सामान्यतया चूहे आम जनता के लिए खतरनाक एवं प्लेग जैसी जानलेवा बीमारी का कारण होते है| यह एक आश्चर्यजनक बात है कि भारत में स्थित करणी माता मंदिर में लगभग 20000 से भी अधिक चूहे पाए जाते है| इतना ही नहीं बल्कि यहाँ आने वाले भक्तों को चूहों का झूठा प्रसाद दिया जाता है| यह मान्यता है कि इस प्रसाद के सेवन से भक्तों को कभी कोई बीमारी नहीं हो सकती| इन चूहों से कभी दुर्गन्ध या कोई बीमारी नहीं फैलती| यहाँ उपस्थित सफ़ेद चूहों के दर्शन मात्र से व्यक्ति के मन की मनोकामना पूर्ण हो जाती है| यहाँ चूहों की संख्या इतनी अधिक है कि भक्तों को अपने पैर घसीटते हुए माता की प्रतिमा तक जाना पड़ता है| क्योंकि यदि एक भी चूहा उनके पैर से घायल हो जाए तो यह अशुभ माना जाता है| यहाँ के चूहों को “काबा” नाम से जाना जाता है| यह माता के मंदिर में होने वाले संध्या वंदन एवं मंगला आरती के समय बिलों से बाहर आते है| मंदिर में आए भक्तगण इन चूहों को लड्डू एवं दूध का भोग लगाते है|
इसी कारण से यह मंदिर “मूषक मंदिर” या “चूहों का मंदिर” के नाम से भी प्रसिद्ध है| यह बीकानेर के समीप देशनोक नामक पवित्र स्थान पर स्थित है| इस मंदिर का निर्माण 20 वीं शताब्दी में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था|
करणी माता को माँ जगदम्बा का अवतार माना गया है| वह चारण परिवार में जन्मी थी| उनके पति का नाम किपोजी चारण था| परन्तु एक समय बाद उन्होंने सांसारिक धर्म को छोड़कर, अपना जीवन समाज कल्याण एवं माता की भक्ति में लगा दिया| उन्होंने अपने पति का विवाह अपनी छोटी बहन गुलाब से करवा दिया| गुलाब एवं किपोजी चारण के संतान हुई, जिसका नाम लक्ष्मण रखा गया|
एक बार करणी माता का सौतेला पुत्र लक्ष्मण, कोलायत में स्थित कपिल सरोवर में पानी पीने गया| परन्तु अचानक वह सरोवर में गिर गया एवं उसकी मृत्यु हो गई| करणी माता को इस बात की सूचना मिलते ही वह यम के पास गई| उन्होंने यम से उनका पुत्र पुनः लौटाने की बात कही| तब यम ने इसे असंभव बताया एवं ऐसा करने से मना कर दिया| परन्तु माता के आग्रह पर विवश होकर उन्होंने उनके पुत्र को चूहे का रूप देकर पुनः जीवित कर दिया|
इन गीतों में चूहों के सम्बन्ध में अलग गाथा प्रचलित है| जिसके अनुसार एक बार देशनोक पर एक विशाल सेना का आक्रमण हुआ| उस सेना में लगभग 20000 सैनिक थे| तब करणी माता ने देशनोक की रक्षा के लिए उन्हें शाप दे दिया| शाप के अनुसार वे सब चूहों में परिवर्तित हो गए एवं माता ने उन्हें अपनी सेवा में रख लिया| तब से आज तक वह करणी माता की सेवा करते है|
अतः चूहों के सम्बन्ध में कोई ठोस रहस्य का पता नहीं लग पाया है| यहाँ गाए जाने वाले गीतों एवं कथाओं के माध्यम से ही चूहों की उपस्थिति के रहस्य का अंदाजा लगाया जाता है|
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