प्राचीनकाल से ही सुहागन स्त्रियों के लिए मांग में सिन्दूर भरने की परम्परा चली आ रही है। सिन्दूर को स्त्री के 16 सिंगरों में से एक माना गया है। सुहाग के प्रतीक के तौर पर हर सुहागन महिला द्वारा इसे अपनी मांग में भरा जाता है। मांग में सिन्दूर लगाने के हिन्दू धर्म एवं वैज्ञानिकों ने कई अलग-अलग महत्व बताए है।
हिन्दू धर्म के अनुसार माना जाता है कि सिन्दूर देवी पार्वती का प्रतीक है। देवी पार्वती ने अपने पति के सम्मान के लिए अपना जीवन त्याग कर दिया था। अतः जो भी महिला सिन्दूर लगाएगी, देवी पार्वती उसके पति की जीवन भर हर संकट से रक्षा करेगी। उसे देवी पार्वती से अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त हो जाता है।
देवी लक्ष्मी को हिन्दू मान्यतानुसार सिर पर विराजमान बताया गया है। इसलिए विवाहित स्त्रियाँ सिर पर सिन्दूर लगाकर लक्ष्मी को सम्मान देती हैं। लक्ष्मी की कृपा से पति-पत्नी लम्बे समय तक साथ रहते हैं। उनके सम्बन्धों में विच्छेद नहीं आता।
उत्तर भारत में विवाहित स्त्रियों के लिए सिन्दूर लगाना अनिवार्य है। माना जाता है कि मेष राशि माथे पर स्थित होती है। मंगल, मेष राशि का स्वामी है, जो लाल रंग का है। अतः सिन्दूर स्त्री एवं उसके पति दोनों के लिए सौभाग्य का प्रतीक है।
हिन्दू पौराणिक कथाओं में सिन्दूर का अत्यधिक महत्व बताया गया है। एक विवाहित स्त्री यदि अपनी मांग में सिन्दूर लगाती है तो उसके पति की अकाल मृत्यु नहीं होती। यह पति के लिए लम्बी उम्र की कामना का प्रतीक माना गया है।
महिलाओं द्वारा अपने मस्तिष्क के बीचों-बीच सिन्दूर लगाया जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इस स्थान पर ब्रह्मरंध्र नामक ग्रंथि विध्यमान रहती है। यह मस्तिष्क के अग्र भाग से बीच वाले भाग तक फैली होती है। यह भाग अत्यधिक संवेदनशील होता है, जहाँ सिन्दूर लगाया जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार सिन्दूर में पाया जाने वाला मरकरी नामक धातु इस ग्रंथि के लिए अत्यधिक प्रभावशाली होता है। इससे महिलाओं में तनाव, अनिद्रा, सिर दर्द एवं अन्य मस्तिष्क सम्बन्धी समस्याएँ नहीं रहती।
शादी के बाद महिलाओं पर जिम्मेदारियाँ एवं तनाव बढ़ जाता है। सिन्दूर में उपस्थित मरकरी नामक पदार्थ तरल रूप में होता है, जो दिमाग को शीतलता प्रदान करता है। इससे विवाहित स्त्री शांतिपूर्ण अपना जीवन निर्वाह करती है। इसके अतिरिक्त सिन्दूर शरीर एवं स्वास्थय दोनों के लिए लाभकारी होता है। इसके प्रयोग से रक्तचाप संतुलित बना रहता है। इससे महिलाओं में पिट्युटरी ग्रंथि अपना कार्य उचित प्रकार से करती है।
अतः प्राचीन समय से ही हिन्दु धर्म एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सिन्दूर को एक विवाहित स्त्री के लिए अत्यधिक शुभ माना गया है। यह उसके पति की लम्बी उम्र एवं अच्छे स्वास्थ का प्रतीक होता है। परन्तु आजकल सिन्दूर लगाने की परम्परा समाप्त होती जा रही है। हिन्दू धर्म की अवहेलना के कारण आधुनिक युग में मृत्यु एवं बिमारियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। अतः एक विवाहित स्त्री का धर्म है कि वह सिन्दूर लगाने की इस परम्परा का पालन करके अपने एवं अपने परिवार के जीवन की रक्षा करे।
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