विश्वप्रसिद्ध श्री मदभागवतगीता के हर श्लोक में जीवन को सही तरीके से जीने की सीख दी गयी है. मानव जीवन का कोई भी ऐसा प्रश्न नहीं है जिसका उत्तर भागवत गीता के श्लोकों में न हो. इसीलिए भागवत गीता को धार्मिक ग्रंथ से ज्यादा एक ज्ञानवर्धक ग्रंथ की उपाधि से पूरे विश्व में जाना और माना जाता है.
क्या आप जानते हैं कि गीता केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में एक बहुत सम्मानित ग्रंथ है. यहाँ तक कि सनातन धर्म की आधारशिला माने जाने वाला यह धर्मग्रंथ ऑक्सफ़ोर्ड और हॉवर्ड जैसी विश्वप्रसिद्ध यूनिवर्सिटीज में भी पढ़ाया जाता है. जी हाँ यह बात सच है. हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट ‘प्रोफ़ेसर ड्रियू गिलपीन फॉस्ट’ ने 2012 में मुंबई की एक सभा में यह सूचना दी कि लगभग 200 अमेरिकी विद्यार्थी भागवत गीता का अध्ययन कर रहे हैं. इसी प्रकार ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के एक स्वतंत्र विभाग,ऑक्सफोर्ड सेंटर फॉर हिन्दू स्टडीज़ में “भागवत गीता” नाम से एक ऑनलाइन कोर्स भी चलाया जाता है जिसके अंतर्गत भागवत गीता का सम्पूर्ण ज्ञान विभिन्न सेशन्स के जरिये दिया जाता है तो आखिर गीता में ऐसा क्या है जिसे विश्व के हर कोने में ज्ञान का आधार माना जाता है?
18 अध्याय और 700 श्लोकों वाले संस्कृत भाषा के उस ग्रंथ में जिसे सारी दुनिया भागवत गीता के नाम से जानती है, में आइये देखें ऐसा ख़ास क्या है? भगवत गीता के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
श्रीकृष्ण के अनुसार हमारा शरीर नष्ट होने वाली वस्तु है लेकिन आत्मा अजर अमर है और इसका नाश नहीं हो सकता है. मृत्यु के साथ आत्मा एक शरीर का साथ छोड़कर नया शरीर धारण कर लेती है. इसलिए हमें मोह केवल आत्मा से करना चाहिए, शरीर से नहीं. आत्मा ही व्यक्ति की सही पहचान होती है.
क्रोध वो भावना है जिसके कारण व्यक्ति का मस्तिष्क सही और गलत में अंतर नहीं कर पाता है और यही स्थिति भ्रम कहलाती है. भ्रम में फंसा व्यक्ति सही निर्णय नहीं ले सकता. इसलिए यथासंभव क्रोध को अपने भावनाओं में स्थान नहीं देना चाहिए. शांतचित्त ही उत्पादक मस्तिष्क होता है.
अति हमेशा बुरी होती है. सम्बन्धों में मिठास हो या कड़वाहट लेकिन संतुलन हो, तभी व्यवहार और जीवन संतुलित और शांत रहते हैं. खुशी होने पर सीमा से अधिक खुश होना और दुख होने पर हर समय उसी में डूबे रहने से जीवन भी असंतुलित हो जाता है.
जीवन में हमेशा प्रसन्न और सुखी रहने के लिए मन में से स्वार्थ की भावना को जगह नहीं देनी चाहिए. मन में स्वार्थ हो तो अपने अलावा और कुछ दिखाई नहीं देता है. स्वार्थ व्यक्ति को समाज में अकेला कर देता है. इसलिए स्वार्थ की भावना से दूर रहें.
ईश्वर के रूप में एक अदृश्य शक्ति हमेशा हमारे साथ है, इस विचार के साथ व्यक्ति कभी भी अपने को अकेला महसूस नहीं करता है. श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है , “मुझे हमेशा अपने अंदर महसूस करो”, और जब यह भावना हमेशा मन में होती है तब व्यक्ति भविष्य की चिंता से मुक्त अपने आज को प्रसन्नतापूर्वक जीता है.
हम सबको कर्मप्रधान जीवन जीना चाहिए. गीता के उपदेश में कहा गया है, “तुम सिर्फ कर्म करो, फल की चिंता ईश्वर करेगा”. जो हमारे निर्धारित कर्म हैं उनके करने से कभी नहीं हिचकना चाहिए, नहीं तो जीवन में जड़ता और निष्क्रियता आ जाती है.
“कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन” अर्थात हमारा काम सिर्फ कर्म करना है, उसके फल की चिंता करना नहीं. काम के परिणाम की चिंता करने से न तो काम ठीक से होगा और न ही वो काम करके हम संतुष्ट हो पाएंगे. इसलिए सिर्फ कर्म करना ही उद्देश्य है उसके फल की चिंता करना ईश्वर का काम है.
कहा जाता है कि इच्छाओं पर नियंत्रण न रखने से हम सदा दुखी रहतें हैं. इच्छा करना गलत नहीं है, बल्कि जरूरत से ज्यादा इच्छा करना गलत है. इसलिए गीता के उपदेश में अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखने की सलाह दी गयी है.
जिज्ञासा करने और संदेह करने में अंतर होता है. जिज्ञासा हमें आगे बढ्ने की प्रेरणा देती है और संदेह आगे बढ़ते कदम रोक देता है. संदेह रिश्तों को खत्म कर देता है और व्यक्ति के अनेक दुखों का कारण बनता है इसलिए गीता के उपदेशों में संदेह को एक रोग कहा गया है इससे दूर रहने की सलाह दी गयी है.
भागवत गीता का सबसे बड़ा उपदेश है कि मृत्यु अवश्यंभावी है. तो जो बात निश्चित है उससे डर कैसा? जीवन की शाश्वत सच्चाई से डरने से वर्तमान की खुशियाँ खत्म हो जाती हैं. इसलिए मृत्यु को अटल सच्चाई मानकर आज की खुशियों के साथ जीवन जीना चाहिए.
हालांकि भागवत गीता के यह सारे उपदेश सदियों पुराने हैं, लेकिन इनकी सार्थकता और प्रासंगिकता आज के जीवन में भी प्रासंगिक है. विदेशी धरती पर जहां के लोग संस्कृत नहीं जानते वो इन उपदेशों की सार्थकता को समझा है और भागवत गीता को अपने सिलेबस में शामिल किया है.
खूबसूरत और चमकता चेहरा पाने की ख्वाहिश तो हर किसी की होती है लेकिन चेहरे…
मेथी एक ऐसी चीज़ है जो दिखने में छोटी होती है पर इसके हज़ारों फायदे…
यूं तो नवरत्न अकबर के दरबार में मौजूद उन लोगों का समूह था, जो अकबर…
वैसे तो गहरे और चटकदार रंग के कपडे किसी भी मौसम में बढ़िया ही लगते…
डैंड्रफ एक ऐसी समस्या है जो आपके बालों को तो कमज़ोर बनाती ही है, साथ…
हमारी त्वचा बहुत ही नाजुक होती है। यदि इसकी सही तरह से देखभाल नहीं की…
View Comments
बहुत रोचक एवं सार्थक लेख
भागवत गीता जैसे पावन ग्रंथ को भारत में भी पढाया जाना चाहिए यहाँ के स्कुल कॉलेजों के सिलेबस में अवश्य होना चाहिए यह बदलाव आने वाली पीढ़ियों के लिए उनके भविष्य के लिये बहुत ही लाभदायक है