मैं ऐसी मांओं से गाहे-बगाहे मिलती रहती हूं, जो अपने आठ दस वर्ष तक के बच्चों की नादान शरारतों, निरंतर चटर-पटर करते रहने और एक के बाद एक अनगिनत सवाल पूछने की प्रवृत्ति से बेहद त्रस्त रहती हैं, और समय-असमय उन पर झल्लाती, झींकती और गुस्सा करती रहती हैं।
क्या आपने कभी सोचा है, कि जो आज बच्चे हैं, कल वह बड़े होंगे, और पढ़ लिख कर, नौकरी पर आपसे दूर अपने अपने घोंसलों में चले जाएंगे।
यदि बचपन में ही आपकी उनसे करीबी बॉन्डिंग नहीं हो पाई, तो जरा सोचिए, क्या बड़े होने पर वह आपसे शारीरिक रूप से ही दूर नहीं, वरन भावनात्मक रूप से भी दूर नहीं हो जाएंगे?
तो आइए आज हम आपको अपनी पेरेंटिंग में कुछ ऐसे पॉजिटिव कदमों का समावेश करने के विषय में बताएंगे, जिन से आपके बच्चे और आपके मध्य की बॉन्डिंग को मजबूती मिलेगी और परिणामस्वरूप आप ताजिंदगी उसकी ज़िंदगी का एक अपरिहार्य हिस्सा बनी रह पाएँगी।
अपने बच्चे को हर वक्त अपना अबाधित पॉजिटिव अटेंशन देने के लिए तैयार रहें। जब भी वह आप से बात करना चाहे, उसे कभी भी झिड़क कर यह न कहें कि “मैं अभी बहुत बिजी हूं। मुझे तंग मत करो। जाओ और जाकर खेलो।”
यदि उस समय आप वास्तव में किसी गंभीर कार्य में बेहद बिजी हैं, और उसे अपना समय दे पाने में असमर्थ हैं, तो उसे एक प्यार भरी झप्पी देते हुए उससे कहें, “बेटा! मैं अभी बहुत जरूरी काम कर रही हूँ। काम खत्म होते ही आपकी बात जरूर जरूर से सुनूंगी।”
फिर अपने काम की समाप्ति पर उससे उसकी बात के विषय में पूछना ना भूलें।
जब भी सुबह सवेरे आपका बच्चा सो कर उठे, उसे प्यार भरी झप्पी देते हुए उसे 5 मिनट तक अपने सीने से लगाए रखें। उसे चूमें और सहलाएं। उससे हल्की-फुल्की बातें करें कि उसने अपना होमवर्क पूरा कर लिया या नहीं। स्कूल जाने की तैयारी पूरी कर ली है या नहीं। स्कूल बैग टाइम टेबल के अनुरूप जमाया है या नहीं। वह स्कूल ले जाने की कोई चीज भूल तो नहीं रहा।
अनेक पेरेंट्स बच्चे के बोलना शुरू करते ही उसे टोकते हुए चुप करा देते हैं। उसकी बातें उन्हें बेहद बचकानी और मामूली लगती है, लेकिन याद रखें यह प्रवृत्ति आपके उससे संबंधों के लिए आगे जाकर बेहद घातक सिद्ध हो सकती है।
यदि आप आज उसकी बात नहीं सुनेंगे, तो उसकी अपनी बातों को अपने तक ही सीमित रखने की आदत पड़ जाएगी, और उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसकी यह प्रवृत्ति मजबूत होती जाएगी। क्या आप चाहेंगी कि टीन एज और ऐडल्ट एज में आपका बच्चा आपसे अपनी कोई बात बिल्कुल शेयर ना करे?
