केरल में राजधानी तिरुवनंतपुरम से 180 किमी दूर मौजूद 800 साल पुराना सबरीमाला भगवान अयप्पा का मंदिर है। दक्षिण का तीर्थ कहे जानेवाले इस मंदिर में भगवान अयप्पा शिव और माता मोहिनी के पुत्र हैं। मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान शिव भगवान विष्णु के मोहिनी रूप पर मोहित हो गए, जिससे अयप्पा का जन्म हुआ।
वैसे इस मंदिर में हर धर्म- जाति के लोग आ सकते हैं लेकिन 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश की मनाही है। इस मंदिर से जुड़े धर्मावलंबी मानते हैं कि माहवारी के वक्त महिलाएं अशुद्ध हो जाती है। आमतौर पर भारत में सभी मंदिरों में माहवारी के समय मंदिरों में न जाने की परंपरा है। लेकिन सबरीमाला में ये परंपरा नहीं, नियम है जिसे हर हद तक मनवाया जा रहा है।
➡ क्यों पहाड़ी मंदिरो में महिलाओं का पीरियड्स में जाना वर्जित होता है?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को हटाने का फैसला दिया है लेकिन अब तक इसका पालन संभव नहीं हो पाया है।
महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी के पीछे दो कहानियां सबसे ज्यादा मशहूर हैं।
कहा जाता है कि अयप्पा को माता मोहिनी ने पंपा नदी के किनारे छोड़ दिया, जिसके चलते पंडालम के राजा राजशेखरा ने अयप्पा का लालन-पालन किया। लेकिन अयप्पा राजकाज छोड़कर जंगल में चले गए। अयप्पा दो पुरुषों से पैदा हुए पुत्र थे। उन्होंने जंगल में एक खतरनाक राक्षसी को मार गिराया, जिसे शिव और विष्णु का पुत्र ही मार सकता था। उसे मारने के बाद राक्षसी के शव से एक खूबसूरत महिला निकली। उस महिला ने अयप्पा से शादी करने की इच्छा जताई। लेकिन अयप्पा ने ये कहकर इंकार कर दिया कि उन्हें अपने भक्तों की मदद के लिए जाना है।
उस महिला को अयप्पा ने कहा कि जिस दिन उनके नए भक्त आना बंद हो जाएंगे वह उनसे शादी करे लेंगे। लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। मान्यता है कि वह महिला मलिकापुरथम्मा सबरीमाला के रास्ते में ही आनेवाले एक मंदिर में उनका इंतजार कर रही है। इस महिला के त्याग और अयप्पा के ब्रहचर्य के सम्मान के चलते ही 10-50 साल की महिलाओं की इस मंदिर में आने की मनाही है।
एक किवदंती यह भी है कि अयप्पा ने अपने राज्य को अरब के राजा बाबर, जिसे मलयालम में वावर कहते हैं, उसके हमले से बचाया था। जिसके बाद वावर अयप्पा का भक्त हो गया। इसी वावर की एक मस्जिद सबरीमाला में है। मान्यता है कि यही वावर यहां आनेवाले भक्तों की रक्षा करता है। वावर और अपने बाकी भक्तों की सहायता के लिए भगवान अयप्पा ने ब्रह्मचर्य अपना लिया ताकि उनका ध्यान भंग न हो, जिसके चलते ही महिलाओं की सबरीमाला मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी है।
वैसे सह्रयाद्री पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर आने वालों को 41 दिन का उपवास करना होता है। वह इस दौरान मांसाहारी भोजन नहीं करता, शराब नहीं पीता, रूद्राक्ष की माला पहनता है, ब्रह्मचर्य का पालन करता है और माहवारी झेल रही महिलाओं से दूर रहता है।
मंदिर की देखरेख करने वाले पुजारी और इससे जुड़े त्रावणकोर बोर्ड का कहना है कि वह तभी महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने देंगे जब ऐसी मशीन इजाद कर ली जाए जो यह बता दे कि महिला माहवारी में नहीं है और शुद्ध है।
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