धर्म और संस्कृति

क्यों माना जाता है ‘ॐ’ को विश्व का सबसे शक्तिशाली मंत्र?

ॐ- कहा जाता है कि जब ब्रह्मांड में कुछ भी नही था, अर्थात किसी भी जीवन के पहले यह जो ध्वनि मौजूद थी, वो है ॐ और आगे भी कब कुछ नही बचेगा, तब भी यह ध्वनि निरंतर सुनाई देगी क्योंकि इस शब्द का आरंभ तो है लेकिन अंत नही। ॐ अनंत है। इस जीवन के जो रचियता हैं, उसका समावेश जिस एक शब्द या मंत्र में है वह है ॐ ।

यह संसार से जुड़ा है। किसी एक धर्म से नहीं। तभी तो केवल हिन्दू धर्म मे ही नहीं, सिख, जैन और बौद्ध धर्म मे इसे पारंपरिक तरीके से इस्तेमाल किया जाता रहा है। किसी भी हवन में कोई में मंत्र के शुरुवात में उच्चारण करने वाला शब्द है ॐ। आज का यह लेख इस एक शब्दिय सबसे शक्तिशाली मंत्र को लेकर है जो आपको इसकी शक्ति के बारे में गहराई से बताएगा ।

ॐ मंत्र के उच्चारण से केवल आत्मिक शांति नही मिलती अपितु इसके चिकित्सीय, मनोवैज्ञानिक और अन्य कई लाभ हैं।

ॐ मंत्र जाप करने के स्वास्थ / चिकित्सीय लाभ

  • रोज़ाना ॐ के उच्चारण से हमारे पूरे शरीर को विश्राम मिलता है। इससे हारमोन तंत्र भी सुचारू रूप से कार्य करने लग जाता है।
  • इंटरनल स्ट्रेस (आंतरिक चिंता) और क्रोध पर काबू पाने का इससे ओर अधिक आसान तरीका ओर कोई नही है ।
  • कई लोग इससे इत्तेफ़ाक नहीं रखेंगे, लेकिन मानने वाले यह भी मानते हैं कि किसी प्रदूषित वातावरण में ॐ का जाप आपके शरीर को विष मुक्त करता है।
  • रक्त संचार और हृदय की गति को नियंत्रण करने में ॐ का उच्चारण काफी फायदेमंद होता है।
  • अनिद्रा की तकलीफ को दूर करने के लिए ॐ एक रामबाण इलाज है।
  • ॐ के उच्चारण से ही आपकी श्वास लेने की पध्दति ऐसी हो जाती है जिसमें आप अधिक ऑक्सीजन अंदर लेकर श्वास लेते हैं।

ॐ मंत्र जाप करने के मनोवैज्ञानिक व अन्य लाभ

  • ॐ से शरीर के भीतर की सारी नकारात्मक चीजे नष्ट हो जाती है और एक नई ऊर्जा का संचार होता है। आप अपने लक्ष्य की ओर अधिक केंद्रित हो जाते है।
  • इसका नियमित उच्चारण करने से तनाव कम होता है और चेहरे में अलग ही चमक आ जाती है जिससे आपका यौवन बरकरार रहता है।
  • सजकता ओर सतर्कता को बढ़ाने का सबसे अच्छा उपाय है ॐ मन्त्र का नियमित जाप।
  • इस मंत्र के जाप से वाणी में स्वयं ही मधुरता आने लगती है।
  • अवसाद (डिप्रेशन) के समय जब कोई उपाय काम नही करते हैं, तो आपको आंतरिक शक्ति देता है ॐ।
  • एकाग्रता और स्वयं को जानने के लिए भी ॐ का इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा है।
  • भ्रामरी प्राणायाम में भी ॐ का उच्चारण इसलिए किया जाता है, ताकि ध्यान एक जगह केंद्रित करने में सहायता मिले।
Jasvinder Kaur Reen

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