यदि आप कामकाजी हैं, और आपके पास समय की कमी है, तो भी अपने फ्री समय का बड़ा हिस्सा अपने बच्चे को दें। उसके लिए मात्र अत्याधुनिक महंगे खिलौने, किताबें और कपड़े खरीद कर ही अपने कर्तव्यों की इतिश्री न समझें।
सप्ताहांत पर ऑफिस का कार्य कतई ना करें। कुछ घंटों के लिए अपना लैपटॉप और फोन बंद कर उन्हें अपना समय दें।
फ्री समय में उनके साथ उनका पसंदीदा गेम खेलें, अथवा फन पार्क ले जाएं। किसी रेस्त्रां में उनके साथ गपशप करते हुए खाना खाएं या लॉन्ग ड्राइव पर जाएं। याद रखें एक बार समय बीत जाने के बाद उनका बचपन कभी वापस नहीं आने वाला।
जब भी आपका बच्चा आपसे दूर कहीं जाए, उसे विदा करते वक्त उससे यह कहना न भूलें कि आप बड़ी बेसब्री से उसका लौटने का इंतजार करेंगे। उसकी वापसी पर उससे सारी बातें सुनना चाहेंगे। उसे घर से निकलते वक्त दोस्ताना लहजे में कहना न भूलें “हैव फन”, न कि उस पर अपनी नसीहतों की झड़ी लगा दें। उसके कहीं बाहर से लौट कर आने पर उससे उत्सुकता से बाहर गुजरे वक्त का ब्यौरा लें।
बच्चे के साथ उसका पसंदीदा खेल जी भर कर के खेलें। उसके साथ उसकी मनचाही फन एक्टिविटीज में भागीदारी करें। उसके स्तर पर बच्चा बनकर हँसते, उछलते, कूदते खेलें और इस समय को पूरी तरह से एंजॉय करें, ना कि बेमन से उसका साथ दें।
उसके साथ फास्ट म्यूजिक पर डांस करें अथवा उसके साथ बारिश में नहाएं अथवा साबुन के पानी से बुलबुले बनाकर उड़ाएं। उसके साथ स्विमिंग करें, या समुद्र या नदी के किनारे बालू के घर बनाए।
हर वक्त बच्चे के नजदीक रहने का प्रयास करें। उसके साथ बैठकर विभिन्न गतिविधियां करें उसके साथ बैठकर पॉपकॉर्न टूँगते हुए उसका फेवरेट कार्टून शो या मूवी देखें या कहानी की किताबें पढ़ें। ड्राइंग, स्केचिंग अथवा पेंटिंग करें।
जहां बच्चे को आपकी शारीरिक नजदीकी प्यार भरी सुरक्षात्मक एहसास देगी, वहीं ये क्षण आपके लिए यादगार स्मृतियां बनकर रह जाएंगे।
“आज तुमने स्कूल में क्या किया?” यह टिपिकल प्रश्न पूछने की बजाए पूछें,
इन प्रश्नों के जवाब देने के क्रम में आप दोनों के पास बतियाने के लिए बहुत सी बातें होंगी और आप दोनों के मध्य करीबी बढ़ेगी।
उसे स्कूल छोड़ते जाते वक्त या वहां से लौटते वक्त सड़क के दोनों ओर लगे साइन बोर्ड, पेड़ पौधे, जानवरों के बारे में उसे बताएं और बात करें।
अपने खाली वक्त में उससे जी भर कर बतियाएं। उन्हें अपने बचपन और किशोरावस्था के किस्से कहानियां सुनाएं। अपने माता-पिता, दादा-दादी, बहन, भाई के बारे में बातें सुनाए। ऐसा करना आप दोनों के मध्य बॉंडिंग को सुदृढ़ करेगा और एक दूसरे के करीब लाएगा।
यदि आप उसे गाड़ी से स्कूल छोड़ने जाती है तो स्कूल जाते वक्त या आते वक्त उसके साथ जोर-जोर से कविताएं या गीत गा सकती हैं। अंताक्षरी खेल सकती है। एक दूसरे को चुट्कुले सुना सकती हैं।
कभी-कभी मूड खराब होने पर आपका बच्चा आपकी बात नहीं मानता। आप उसे टीवी बंद करने की कह रही है या फिर खेलना बंद करके पढ़ने के लिए बैठने की कह रही हैं, लेकिन वह आपकी बात नहीं सुन रहा और जिद कर रहा है कि उसे टीवी पर अपनी कार्टून फिल्म थोड़ी देर और देखनी है, या फिर थोड़ी देर और खेलना है।
ऐसे वक्त में उसके अपसेट मूड अथवा जिद के पीछे छिपे कारण का पता लगाने का प्रयास करें। धैर्य से उसका दृष्टिकोण जान कर उसे समझाएं ना कि उस पर चिल्लाएं, झींकें या उस पर अपनी मर्जी लादें।
आप अपनी अनुपस्थिति में भी उन्हें अपनी मौजूदगी का एहसास दिला सकती हैं। उनके लंच बॉक्स, स्कूल बैग अथवा पेंसिल बॉक्स में लाल कागज से दिल बनाकर रख सकती हैं, अथवा आई लव यू नोट रख सकती है। इससे आपकी अनुपस्थिति में बच्चे को आपकी नजदीकी का भान होगा एवं उसके चेहरे पर एक मीठी मुस्कान आए बिना नहीं रहेगी।
यदि आप ऑफिस जाती हैं और आपका बच्चा घर में कभी कुछ समय के लिए अकेला रहता है। उस समय में कुछ क्षण निकालकर आप अपने बच्चे से वीडियो कॉल करके जुड़ सकती हैं।
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