धर्म और संस्कृति

हिन्दू धर्म में गंगा जल का इतना महत्व क्यों है?

हिन्दू धर्म की कुछ मान्यतायेँ ऐसी हैं जिनपर सदियों के बदल जाने का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। ऐसी ही एक मान्यता है जिसके अनुसार गंगा जल को सबसे अधिक पवित्र जल माना जाता है। यह माना जाता है कि मृत्युयासन्न व्यक्ति के मुख में गंगाजल की कुछ बूंदें डालने से वह व्यक्ति मृत्यु के बाद मोक्ष को प्राप्त हो जाएगा। इसके अलावा हर पूजा अनुष्ठान में भी गंगा जल का होना अनिवार्य माना जाता है।

आधुनिक युग के विज्ञान को मानने वाले गंगा जल को उसके रासायनिक गुणों के कारण अच्छा मानते हैं लेकिन फिर भी बहुत से लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर हिन्दू धर्म में गंगा जल का इतना महत्व क्यों है?

गंगा क्यों इतनी महत्वपूर्ण है?

एक सवाल कि भारत में बहने वाली सभी नदियों की तुलना में  गंगा को ही इतना महत्व क्यों दिया जाता है, न केवल भारत में रहने वाले व्यक्तियों के बल्कि भारत की सीमाओं से बाहर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के मन में भी उठता रहता है।  

इस सवाल के जवाब के लिए गंगा के जन्म से जुड़े तथ्य व उसके विशेष गुणों को जानना बहुत जरूरी है। भारत के उत्तरी छोर हिमालय से लेकर अंतिम दक्षिणी छोर बंगाल की खाड़ी तक बहने वाली गंगा का इतिहास भी उसके जैसा ही विशेष है।

गंगा का अवतरण:

पुराणों की मानें तो गंगा को स्वर्ग से धरती पर लाने का श्रेय ऋषि भगीरथ को जाता है। वे गंगा को राजा सगर के साठ हज़ार पुत्रों की मुक्ति के लिए स्वर्ग से धरती पर लेकर आए थे। धरती पर आते समय गंगा का वेग इतना अधिक था की धरती उसे सम्हालने में असमर्थ थी। तब शिवजी ने गंगा को अपनी जटाओं में उलझा कर उसका वेग कम किया। इसके बाद गंगा अलग-अलग धाराओं में बंटकर धरती पर प्रकट हुई थी। स्वर्ग से आते समय गंगा, विष्णु जी के चरण से होकर गुज़री थी इसी लिए इसे विष्णुपदी भी कहा जाता है।

गंगा जल:

गंगा जल वैज्ञानिकों की दृष्टि से भी एकशुद्ध और विभिन्न प्रकार की विशेषताओं से भरा हुआ जल है। इसके गुणों को इस प्रकार से देखा जा सकता है:

  1. गंगा जल हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी तक शुद्ध जल के रूप में भारत के करोड़ों लोगों की प्यास बुझाने का काम करता है।
  2. हिमालय की कन्दराओं से निकलने के कारण गंगा जल में विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों और औषधियों का सत मिला होता है। इस कारण किसी रोगी को गंगा जल देने से उसे ठीक होने में आसानी हो जाती है।
  3. गंगा जल में बैट्रिया फॉस नाम का बैक्टीरिया होता है जो पानी में मिले प्रदूषण को खा लेता है। इसके अतिरिक्त गंगा जल में गंधक भी मिला होता है जिसके कारण पानी के प्रदूषण स्वयं ही खत्म हो जाता है।  इस तथ्य को विभिन्न वैज्ञानिक समय-समय पर सिद्ध कर चुके हैं।
  4. वर्षा ऋतु को छोड़कर गंगा के पानी में अन्य नदियों के पानी की अपेक्षा 25% अधिक ऑक्सीज़न होती है।
  5. गंगा जल के औषधीय गुण विभिन्न सामान्य रोग जैसे अपच, बुखार, दमा आदि दूर होने की संभावना हो जाती है।

गंगा स्नान को भी हिन्दू धर्म में बहुत अधिक मान्यता दी गई है। कहा जाता है कि गंगाजल में मिले औषधीय तत्व, खनिज लवण और शुद्धता स्नान करने से शरीर के रोगों को भगाने में मदद करता है। अपने इन्हीं गुणों के कारण गंगा को जीवनदायिनी गंगा कहा जाता है।

Charu Dev

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