आज किटी पार्टी में पूरे वर्ष भर बाद मैंने ग़ज़ल को देखा था। जहां तक मुझे याद था, सादगी भरे लिबास में सुरुचिपूर्ण मेकअप एवं साजसज्जा में स्वाभाव से इंट्रोवर्ट शर्मीली, छुईमुई सी, अपने चेहरे पर एक प्यारी सी मीठी सी मुस्कान लिए गजल की शख्सियत उसके नाम के अनुरूप एक बेहद खूबसूरत गजल की मानिंद ही कशिश भरी थी।
कोई उसे एक बार देखता तो उसकी नजरें उसकी चुंबकीय आकर्षण भरी शख्सियत पर पल भर के लिए ठहरे बिना नहीं रहती। लेकिन आज की पार्टी में जब मैंने उसे किटी पार्टी में देखा तो मैं उसमें आए बदलाव को देखकर सन्न रह गई।
एक साधारण से सलवार सूट में पिछले वर्ष वाली गजल की तुलना में वह 10 वर्ष बड़ी दिख रही थी। उसका निस्तेज, बेरौनक जर्द चेहरा, बुझी-बुझी आंखें देख कर मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि यह वही ग़ज़ल है जो कभी हमारी पार्टियों की शोभा हुआ करती थी। पूरे समय पार्टी में चुपचाप फटी फटी निगाहों से शून्य में ताकती एक कोने में बैठी रही।
किटी पार्टी से घर आने के बाद मैंने अपनी एक परिचिता को फोन कर गजल के विषय में पूछा। उन्होंने ही मुझे बताया कि “उसके माता पिता की मृत्यु बचपन में ही हो गई थी। उसका लालन-पालन चाचा चाची के घर बेहद दबाव भरे वातावरण में हुआ। उसके पति बेहद डोमिनेटिंग और कम बोलने वाले थे। सास और ससुर दोनों ही बेहद दबंग थे। पति, सास और ससुर तीनों उसे अंगूठे के नीचे दबा कर रखते ।
डॉक्टर ने ही बताया कि विवाह से पहले और बाद में प्रतिकूल परिस्थितियों में वह डिप्रेशन और अकेलेपन से ग्रस्त हो गई। अब डॉक्टर ने उसे दवाइयों के साथ साथ खूब घूमने फिरने और सोशलाइज करने के लिए कहा है इसीलिए उसके पति ने मुझे बुलाकर कहा कि “इसे अपने साथ दोबारा किटी पार्टी में ले जाया करिए, इसे अच्छा लगेगा”।
परीचिता की यह बातें सुन मैं सोच में पड़ गई। सोच विचार करते-करते मैं अपने फोन पर सर्फिंग कर रही थी कि अचानक मेरी नजर एक कैप्शन पर पड़ी, “लोग अकेलापन क्यों महसूस करते हैं?” तो आइए आज चर्चा करते हैं इस विषय पर।
इंट्रोवर्ट लोग एक्सट्रोवर्ट्स की अपेक्षा अकेलापन अधिक महसूस करते हैं। वास्तविकता में बहुत से इंट्रोवर्ट लोगों के लिए बड़े ग्रुप के साथ सोशलाइजिंग करना कष्टप्रद लग सकता है।
मान लीजिए आप एक इंट्रोवर्ट हैं और आप एक पार्टी में हैं जहां आपको बहुत सारे लोगों के साथ बातचीत करने का मौका मिल रहा है। आपके लिए इस प्रकार की सोशलाइजिंग एंजॉयबल हो सकती है लेकिन आप इस प्रक्रिया में निश्चित ही किसी के साथ नजदीकी नहीं महसूस कर पाएंगे।
कभी कभी आप अकेलापन महसूस करते हैं और आप अपनी इस फीलिंग को समझ पाने में असमर्थ रहते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि यह आपके गुजरे हुए समय से संबंध रखता है। हो सकता है आपका पास्ट दुखद हो या आप एक इकलौती संतान हों , शर्मीले हो या स्कूल में अन्य बच्चों के साथ घुले मिले ना हो । इस स्थिति में यदि आप अब एक सामान्य, खुशदिल वयस्क हैं तो भी हो सकता है कि आप अभी तक गुजरे हुए दिनों के अकेलेपन को दिल से लगाए बैठे हैं।
डिप्रेशन हमें अपने भीतर किसी कमी का एहसास कराते हुए हमें यूज़लेस होने का भान कराता है। यदि आपको लगता है कि आप में बहुत कमियां हैं और आप यूज़लेस हैं तो इस स्थिति में आप दूसरों से मानसिक रूप से कतई नहीं जुड़ पाएंगे और परिणाम स्वरूप अकेलापन महसूस करेंगे।
आज तकनीकी के प्रसार और जिंदगी में प्राइवेसी की चाहत ने सबको अपने-अपने घरों में लगभग कैद सा कर दिया है। वो जमाने गए जब लोग अपने घरों से बाहर निकल पड़ोसियों का हालचाल पूछते हुए अनजाने में अपने दुख-दर्द एक दूसरे से शेयर कर लेते थे।
