कहते हैं कि वक्त के साथ सब कुछ बदल जाता है, लेकिन यह बात उस समय गलत सिद्ध होती दिखाई दी जब लॉकडाउन के कारण भारतीय दूरदर्शन ने रामायण सीरियल को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया। 33 साल बाद शुरू हुए रामायण सीरियल को आज भी उतना ही पसंद किया जा रहा है, जितना उस समय किया गया था।
1987 में जब यह सीरियल शुरू हुआ था, तब लोगों ने इस सीरियल को इतना पसंद किया था कि शादी-सगाई तक के मुहूरत इसके समय को ध्यान में रखकर निकाले जाते थे। रेलवे स्टेशनों के प्लेटफॉर्मों पर बड़े-बड़े टीवी स्क्रीन लग गए थे, जिनपर रामायण देखने के लिए रेलवे ट्रेफिक तक रुक जाया करता था। गली-मोहल्ले में पसरा सन्नाटा भी रामायण शुरू होने की सूचना दे देता था। हद तो यह थी कि रामायण सीरियल में राम-सीता के रोल को निभाने वाले कलाकार वास्तविक जिंदगी में भी भगवान की तरह पूजे जाने लगे थे। सीरियल में श्री राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल का कहना है कि समाज में लोग उनका असली नाम भूलकर श्री राम ही कहते और मानने लगे थे।
‘श्री राम’ से पहले अरुण गोविल क्या थे?
उत्तर प्रदेश के मेरठ में जन्में अरुण गोविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद बिजनेस करने के लिए अपने भाई के पास मुंबई आ गए थे। लेकिन इस काम में उनका मन नहीं लगा तब उन्होनें फिल्मी संसार में कदम रखा और ताराचंद बड़जात्या के बैनर में पहली फिल्म पहेली में काम किया। इसके बाद अलग-अलग फिल्मों में काम करते हुए अपनी एक साफ-सुथरे और मंजे हुए कलाकार की इमेज बना ली थी।
अरुण को श्री राम का रोल कैसे मिला?
रामानन्द सागर ने अस्सी के दशक में बच्चों के लिए कुछ सीरियल बनाने शुरू किए थे जिनमें विक्रम-बेताल बच्चों को ही नहीं, बल्कि बड़ों को भी पसंद आ रहा था। यहीं से अरुण गोविल और रामानन्द सागर का टीवी सफर में साथ शुरू हुआ था। इस सीरियल में अरुण गोविल को राजा विक्रम का रोल मिला जिसे उन्होनें बखूबी निभाया था। यही नहीं अरुण गोविल ने रामानन्द सागर के साथ अलग-अलग फिल्म और टीवी प्रोजेक्ट पर भी काम किया था।

उसके बाद इसी बैनर में अन्य फिल्मों में काम करते हुए अरुण गोविल को रामानन्द सागर के रामायण प्रोजेक्ट के बारे में में पता लगा। जब अरुण गोविल ने रामानन्द सागर से राम के रोल के लिए अपनी पसंद ज़ाहिर करी तब पहले तो श्री सागर ने उन्हें रिजेक्ट कर दिया। लेकिन फिर कुछ सोचकर अरुण गोविल का राम के रोल के लिए ऑडिशन ले लिया गया। किस्मत की बात, अरुण उस ऑडिशन में भी रिजेक्ट हो गए।
उसके बाद अचानक एक दिन श्री रामानन्द सागर ने अरुण गोविल को फोन पर सूचना देकर बताया कि उन्हें रामायण सीरियल में राम के रोल के लिए चुन लिया गया है।
रामायण के बाद अरुण गोविल खाली क्यूँ हो गए?
एक साल तक रामायण सीरियल में राम का रोल निभाने के बाद अरुण गोविल घर-घर में श्री राम के रूप में जाने जाने लगे। यहाँ तक कि कुछ छोटे शहरों में तो रामायण सीरियल के गेटअप में राम दरबार के कैलेंडर भी छपने लगे। इस तरह इस सीरियल के कारण अरुण गोविल राम के किरदार में टाइप कास्ट हो गए थे। यहाँ तक कि रामानन्द सागर तक अरुण गोविल को इस हद तक राम मान चुके थे, कि उन्हें वो अपनी किसी भी और फिल्म में किसी और रोल के लिए चुनने का साहस नहीं कर सके।
यही कारण था कि अरुण गोविल ने अभिनय की दुनिया से एक कदम पीछे हट पर्दे के पीछे जाने का निर्णय किया। उन्होनें रामायण सीरियल में अपने छोटे भाई लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले सुनील लहरी के साथ मिलकर एक प्रोडक्सन कंपनी खोल ली।
ऐसा नहीं है कि उन्हें रामायण के बाद कोई रोल मिला ही नहीं। उन्होनें रामायण के बाद भोजपुरी और तेलुगू सहित कई क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों में काम किया। पर दर्शक उन्हें इस कदर तक ‘मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम’ मान चुके थे कि वे अरुण गोविल को किसी और किरदार के रूप में स्वीकार ही नहीं कर पाते थे।
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