रंगों का त्योहार होली सभी के घर मे खुशियां लेकर आता है। यही वजह है कि इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यहां हम आपको बताएंगे कि होली मनाने की पीछे क्या कारण है।
होली की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार राक्षस प्रवृत्ति वाला हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद की भगवान के प्रति भक्ति को देखकर बहुत परेशान था। उसने प्रह्लाद का ध्यान ईश्वर से हटाने के लिए हर संभव कोशिश की लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली।
अंततः हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को जान से मारने का फैसला किया। उसने इसके लिए अपनी बहन होलिका से आग्रह किया। ऐसा कहा जाता है कि होलिका को भगवान भोलेनाथ ने यह वरदान में एक शाल दी थी जिसे पहनने से वो कभी भी आग में नहीं जलेगी।
इस वरदान को पाने वाली होलिका ने सोचा कि वह प्रह्लाद को आग में जाएगी और खुद शाल ओढ़ लेगी। इस तरह प्रह्लाद की जलने से मृत्यु हो जाएगी जबकि शाल उसको सुरक्षित रखेगा।
हालांकि हुआ इसके ठीक विपरीत – ऐन मौके पर भगवान विष्णु ने हवा का ऐसा झोंका चलाया कि शाल उड़कर प्रहलाद के ऊपर आ गयी। भगवान ने प्रह्लाद की रक्षा की और होलिका का दहन हो गया।
इस तरह सभी ने अच्छाई पर बुराई की जीत के प्रतीक स्वरूप मिठाइयां बांटी और होली के त्योहार की शुरुआत हुई। होली के दिन गिले शिकवे भुलाकर सभी एक दुसरे को रंग लगाकर और मिठाई खिलाकर इस त्योहार को मनाते हैं।
यह त्योहार किसानों के रबी की फसल के तैयार होने के कारण भी मनाया जाता है।
होली को मनाने का मुख्य उद्देश्य केवल एक दूसरे से अच्छे संबंध बनाना और प्रेम और भाईचारे के साथ रहना है।
जीवन के अनेक रंगों से परिचित कराती होली गर्मी की शुरुआत में ही मनाई जाती है, जो जीवन के लिए नया आगाज लेकर आती है।
होली का महत्व
जीवन की अनेक कठिनाइयों से लड़कर आगे बढ़ने में ही होली का महत्व है। अगर हम सही हैं तो ईश्वर हमारे साथ होते हैं और हमारी सहायता करते हैं। जैसा कि उन्होंने भक्त प्रह्लाद की मदद की थी। रंगों का उपयोग केवल खुशी के प्रतीक के रूप में किया जाता है।
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