आज के वयस्कों ने मीडिया के विभिन्न साधनों जैसे टीवी, कंप्यूटर, फोन के मकड़जाल में फंस पड़ोसियों से मिलना-जुलना बहुत कम कर दिया है। यह उनके अकेलेपन की फीलिंग के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है।
आज घरों में एसी का प्रचलन बढ़ गया है। गुजरे जमाने में जब भी गर्मी बढ़ती थी लोग ठंडी बयार का आनंद लेने घर से बाहर निकल जाया करते थे। लेकिन इसके विपरीत गर्मी बढ़ने पर आज लोग एयर कंडीशंड घरों में घुस जाते हैं। इस प्रकार पड़ोसियों से इंटरेक्शन बहुत कम होता है और लोगों को अकेलेपन का एहसास होता है।
भौतिक समृद्धि की अंतहीन अंधी दौड़ में आज मनुष्य अपने वर्क शेड्यूल में इतना व्यस्त हो चला है कि वह अपने काम के आगे परिवार को भी साइडट्रैक करने लगा है । आपको अपने परिचय क्षेत्र में अनेक ऐसे वर्कौहोलिक मिल जाएंगे जो प्रोफेशनली बेहद सफल और समृद्धि हासिल कर चुके हैं लेकिन उनका पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन बेहद असंतोषजनक है। यह लोगों में अकेलेपन की फीलिंग के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है।
जिन लोगों में आत्मविश्वास की कमी होती है ऐसे लोग अमूमन यह विश्वास करते हैं कि अन्य लोग उन्हें अपना अटेंशन नहीं देंगे और यह अकेलापन फील करने का एक मुख्य कारण है।
लोगों से दूरी बनाते हुए उनसे अपने आप को अलग थलग कर लेने से भी आपको अकेलेपन का एहसास हो सकता है। यदि आप सामने वाले को यह एहसास नहीं कराएंगे कि आप उसके लिए भावनात्मक रूप से उपलब्ध हैं या आप नए मित्र बनाने या नजदीकी संबंध बनाने के इच्छुक हैं, वह आपके साथ नजदीकी रिश्ता कायम करने के लिए अपने कदम आगे नहीं बढाएगा।
सोशल मीडिया पर अत्यधिक एक्टिव रहना हमें यह फील करा सकता है कि हम अनेक लोगों के साथ तो हैं, लेकिन आमने-सामने इंटरेक्शन के अभाव में अथवा उनके साथ जिंदगी शेयर करने के अभाव में हम अकेलापन महसूस कर सकते हैं।
जब भी हम अपने किसी मित्र को अपने अन्य मित्रों के साथ एंजॉय करते हुए उनका हंसता मुस्कुराता फोटो देखते हैं यह हमारे अकेलेपन के एहसास को बढ़ा देता है। हमें लगता है कि हमारे मित्र एक दूसरे के साथ बढ़िया समय गुजार रहे हैं और हम अकेले फोन पर लगे हुए हैं। यदि हम पहले से तनिक अकेलापन महसूस कर रहे हैं तो यह विश्वास करना आसान हो जाता है कि बाकी सब लोग लाइफ़ शिद्दत से एंजॉय कर रहे हैं।
क्या अभी तक आप वास्तव में यह नहीं समझ पाए हैं कि आपको क्या करना या कैसे लोगों के साथ मिलना जुलना खुश करता है? हो सकता है आप ऐसे करियर में हैं जो आपको सूट नहीं करता या आप ऐसे लोगों से घिरे हुए हैं जिनसे आप मानसिक रूप से कनेक्ट नहीं हो सकते क्योंकि वह आपसे मैच नहीं करते तो इस स्थिति में आप अकेलापन अनुभव कर सकते हैं।
जीवन एक सतत यात्रा है जिसके दौरान आप न जाने कितने लोगों से मिले और उनके स्नेह भाजन बने। लेकिन कभी-कभी कई कारणों से रिश्तों में दूरियां आ जाती हैं लेकिन इन कारणों को समझते हुए उनमें आई दूरी की वजह से हम कई गलतफहमियों का शिकार हो जाते हैं और अकेलापन महसूस करने लगते हैं।
किसी भी रिश्ते में नजदीकी का अभाव अकेलेपन को जन्म देता है। हो सकता है आपके संबंध बहुत लोगों से हो लेकिन यदि आपके संबंध करीबी नहीं है तो आप अनफुलफिल्ड महसूस करते हैं।
कभी-कभी बेहद खुशमिजाज प्रतीत होने वाला इंसान वास्तव में वह इंसान होता है जिसे अपने रिजेक्शन का घोर भय होता है और जो दूसरों को अपने करीब नहीं आने देता। ऐसा इंसान अकेलेपन का शिद्दत से अनुभव करता है
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