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गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है? और 26 जनवरी को क्यों?

भारत में हर बच्चे से प्राथमिक कक्षा में राष्ट्रिय त्योहार के रूप में स्वतन्त्रता दिवस व गंततन्त्र दिवस के प्रस्ताव लिखने का कार्य करवाया जाता है। लेकिन बड़े होने पर लगभग प्रत्येक व्यक्ति जीवन की भागदौड़ में इन दोनों दिवसों के महत्व व प्रारूप को भूल जाते हैं। तो आइये आपकी याददाश्त को थोड़ा ताज़ा करते हैं और बताते हैं कि भारत में गणतन्त्र दिवस क्यों मनाया जाता है।

गणतन्त्र दिवस क्या है?

राजपथ पर गणतन्त्र दिवस की परेड में छतीसगढ़ की झांकी

 

गणतन्त्र दिवस भारत की आजादी के पर्व में सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। दरअसल भारत को ब्रिटिश दासता से मुक्ति तो 15 अगस्त 1947 से मिल गई थी। लेकिन राजनैतिक आज़ादी मिलने के बाद भी भारत में ब्रिटिश कानून ही लागू था। सैद्धांतिक रूप से किसी भी देश को पूर्ण स्वतंत्र तभी माना जाता है जब उस देश का अपना मौलिक संविधान लागू हो।

क्योंकि 15 अगस्त 1947 पर देश के आज़ाद होने के समय नया संविधान लागू नहीं हुआ था, इस कारण इस आज़ादी को अधूरी आज़ादी माना जाता था। इसके अतिरिक्त एक अन्य कारण यह भी था कि भारत को आज़ाद करने से पूर्व ब्रिटिश सरकार ने भारतीय जनता के लिए नए संविधान की रचना का कार्य वर्ष 1946 में आरंभ कर दिया था। लेकिन अगस्त 1947 तक इसके पूरा न होने के कारण ब्रिटिश संविधान को ही लागू किया गया था।

अंततः 2 वर्ष,11 महीने और 18 दिनों के अंतराल पर 308 सदस्यों की 22 समितियों के द्वारा भारतीय संविधान के निर्माण का कार्य पूरा किया गया। संविधान सभा के अध्यक्ष विधिवेत्ता डॉ भीमराव अंबेडकर थे जिन्होनें 26 नवंबर 1949 को भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र के सुपुर्द कर दिया था। इसके बाद इसमें थोड़े से सुधार और बदलाव के बाद इसे अंतिम रूप प्रदान करके 24 जनवरी 1950 के दिन सभा के सभी 308 सदस्यों ने हस्ताक्षर कर दिये थे। इसके बाद इस पूर्ण रूप से लिखित संविधान को 26 जनवरी 1950 के दिन लागू कर दिया गया था।

26 जनवरी ही क्यों? 

भारत के स्वतन्त्रता आंदोलन में 1920 के बाद बहुत तेज़ी आ गई थी। 1929 में वर्ष के अंत में लाहौर में भारतीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन हुआ था । इस अधिवेशन में राष्ट्रिय कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू ने यह प्रस्ताव पास किया कि यदि ब्रिटिश सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनियन का पद नहीं देता है तब भारत स्वयं को एक स्वतंत्र इकाई घोषित कर देगा।

इस घोषणा के अनुसार भारत को डोमिनियन अथार्थ स्वायत्त उपनिवेश माना जाने का प्रयास था। तत्पश्चात ब्रिटिश सरकार द्वारा इस दिशा में कोई प्रयास न किए जाने पर कांग्रेस के आव्हान पर 26 जनवरी 1930 को भारत का स्वतन्त्रता दिवस घोषित कर दिया गया। इसके बाद 1947 तक यही दिन भारत की स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा था। इसलिए जब संविधान लागू करने का दिन निश्चय करने का निर्णय लिया जाना था तब इसी दिन को इस कार्य के लिए उपयुक्त समझा गया।

भारतीय गणतन्त्र दिवस से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

भारतीय गणतन्त्र दिवस से संबन्धित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी इस प्रकार है:

1. भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 के दिन सुबह 10.18 मिनट पर लागू किया गया था।

2. दिल्ली के राजपथ पर निकालने वाली गणतन्त्र दिवस की पहली परेड 26 जनवरी 1955 के दिन निकली थी।

3. भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 के दिन गवर्नमेंट हाउस के दिन शपथ ली थी।

4. गणतन्त्र दिवस के समापन समारोह को 29 जनवरी के दिन शाम के समय बीटिंग रिट्रीट के नाम से मनाया जाता है। इस समारोह में भारतीय सेना के तीनों अंगों, थल सेना, जल सेना और वायु सेना के बैंड हिस्सा लेते हैं।

5. इस दिन भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रपति तिरंगा झण्डा फहराते हैं और ध्वज को 21 तोपों की सलामी दी जाती है।

6. भारत के प्रधानमंत्री, दिल्ली के इंडिया गेट पर स्थिति अमर जवान ज्योति को श्रद्धांजलि देते हैं। यहाँ उन जवानों के नाम लिखे गए हैं जिन्होनें देश की आज़ादी में अपने प्राणों का बलिदान दिया था।

7. गणतन्त्र दिवस का मुख्य समारोह भारत की राजधानी दिल्ली में होता है जिसमें एक शानदार परेड का आयोजन किया जाता है। इस परेड में भारत की सैन्य शक्ति के साथ, विकास व संस्कृति की झांकी प्रस्तुत की जाती है। इस परेड में प्रति वर्ष किसी न किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेते हैं।

Charu Dev

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