धर्म और संस्कृति

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है ? इस वर्ष (२०१७) में कब है?

हिन्दू धर्म में ऐसे कई पर्व होते हैं जिनसे ना सिर्फ आस्था बल्कि अन्य कथाएं भी जुड़ी होती हैं जो कुछ ना कुछ ज्ञानवर्धक सन्देश देती है। इन्हीं पर्वों में से एक पर्व है – छठ पूजा। छठ पूजा के और भी कई नाम हैं जैसे – छठ पर्व , डाला छठ, सूर्य षष्टी आदि।

इस वर्ष छठ पूजा २४ अक्टूबर से २७ अक्टूबर तक मनाई जायेगी।

छठ पूजा एक पुरातन हिन्दू पर्व है जो कि सूर्य देव और छठी मैय्या को समर्पित है।यह पर्व सूर्य देव को धन्यवाद करने के लिए मनाया जाता है जो की पृथ्वी पर जीवन का मूलाधार है और ऊर्जा प्रदान करते हैं। छठ पूजा में डूबते हुए सूर्य से प्राथना करते हुए व्रत का प्रारम्भ होता है और सूर्योदय के पश्चात व्रत पूर्ण होता है।
छठ पूजा देश के विभिन्न हिस्सों में मनाया जाता है पर खासकर बिहार और उत्तरप्रदेश में इसका उत्साह देखते ही बनता है। छठ पूजा से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। महाभारत में कहा गया है कि द्रौपदी और पांडवों ने एक ऋषि के कहने पर छठ पूजा जैसा व्रत रखा था जिससे उनके सारे कष्ट दूर हो गए थे।

एक और पौराणिक कथा के अनुसार भगवान् श्रीराम और माता सीता ने चौदह वर्ष के वनवास के बाद सूर्यदेव की आराधना की और व्रत किया जिसके बाद ही छठ पूजा का महत्व बहुत बढ़ गया।

छट: पहला दिन

छठ पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। छठ पूजा के पहले दिन को “नहाई खाई” कहा जाता है। उपासना करने वाले नदी के घाट पर जाकर प्रातःकाल पानी में जाकर डुबकी लगाते है और किसी पात्र में पानी लेकर बाहर निकलते हैं। इस पानी का प्रयोग प्रसाद बनाने में किया जाता है। व्रतधारी अपने घर को साफ़सुथरा करते हैं और दिन में सिर्फ एक बार भोजन करते हैं।

छट: दूसरा दिन

छठ पर्व के दूसरे दिन घर की महिलाएं पूरे दिन का व्रत करती हैं और सूर्यास्त के बाद ही व्रत खोलती हैं। इसे “लोहंडा” कहते हैं । इस दिन ३६ घंटे का व्रत होता हैं जिसमें पानी पीना भी वर्जित होता है।

छट: तीसरा दिन

छठ पर्व के तीसरे दिन प्रसाद बनाया जाता है और लोग नदी के घाट पर जमा होते हैं। इस दिन सूर्यास्त से पहले संध्याकाल में सूर्य देव और छठी मैय्या की पूजा होती है। संध्याकाल में सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है जिसे संध्या अर्ध्य भी कहते हैं। इस दौरान लोकगीत भी गाये जाते हैं।

छट: चौथा दिन

चौथे और आखरी दिन व्रतधारी घाट पर जमा होते हैं और आते हुए सूर्य को अर्ध्य देते हैं जिसे उषा अर्ध्य कहते हैं। इसी दिन आखिरी पूजा होती है और व्रत भी समाप्त होता है। उसके बाद प्रसाद वितरण भी होता है। प्रसाद में खीर और ठेकुआ मुख्य रूप से बनाया जाता है। छठ पूजा हर्ष, उल्लास, ऊर्जा के संचार और एकता का पर्व है।

प्रेरणा झा

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