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वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार

यह तो आपको मालूम ही होगा कि घर के निर्माण में वास्तु के सिद्धांतों को अपनाना कितना लाभदायक होता है। घर के मुख्य द्वार का निर्माण भी अगर वास्तु के अनुसार हो तो  कई तरह के विकारों और दुखों को दूर करने में यह सहायक होता है।

आज हम इसी तथ्य पर रोशनी डालते हैं और बताते हैं कि मुख्य द्वार के निर्माण में किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है।

वास्तु के अनुसार घर के प्रवेश द्वार  के लिए निम्न चीजों का ध्यान रखना जरूरी है:

1.  घर का मुख्य द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना सुख-समृद्धि और बुद्धिमता का प्रतीक होता है। दक्षिण दिशा में घर का द्वार होना स्थायी वैभव का और पश्चिम दिशा में द्वार होना धन-धान्य में वृद्धि का प्रतीक माना गया है।

मुख्य द्वार की 8 संभाव्य दिशाएँ होती हैं और घर के लोगों की जन्मतिथि तथा लिंग के आधार पर ही घर के द्वार की उचित दिशा तय होती है।

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2. मुख्य द्वार जिस दिशा में है उस दिशा को 9 समान भागों में बांटकर पांच भाग दाहिने और चार भाग बाएं ओर से छोड़कर प्रवेश द्वार का निर्माण करें। इसके अलावा मुख्य द्वार अन्य द्वारों की अपेक्षा बड़ा होना चाहिए।

3. मुख्य द्वार पर गणेश जी या लक्ष्मी जी का चित्र, ओम, स्वस्तिक आदि बनाएं। इसके अतिरिक्त रोजाना सुबह-शाम घर के द्वार को साफ कर फुलों से सुशोभित करें और दिया, अगरबत्तियाँ आदि लगाएँ। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होगी और गृह शांति बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।

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4. प्रवेश द्वार या मुख्य द्वार सर्वथा स्वच्छ होना चाहिए। मुख्य द्वार या प्रवेश द्वार पर कुड़ेदान को रखना वर्जित माना गया है।

5. ध्यान रहे आपके घर का मुख्य द्वार गहरे रंग का ना हो अर्थात मुख्य द्वार हमेशा किसी चमकदार या हल्के रंग का ही होना चाहिए।

6.  मुख्य द्वार ऐसे स्थान पर हो जहाँ आस-पास का वातावरण किसी भी प्रकार की अव्यवस्था से मुक्त हो जिससे मुख्य द्वार आस-पास की सकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर सके और घर में लड़ाई-झगड़े न हों।

7. मुख्य द्वार किसी भी धार्मिक स्थान या परित्यक्त इमारत के सम्मुख नहीं होना चाहिए। यदि घर का द्वार ऐसे स्थान पर होता है तो इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह अधिक बढ़ने लगता है और घर में अशांति फैलने लगती है।

8. मुख्य द्वार खुला हुआ हो अर्थात मुख्य द्वार पर कोई भी दिवार बाधा के रूप में नहीं होनी चाहिए। इससे घर में ऊर्जा के प्रवाह में रूकावट पैदा होती है और आपकी कार्य क्षमता में कमी आती है।

9. घर के प्रवेश द्वार पर चार चौखट की दहलीज़ अवश्य होनी चाहिए। अन्यथा आपके घर में लक्ष्मी जी का वास नहीं होगा और घर के व्यक्ति संस्कारहीन होंगे।

वास्तु शास्त्र के अनुसार  घर के मुख्य द्वार की स्थिति का घर के लोगों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। इसीलिए घर का मुख्य द्वार हमेशा वास्तु के मुताबिक ही निर्मित किया जाना चाहिए।

Shalu Mittal

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