धर्म और संस्कृति

मंगलवार: बाल अथवा नाखून क्यों नहीं काटें?

हमारी भारतीय धार्मिक परंपरा के अनुसार मंगलवार को बाल अथवा नाखून नहीं काटने चाहिए। आइये, आज हम इसकी पृष्ठभूमि में छिपे विभिन्न कारणों की चर्चा करते हैं। 

वैज्ञानिक कारण:

अंतरिक्ष विज्ञान और ज्योतिष शास्त्र के प्राचीन एवं प्रामाणिक ग्रंथों में मंगलवार को बाल एवं नाखून नहीं काटने के सटीक  वैज्ञानिक कारणों का उल्लेख किया गया है।

वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुसार सप्ताह में कुछ ऐसे दिन होते हैं, जब हमारे सौरमंडल के कुछ ग्रहों से ऐसी किरणें निकलती हैं जो हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं।

मस्तिष्क एवं अंगुलियों के अग्रभाग हमारे शरीर का एक अति अहम हिस्सा होते हैं। मस्तिष्क का मध्य भाग  अति कोमल एवं संवेदनशील होता है। हमारे बाल इस नाजुक हिस्से की रक्षा करते हैं।

इसी प्रकार हमारी अंगुलियों के अग्रभाग भी अत्यंत कोमल  एवं संवेदनशील होते हैं। कठोर नाखून इनकी सुरक्षा कवच की भांति करते हैं । अतः मंगलवार को बाल और नाखून काटने से इन नुकसानदायी किरणों का प्रत्यक्ष प्रभाव हमारे मस्तिष्क और अंगुलियों के अग्र भाग पर पड़ सकता है।  

अतः  हमारी धार्मिक पुस्तकों एवं ऋषि संतों ने मंगलवार को बाल एवं नाखून नहीं काटने  का विधान  बनाया। 

शास्त्र सम्मत कारण:

हमारे प्राचीन धर्म शास्त्रों के अनुसार मंगलवार को बाल और नाखून काटने से हमारी उम्र कम हो जाती है। मंगलवार के दिन इन्हें काटना शास्त्रों के अनुसार निषिद्ध, निंदनीय एवं अधार्मिक कृत्य माना जाता है। 

ज्योतिषीय कारण:

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार का दिन मंगल ग्रह से संबंध रखता है। इस के अनुसार सौर मण्डल के विभिन्न ग्रह मानव शरीर के कुछ अंगों का प्रतिनिधित्व करते हैं।  मानव रक्त मंगल ग्रह के अधीन होता है। नाखून और बाल की बढ़वार प्रत्यक्ष रूप से रक्त से जुड़ी हुई है।

अतः मंगलवार  को बाल एवं नाखून काटने  से जातक पर मंगल ग्रह संबंधित अशुभ प्रभाव पड़ते हैं। उसे अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। मंगलवार को बाल एवं नाखून काटने से रक्त संबन्धित रोग होने की संभावना रहती है। इससे बचने के लिए मंगलवार को बाल एवं नाखून नहीं कटवाने का नियम बनाया गया है ।

यद्यपि आजकल के आधुनिक वैज्ञानिक युग में शिक्षा के प्रसार के कारण शिक्षित लोग हर प्राचीन परंपरा को विज्ञान एवं लॉजिक की कसौटी पर कसने लगे हैं।  तथापि हम इतना कहेंगे कि हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा बनाई गई प्राचीन परंपराएं बहुत हद तक वैज्ञानिक एवं तर्क सम्मत है, जिस वजह से ये  परंपराएं हमारे जीवन को गहराई से प्रभावित करती हैं।

Renu Gupta

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