जुड़वाँ बच्चे कई बार एक जैसी शक्ल और कद के होते हैं। इसके विपरीत कुछ जुड़वाँ बच्चे अलग -अलग शक्ल और कद के होते हैं। अक्सर ऐसे बच्चों को देख कर मन में सवाल उठता है कि ये कैसे संभव होता है। इसके पीछे कई काल्पनिक कथाएँ भी समाज में प्रचलित हैं।
किन्तु वस्तुतः इसके पीछे वैज्ञानिक कारण छुपा होता है। ऐसा स्त्री के शरीर में गर्भ ठहरने के पहले होने वाली फर्टिलाइजेशन प्रक्रिया घटित होने के दौरान होने वाले बदलाव के कारण होता है। आइये जाने इस लेख के माध्यम से जुड़वाँ बच्चे होने के कारण।
जुड़वाँ बच्चे दो प्रकार के होते हैं:
● द्विअंडज जुड़वाँ (Dizygotic):
जब स्त्री के गर्भ में सहवास क्रिया के दौरान पुरुष के दो शुक्राणु से दो अलग -अलग अंडे निषेचित होते हैं। तो ऐसे में जुड़वाँ बच्चे का जन्म होता है। ऐसे जुड़वाँ बच्चों की शक्ल एक -दूसरे से भिन्न होती है।

● अभिन्न जुड़वाँ (Monozygotic):
जब स्त्री के गर्भ में सहवास क्रिया के दौरान पुरुष के एक शुक्राणु से एक अंडे के निषेचन क्रिया के दौरान शुक्राणु दो कोशिकाओं में विभक्त हो जाते हैं। ऐसे में एक अंडे के अन्दर दो भ्रूण पलने लगते हैं। जिसके कारण जुड़वाँ बच्चों का जन्म होता है। ऐसे जुड़वाँ बच्चों की शक्ल एक जैसी होती है।
जुड़वाँ बच्चे होने के कारण
● अनुवांशिक कारण:
यदि स्त्री जुड़वाँ पैदा हुई हो, तो उसके द्वारा जुड़वाँ बच्चे को जन्म देने की संभावना ज्यादा होती है। इसके अतिरिक्त यदि गर्भवती स्त्री के परिवार में जुड़वाँ बच्चे पैदा होने का इतिहास रहा हो। तब भी उसे जुड़वाँ बच्चे होने की संभावना रहती है।
● स्त्री के शरीर का बॉडी मास इंडेक्स:
यदि स्त्री का बॉडी मास इंडेक्स (BMI)- 30 या इससे से अधिक हो। तब भी जुड़वाँ बच्चे होने की संभावना होती है। ज्यादा लम्बी स्त्रियों द्वारा भी जुड़वाँ बच्चे को जन्म देने की सम्भावना होती है।
● आईवीएफ प्रक्रिया द्वारा गर्भाधारण :
आईवीएफ (IN Vitro Fertilization) प्रक्रिया से गर्भवती हुई महिलाओं द्वारा भी जुड़वाँ बच्चे को जन्म देने की संभावना ज्यादा होती है।
● गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन :
गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन करते रहने के बाद जब गोलियां खाना बंद कर दिया जाता है। तो शरीर में हार्मोनल बदलाव के दौरान गर्भ ठहरने पर भी जुड़वाँ बच्चे के पैदा होने की संभावना रहती है।
Mujko bhai judba bache chaiya
Ok ho jaenge