मासूम चेहरा और दिलकश मुस्कान,और उस पर दिल चुराने वाली शोख़ी भी!! सादगी भी, तो खूबसूरती भी, नज़ाकत भी तो कुछ अदाएं भी !! कुछ ऐसी ही थीं ‘मधु बाला’. बॉलीवुड की सबसे हसीन अदाकाराओं में से एक ‘मधुबाला’ आज भी लोगों के दिलों पर राज़ करतीं हैं.
14 फरवरी 1933 को इस दुनिया में आई ‘मधुबाला’ का असली नाम ‘मुमताज़ जहाँ देहलवी’ था, उन्हें ‘मधुबाला’ नाम उस जमाने की मशहूर अदाकारा ‘देविका रानी’ ने दिया था. मधुबाला ने महज़ दस साल की उम्र में फ़िल्म ‘बसंत’ में बाल कलाकार की भूमिका दमदार तरीके से निभाकर अपने अभिनय का सिक्का जमा लिया था.
मधुबाला ने इस फिल्म के बाद कई फिल्मों में काम किया। उनकी रहस्य रोमांच से भरपूर फ़िल्म ‘महल‘ ने कामयाबी के झंडे गाड़कर मधुबाला के लिए शोहरत के दरवाज़े खोल दिए. मधुबाला ने कई बेहतरीन फिल्मों में शानदार काम किया. जिनसे उनकी खूबसूरती और अदाकारी के मुरीदों में लगातार इज़ाफ़ा होने लगा.
यूं तो मधुबाला ने कई बेहतरीन नायकों के साथ काम किया, लेकिन उनकी जोड़ी दिलीप कुमार के साथ खासतौर पर पसंद की गयी.
मधुबाला और दिलीप कुमार की ‘मुगले-आज़म’ को हिन्दी की आज तक की सर्वश्रेष्ठ फिल्म माना जाता है. अभिनय में ठहराव और बारीकी किसे कहतें हैं – ये उनकी इस फ़िल्म में साफ़ देखा जा सकता है. मधुबाला में काम के प्रति ग़ज़ब का समर्पण भाव था, दिल की बीमारी से जूझने के बावज़ूद उन्होंने बिना किसी रुकावट के अपनी फ़िल्म की शूटिंग बखूबी ज़ारी रखी. कहना ना होगा कि उनकी ये फ़िल्म मील का पत्थर साबित हुई.
दिलीप कुमार के साथ ही मधुबाला की जोड़ी उस दौर के मशहूर अभिनेता ‘किशोर कुमार’ के साथ भी काफी मशहूर हुई. मधुबाला ने उनके साथ ‘चलती का नाम गाड़ी‘ और ‘झुमरू‘ जैसी कई बेहतरीन फिल्में कीं.
कई फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखाने के बाद तबीयत नासाज़ न होने के कारण मधुबाला ने काम करना बंद कर दिया और आखिरकार 23 फ़रवरी 1969 को इस दुनिया से रुखसत हो गयीं और इस तरह भारतीय सिनेमा के एक सुनहरे और क़ीमती दौर का अंत हो गया.
लेकिन अपने जाने के इतने सालों बाद भी मधुबाला भारतीय सिनेमा जगत का वह ‘सुनहरा आसमान’ हैं जहाँ तक पहुँचने का हर अदाकारा सपना जरूर देखती है. आज भी किसी अभिनेत्री की तुलना अगर मधुबाला से की जाती है, तो वह उसे बेस्ट कॉम्पलिमेंट मानतीं हैं.
असल में मधुबाला के बाद एक ‘माधुरी दीक्षित’ ही हैं जिनमें मधुबाला की शोख़ी खूबसूरती और बेहतरीन अदाकारी की शानदार झलक देखी और महसूस की जा सकती है. मधुबाला की ‘मिलियन डॉलर स्माइल’ आज भी करोड़ों दिलों को चुराने का माद्दा रखती है. मशहूर चित्रकार ‘मकबूल-फ़िदा-हुसैन’ को यूं ही ‘माधुरी दीक्षित’ में ‘मधुबाला’ नहीं दिखीं थीं.
मधुबाला अपनेआप में अदाकारी का एक मुकम्मल स्कूल थीं. उन जैसी शख़्सियत सदियों में एक बार जन्म लेती है और करोड़ों दिलों को रोशन कर जाती हैं.
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