भारत एक ऐसा देश है, जहाँ पर परंपरा को एक उचित स्थान दिया गया है ।हमारे यहां पर हर परिस्तिथि के लिए ,जीवन की किसी भी अवस्था के लिए कुछ नियम गए हैं । यह हर पक्ष के लिए हैं ,और जब बात स्त्रियों की हो रही हो, तो नियम और क़ायदे कुछ ज़्यादा ही सख़्त और कठोर हो जाते हैं। हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है, यहां पर जो भी आधिकारिक फैसले लेने होते हैं, वह घर के पुरुषों द्वारा ही लिए जाते हैं । ऐसे में जब किसी स्त्री के पति की मौत हो जाती है, तो उसके लिए भी हिंदू धर्म में कई सारे नियम और क़ायदे लागू हो जाते हैं, जिसका पालन उसे करना पड़ता है।
भारतीय संस्कृति में एक स्त्री ,पति को ही अपना सब कुछ मानती है। ऐसे में जब उसके पति का जीवन काल समाप्त हो जाता है ,तो एक स्त्री के लिए इससे दुखदायक घटना कुछ भी नहीं हो सकती , उसके जीवन भर का साथी उसका साथ छोड़ कर चला जा चुका होता है। इस असीम पीड़ा से गुज़रते हुए उसे समाज के ऐसे कई बंधनों और नियमों का पालन करना पड़ता है ।उसमें से एक है सफेद रंग के वस्त्रों को धारण करना।
यूँ तो रंग हमारी जिंदगी में काफी खुशियां लेकर आते हैं, लेकिन एक स्त्री की ज़िन्दगी में यह सफेद रंग ग़म लेकर आता है ।ऐसा कतई नहीं है कि सफेद रंग शुभ नहीं होता, पहले लोग सफेद रंग को बहुत ही शुभ मानते थे।
इतना ही नहीं पुरोहित लोग भी पूजा में बैठते समय सफ़ेद वस्त्रों को धारण करते थे.माना जाता है, कि सफेद वस्त्रों में साक्षात लक्ष्मी जी का वास होता है ।तो क्यों विधवाएं सफेद साड़ी पहनती हैं ??आइए जानते हैं इसके पीछे के कुछ कारणों को.
- जब तक पति रहता है ,तब तक स्त्रिया सोलह श्रृंगार करती हैं। पति की मृत्यु के बाद उसे यह सारे श्रृंगार छोड़ना पड़ता है और साथ ही साथ सारे रंग भी। ये यह दर्शाता है कि उसके जीवन में अब कोई रंग नहीं बचा.
- सफेद रंग आत्मविश्वास की अनुभूति करवाता है ।जब किसी स्त्री के पति की मौत हो जाती है ,तो वह मानसिक तौर पर बहुत अकेला महसूस करती है .ऐसे में यह ज़रूरी है कि उसका आत्मविश्वास उसके साथ रहे ।ऐसा माना जाता है कि सफेद रंग को धारण करने से आत्मविश्वास में कोई कमी नहीं हो सकती।
- सफेद रंग धारण करने से उसे समाज में एक अलग ही पहचान हो जाती है ।कोई दूर से भी देख कर उसे कह सकता है कि वह एक विधवा स्त्री है।जिसके कारण लोगों का उसकी प्रति दृष्टिकोण अलग हो जाता है ।जिससे उसे सहानुभूति और संवेदनशीलता मिलती है। जो एक प्रकार से उसके लिए ज़रूरी भी है.
- एक कारण यह भी है कि सफेद वस्त्र धारण करने से वह स्त्री सांसारिक मोह से छूट जाती है। उसे यह समझ आ जाता है, कि अब उसकी जिंदगी रंगहीन हो गई है और इस संसार का कोई रंग उसके काम का नहीं हैं.
- ज्यादातर सफेद वस्त्रों को सन्यासी लोग धारण करते हैं ।एक प्रकार से यह भी कह सकते हैं कि जब किसी स्त्री के पति की मृत्यु हो गई है तो अब उसे सांसारिक जीवन त्याग कर भगवान की भक्ति में लीन हो जाना चाहिए जिससे उसके आगे वाले जीवन व्यतीत करने में उसे कोई कठिनाई न हो।
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