंटाई करते-करते अपने अगले लेख के विषय के बारे में सोच ही रही थी कि तभी लॉन के उस पार मिसेज़ जोशी मेरे सामने प्रगट हईं और कहने लगीं, “यह क्या हर वक्त फिजूल के कामों में अपने आप को खपाये रखती हो? हमने तो भई माली रख रखा है। महीने के 3,000 लेता है, लेकिन मेरे लॉन को इतना शानदार मेंटेन करता है कि क्या बताऊं?
तुम्हें तो हमारे साथ तनिक भी गपियाने की फुर्सत ही नहीं मिलती। भई कभी तो चंद बातें हमसे भी कर लिया करो। जिंदगी एक बार मिलती है। इसे इन फिजूल के घर के कामों और पन्ने काले करने में क्यों जाया करती हो? मैंने तो नौकरों की पूरी फौज लगा रखी है घर के सारे कामों के लिए। दस हज़ार की बड़ी रकम खर्च करती हूं उन पर और खुद लाइफ भरपूर एंजॉय करती हूं। ग्यारह बजे तक सारे नौकरों से काम करवा कर फ्री होकर अपने लॉन में बैठ जाती हूं और देखो कॉलोनी की सभी लेडीज़ के साथ मजेदार गपशप का आनंद उठाती हूं और एक तुम हो, हर वक्त पैसे बचाने की जुगाड़ में लगी रहती हो।”
“मिसेज जोशी, मेरा लाइफ एंजॉय करने का फंडा बिल्कुल अलहदा है। माफ करें, मुझे अपने घर के काम खुद करने में और लिखने पढ़ने में ही जीवन की सार्थकता नजर आती है। आपकी इस सो कॉल्ड गप्पबाजी में मुझे तनिक भी इंटरेस्ट नहीं। चलूं, बहुत काम पड़ा है करने को”, यह कहकर उन्हें मुंह बिचकाता छोड़ मैं अपने घर के भीतर घुस गई।
न जाने कितनी बार वह मुझे स्वयं नौकरों से काम करवाने और मेरे सारे काम खुद करने के मुद्दे को लेकर मुझे नीचा दिखा चुकी थीं जिसकी परिणति आज मेरे इन कटु बोलों में हुई। मुझे अपने लेख का नया टॉपिक मिल चुका था और मैंने ऐसी ही महिलाओं की प्रवृत्तियों पर अपना लेख शुरू कर दिया।
महिलाओं के स्वभाव में अंतर्निहित पहली नेगेटिव क्वालिटी जो मेरे लिखने में आई वह थी उनकी डींग मारने की आदत जिसकी एक स्पष्ट बानगी आपने और मैंने अभी अभी मिसेज जोशी के आचरण में देखी।
अमूमन महिलाएं दूसरों की चुगली करने में बेहद रस लेती हैं। बिना यह अहसास किए कि वे स्वयं कोई दूध की धुली नहीं है और उनकी यह प्रवृति दूसरों की नजरों में उन्हें भी कटघरे में खड़ा कर सकती है। दूसरों की पीठ पीछे बुराई करना कॉलोनी की श्रीमती शर्मा का प्रिय शगल है। उनकी इस आदत को उनके परिचय क्षेत्र के लगभग सभी लोग पहचान गए हैं जिसकी वजह से वह अपने सभी परिचितों के उपहास का केंद्र बन चुकी हैं और लोग उनसे अपनी बातें शेयर करने से कतराने लगे हैं।
अनेक महिलाओं में गपोड़ीपन का कीटाणु भी बहुतायत में पाया जाता है! जिसके कारण इसकी शिकार स्त्रियां अपना, साथ ही अपने सामने वाले का बहुत बेशकीमती समय और ऊर्जा बर्बाद कर देती हैं। मेरे घर के सामने रहने वाली श्रीमती दीक्षित बिना समय देखे किसी को भी अपनी गप्पबाजी में उलझा लेती हैं बिना यह देखे कि सामने वाले के पास उनकी गप्पे सुनने का वक्त है भी या नहीं।
कई स्त्रियों में यह गलतफहमी होती है कि उनका सेंस ऑफ ह्यूमर जबरदस्त है और वह इसके नाम पर कहीं भी, कभी भी, किसी की किसी भी बात पर टांग खींचना शुरू कर देती हैं। बिना यह रियलाइज़ किए कि उनकी यह प्रवृति अगले को बेहद आहत और असहज कर सकती है और लोगों के बीच उनकी छवि धूमिल कर सकती है।
अनेक महिलाओं को यह खुशफहमी होती है कि वह हर मायने में दूसरों से श्रेष्ठ हैं। उन्हें अपनी हर बात जैसे योग्यता, कार्य क्षमता, आदि को लेकर ओवर कोनफीडेन्स होता है कि इन सब बातों में उनको कोई टक्कर नहीं दे सकता। इसके चलते उनके रवैये में दूसरों को अपने से कमतर समझने की प्रवृति पैठ जाती है जिसके कारण वह बात बे बात अपने सामने वाले को नीचा दिखाती हैं। यहां तक कि उनका अपमान करने तक से नहीं चूकती।
कभी-कभी उन्हें अपनी इस सुपीरियोरिटी कॉम्प्लेक्स का बड़ा खामियाजा भी भुगतना पड़ता है। अभी हाल ही में मेरे ऑफिस में इस बीमारी से ग्रस्त एक सीनियर दूसरे शहर से स्थानांतरित हो कर आईं। आफ़िस में आते ही उन्होंने अपनी इस आदत के चलते अपने सहकर्मियों के लगभग हर कार्यकलाप पर अपनी उंगली उठानी शुरू कर दी और हर जगह अपना फैसला लादने की कोशिश शुरू कर दी।
कुछ ही दिनों में इस वजह से उनके सहकर्मी एवं जूनियर उनकी इस बात से खार खाने लगे । जब यह बात उनके सीनियर तक पहुंची और उन्होंने मामले की छानबीन की, उस महिला को दोषी पाया गया और उनकी नौकरी खतरे में पड़ गई। बहुत हील हुज्जत और माफी मांगने पर ही उनकी नौकरी बच पायी।
कई स्त्रियों में बनावटीपन का खतरनाक कीड़ा होता है जिसकी वजह से वह वह बनने का प्रयास करती है जो वह यथार्थ में नहीं होती। वे हर बात में यह दिखाने की चेष्ठा करती हैं कि उनके जैसी योग्य, हर मुद्दे पर वांछनीय जानकारी रखने वाली दुनिया जहान की खबरों से परिचित शख्सियत कहीं ढूंढ़े ना मिलेंगी। परंतु जब भी कोई उनसे इन मुद्दों पर गहराई से चर्चा करता है, हर मुद्दे पर उन का का सतही ज्ञान उनकी पोल खोल देता है।
अतः खुदा ना खास्ता यदि आप भी ऐसी किसी आदत का शिकार हैं तो वक्त रहते चेत जाएं और उसे नियंत्रित करने और त्यागने का भरसक प्रयत्न करें जिससे इनके चलते आप निजी, पारिवारिक या पब्लिक लाइफ में कभी किसी असहज स्थिति में ना पड़ें और आप की छवि पर कोई आंच न आए। कहीं ऐसा न हो कि आपकी इन आदतों के चलते आपके परिचित आपको देखते ही कन्नी काटने लगें और आपके परिचय क्षेत्र में आपकी लोकप्रियता और गुडविल का ग्राफ निरंतर गिरता जाए। याद रखें, आपका सहज, संजीदा और संतुलित आचरण ही आपके सफल सार्थक जीवन की नींव रखेगा।
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