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नवजात बच्चों को केवल माँ का दूध ही क्यों पिलाया जाता है?

सरकार द्वारा ज़ारी विज्ञापनों में, अपने बड़े-बुजुर्गों से, और यहाँ तक कि डॉक्टरों के मुंह से भी हम सबने कई बार यह सुना है कि माँ का दूध ही शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर नवजात शिशु के लिए माँ का दूध ही क्यों सर्वोत्तम माना जाता है। यदि नहीं, तो हम आपको बताएँगे कि माँ के दूध में ऐसी क्या खासियत है कि शिशु को शुरूआती ६ महीनों तक केवल स्तनपान पर रखने की सलाह दी जाती है।

१) माँ का दूध पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है और नवजात की सारी पोषक तत्त्वों की ज़रूरतों को अकेले ही पूरा करने में सक्षम होता है।

२) माँ का दूध बच्चे को अल्लेर्जी, बीमारियों और मोटापे से दूर रखता है।

३) स्तनपान करने वाले शिशु को मधुमेह और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम रहता है। इसके अलावा कई प्रकार के संक्रमण जैसे कि कानों के संक्रमण आदि से भी माँ का दूध बच्चे की रक्षा करता है। माँ के दूध में इम्युनोग्लोबुलिन नामक एक सुरक्षात्मक प्रोटीन पाया जाता है, जो नवजात की सभी प्रकार के संक्रमणों से रक्षा करता है।

४) माँ का दूध आसानी से पचाया जा सकता है और इससे कब्ज़, डायरिया, पेट खराब आदि का भय नहीं रहता। यह पूर्ण रूप से सुरक्षित होता है।

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५) स्तनपान करने वाले शिशु का वज़न स्वभाविक रूप से बढ़ता है और बच्चे की ग्रोथ सामान्य ढंग से होती है।

६) यह भी पाया गया है कि स्तनपान करने वाले शिशुओं का दिमाग अन्य बच्चों की तुलना में अधिक तेज़ होता है और उनका बौद्धिक स्तर अन्य बच्चों से बेहतर होता है।

७) स्तनपान से माँ और बच्चे में भावनात्मक रिश्ता कायम होता है।

८) यह सुनकर आपको आश्चर्य होगा लेकिन यह वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हुआ है कि माँ का दूध शिशु की ज़रूरतों के अनुरूप परिवर्तित होता रहता है। शिशु की उम्र, स्तनपान के समय और शिशु की दूध की ज़रूरत के हिसाब से माँ के दूध में बदलाव होते रहते हैं।

९) माँ का दूध बोतल के दूध के मुकाबले अधिक स्वच्छ होता है क्योंकि बोतल के दूध से संक्रमण आदि फैलने का डर रहता है पर माँ के दूध में इस प्रकार का कोई खतरा नहीं होता और बोतल आदी साफ़ करने का झंझट भी नहीं रहता।

१०) माँ का दूध प्रकृति द्वारा उपलब्ध करवाया गया एक ऐसा खाद्य है जो हर वक़्त उपलब्ध होता है, जब जहाँ चाहिए वहाँ। साथ ही, यह सही तापमान पर होता है और इसे उबालने आदि का झंझट भी नहीं होता।

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विद्या सिंघानिया

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