समाज में प्रत्येक व्यक्ति स्वयं को दरिद्र नारायण के नाम से जाना जाये, ऐसा नहीं चाहता है। लेकिन लक्ष्मी माँ की कृपा अपने आप भी विरले लोगों को ही हो पाती है। इसलिए इसके लिए सच्ची मेहनत के साथ ही विभिन्न उपाय भी किए जाते हैं। इन्हीं उपायों में से एक है श्रीयंत्र की स्थापना और उसकी विधिवत पूजा करना।
ज्योतिष शास्त्र में तंत्र, मंत्र और यंत्र का अपना एक अलग स्थान है। यंत्र शास्त्र में मनचाही इच्छा पूरी करने के लिए उपाय के रूप में कुछ विशेष उपकरणों को बनाया जाता है। समाज में अनेक लोग अपने लिए धन, संपत्ति, नौकरी, व्यवसाय व विवाह के लिए यंत्र शक्ति का उपयोग करते हैं। इसी प्रकार धन की इच्छा रखने वाले श्रीयंत्र की स्थापना करके उसकी विधिवत पूजा करके लाभ उठाते हैं।
देवी लक्ष्मी की कृपा दृष्टि पाने के लिए श्रीयंत्र की स्थापना व पूजा करी जाती है।
श्रीयंत्र का अर्थ उस यंत्र के रूप में प्रयोग किया जाता है जिसकी साधना से धन-संपत्ति और विद्या आदि की प्राप्ति होती है। इस यंत्र को असाधारण शक्तियों और चमत्कारों से भरी हुई विभिन्न गुप्त शक्तियों का उदगम बिन्दु भी माना जाता है।
श्रीयंत्र को यन्त्र्राज व यंत्र्शिरोमणि भी कहा जाता है। वास्तव में यह यंत्र सम्पूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। इस यंत्र को महात्रिपुरी सुंदरी देवी का पूजा स्थल भी माना जाता है। कहते हैं कि यह एक अकेला ऐसा यंत्र है जिसकी पूजा करने से समस्त देवी-देवताओं की पूजा एक साथ हो जाती है।
श्री वास्तव में लक्ष्मी, संपत्ति और विद्या आदि गुण के सम्मिलित रूप को कहा जाता है। इसलिए श्रीयंत्र की साधना करने वाले व्यक्ति को न केवल धन-संपत्ति में लाभ होता है, बल्कि विद्या क्षेत्र में भी ऊँचाइयाँ छूने का मौका मिलता है।
• साधक के मानसिक बल में वृद्धि होती है
• दाम्पत्य जीवन खुशहाल होता है
• कार्यस्थल पर रख कर पूजा करने से निरंतर प्रगति होती है
• दीपावली पर पूजन करने से वर्ष भर घर में धन-संपदा बनी रहती है।
इस यंत्र की पूजा से वास्तु-दोषों को भी दूर किया जा सकता है।
श्री यंत्र को आप किसी भी धातु जैसे सोना, चांदी या तांबे में बनवा सकते हैं। इस यंत्र का लाभ लेने के लिए इसे घर के पूजा घर में या फिर अपने कार्यस्थल में बने पूजा घर में पूरे विधिविधान के साथ स्थापित किया जाना चाहिए। श्रीयंत्र की स्थापना शुभ मुहूरत में शुद्ध स्थान पर ही करनी चाहिए। लाल वस्त्र में रखकर पूरे शुद्ध मन, तन व कर्म से पूजा करने से ही श्रीयंत्र के लाभ मिल सकते हैं।
प्रतिदिन इस यंत्र के सामने धूप, दीप व मंत्र जाप करके आराधना व अर्चना करनी चाहिए। श्री यंत्र के लाभों को बढ़ाने के लिए इन मंत्रो का जाप किया जा सकता है:
• श्री महालक्ष्म्यै नमः
• श्री ह्रीं क्लीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
• श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः
यदि आप श्री यंत्र की पूजा आरंभ कर रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि जितना अधिक इसकी पूजा करी जाती है, उतना ही अधिक लाभ होता है।
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