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विदेशी ज़मीन पर देसी बांसुरी

भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण का जन्मोत्सव ‘कृष्णजन्मअष्टमी’ के नाम से सदियों से मनाया जाता आ रहा है। इंटरनेट ने पूरी दुनिया को एक सामूहिक परिवार के रूप में बांध दिया है और इसी कारण हमें इस उत्सव के देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मनाए जाने की झलक मिल रही है।

जी हाँ, आप यह जानकार चकित हो जाएंगे की कृष्णाजामाष्टमी का त्योहार किसी एक देश की भौगोलिक सीमाओं में ही नहीं बल्कि इनके बाहर भी उतनी ही श्रद्धा और धूम-धाम से मनाया जाता है। आइये आपको विभिन्न देशों में किस तरह लोग कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार किस प्रकार मनाते हैं, इसकी एक झलक दिखाते हैं:

यू एस ए में कृष्ण लीला:  

अमरीका में कृष्ण-जन्मोत्सव अन्य त्योहारों की भांति बहुत ही धूम-धाम और श्रद्धा से मनाया जाता है। यूएसए में कृष्ण जन्माष्टमी इस्कॉन मंदिर के मुख्य प्रवर्तक स्रीला प्रभूपद के अथक प्रयासों का परिणाम है। सुबह प्रातः ही देश के विभिन्न कोनों से लोग इस उत्सव की तैयारी आरंभ कर देते हैं। न केवल भारतीय बल्कि अमरीकी, यूरोपीय और एशियन मूल के लोग इस उत्सव में भाग लेते हैं।

सारा अमरीका जिसमें कैलिफोर्निया, ओरिलैंड, न्यूयॉर्क, आदि शहरों में लोग इकट्ठे होकर भगवान कृष्ण के भजन गाकर इस उत्सव में भाग लेते हैं। भारतीय परंपरा का पालन करते हुए अर्धरात्रि स्नान, और कृष्ण पूजा करते हुए पूरी आस्था से कृष्ण-जन्मोत्सव को मनाते हैं। इसी के साथ मंदिरों में कृष्ण-जन्म, कृष्ण-झूला और छप्पन भोग का प्रसाद भी बिना किसी चूक के बनाया और पूजा जाता है।

फ्रांस में कृष्ण बांसुरी: 

सितंबर माह के आरंभ से ही फ्रांस में मानो कृष्ण बांसुरी की तान सुनाई देने लगती है। कृष्ण-मंदिरों को सजाने के लिए पेरिस की गलियाँ दो माह पहले से ही सजने लगतीं हैं। इस दिन तो मानों पूरा फ्रांस, पैरिस ही कृष्णमय हो जाता है। शाम से ही मंदिर कृष्ण-झांकियों से सज जाते हैं।

पैरिस में रहने वाले सभी भारतीय मूल के नागरिक अपने निकट के मंदिरों में जाकर कृष्ण-जन्म समय तक भगवत गीता और भजन से पूरा फ्रांस को इस रंग में रंग देते हैं। अर्ध-रात्रि पश्चात कृष्ण-जन्म का प्रसाद लेकर सभी अपने घरों की ओर प्रस्थान करते हैं। फ्रांस में प्रसिद्ध श्री मणिका विनायक अलायम मंदिर, प्रमुख रूप से गणेश मंदिर है, लेकिन इस दिन यह मंदिर कृष्णमय हो जाता है।

सिंगापुर में कृष्ण-जन्म:  

भारत के अलावा अगर आपको कहीं सबसे अधिक भारतीय मिलेंगे तो वो है सिंगापुर। इसी कारण इसे ‘मिनी इंडिया’ भी कहा जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी का पूरा आयोजन अगर आपको सिंगापुर में देखना है, तो चंदर रोड पर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में आ जाएँ। आपको भारत में उपस्थित न होने का आभास भी न होगा। इसी प्रकार अगर आप घर में ही इस उत्सव का आयोजन करना चाहते हैं, तो ‘सरेगून रोड’ पर बने बाज़ार में आ जायें, कृष्ण लीला का सम्पूर्ण आयोजन आप बेझिझक कर सकते हैं।

न्यूज़ीलैंड की जन्मअष्टमी:  

न्यूजीलैंड की जन्माष्टमी का पर्व यहाँ के मशहूर इस्कॉन मंदिर में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। औकलैंड के श्री श्री राधा-गिरधारी मंदिर में अर्ध-रात्रि तक उत्सव होता है। पर्व की समाप्ति पर कृष्ण-प्रसाद सभी भक्तों में बांटा जाता है।

मलेशिया में कृष्ण-जन्म पर्व:  

मुस्लिम बहुल देश होने के बावजूद मलेशिया में कृष्ण जन्म पर्व पूरे उत्साह और उल्लास से मनाया जाता है। यहाँ की राजधानी कोललांपुर में प्रति वर्ष हजारों भारतीय कृष्ण जन्मोत्सव मनाने के लिए इकट्ठे होते हैं।

इसी प्रकार भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान और नेपाल में भी कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरी धूम-धाम से मनाया जाता है।

Charu Dev

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