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क्यों शिवलिंग अपने घर पर नहीं रखना चाहिए?

आमतौर पर मंदिरों में जिन देवी देवताओं की उपासना की जाती है, उनकी पूजा अर्चना घर पर भी करने के लिए घर के मंदिर में उनकी मूर्तियां या तस्वीरें रखी जातीं हैं. हर देवी-देवता की उपासना से सम्बन्धित कुछ नियम भी होते हैं. जिनका यथोचित पालन करने पर ही सकारात्मक परिणाम मिलता है. शनि देव हों या भैरव देव, घर के मंदिरों में इनकी उपासना का प्रावधान नहीं है, ऐसे ही घर में शिवलिंग की स्थापना भी करने से मना किया जाता है. लेकिन आखिर क्यों शिवलिंग अपने घर पर नहीं रखना चाहिए? आइये जानते हैं-

१. घर पर शिवलिंग की पूजा करना नहीं है आसान

 

असल में भगवान शिव की उपासना का प्रतीक ‘शिवलिंग’ अपार ऊर्जा का प्रतीक है. इसलिए इसका शीतल रहना सकारात्मक ऊर्जा के लिए परमावश्यक है. मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर लगातार या तो आने वाले भक्तगण जल चढातें रहतें हैं या फिर शिवलिंग के ऊपर एक जल से भरा कलश लटकाकर शिवलिंग पर निरंतर जल चढ़ाया जाता है. शिवलिंग से लगातार ऊर्जा निकलती रहती है, जो आसपास का वातावरण सकारात्मक और शुभ रखती है. लेकिन इस अपार ऊर्जा को मंदिर में तो पर्याप्त स्थान और पर्याप्त जल मिलता रहता है, लेकिन घर में स्थापित शिवलिंग पर निरंतर जलाभिषेक करना संभव नहीं हो पाता और ना ही शिवलिंग की पूजा-अर्चना से सम्बंधित अन्य नियमों का यथोचित पालन करना आसान होता है.

२. अपार ऊर्जा बन सकती है परेशानियों का कारण

 

घर पर स्थापित शिवलिंग से इतनी ज्यादा ऊर्जा उत्सर्जित होती है कि ये घर में कई परेशानियों का सबब बन सकती है, जिससे सिरदर्द, मानसिक तनाव, शारीरिक व्याधियां और क्रोध आदि मुश्किलें आ सकती हैं. ये अति ऊर्जा खासतौर से घर की महिलाओं को नुक़सान पहुंचाती है, जिससे उनमें तनाव , अनेक तरह के स्त्री रोग उत्पन्न हो सकते हैं और घर में वाद विवाद की स्थितियां खड़ी हो सकती हैं. ऊर्जा अपनेआप में एक ज्वाला की भांति होती है, जिसकी अति किसी भी अन्य चीज की अति की ही तरह नुकसानदेह होती है.

 

३ . शिवलिंग को न रखें बंद कमरे या अँधेरे स्थान में

 

शिवलिंग को कभी भी अँधेरे स्थान या बंद कमरे में नहीं रखना चाहिए. ऐसा करने से शिवलिंग नकारात्मक ऊर्जा उत्सर्जित करने लगता है, जिसके परिणाम भयावह हो सकते हैं.

इन्हीं सब बातों के कारण, ऊर्जा के साक्षात स्वरुप शिवलिंग को घर में नहीं रखना चाहिए. शिवलिंग को पर्याप्त स्थान और निरंतर जलाभिषेक की जरुरत होती है, जो केवल मंदिर में ही संभव है. इसके साथ ही मंदिर आने वाले हर भक्त को भी शिवलिंग से ऊर्जा मिलती है. ऐसे में ऊर्जा के इस स्रोत्र का मंदिर में होना ही सबसे अच्छा है.

 

अंबिका

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