घर और सजावट

वास्तु के अनुसार मंदिर घर के किस कोने में या किस दिशा में स्थापित करें?

घर को बनवाते समय उसमें वास्तु का ध्यान रखना बेहद जरुरी है। वास्तु के अनुसार घर में मंदिर कहाँ स्थित होना चाहिए, आज हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

हमारे घरों में मंदिर का होना अनिवार्य सा है। ऐसे कम ही घर होंगे,जहाँ मंदिर न हो। घर में मंदिर होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। अपने निवास का निर्माण करते वक्त या उसका इनटिरियर डिजाइनिंग करते वक्त, इस बात का विशेष ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि मंदिर कहाँ स्थापित किया जाएगा। वास्तु  के अनुसार मंदिर घर के किस कोने में स्थापित करें, आईये जानें।

मंदिर किस दिशा में होना चाहिए?

ऊपर दिए गए मानचित्र में उतर-पूर्व दिशा में एक सांकेतिक मंदिर अंकित किया गया है.

वास्तु विशेषज्ञ अमित लाम्बा के अनुसार घर में मंदिर हमेशा उत्तर-पूर्व मतलब ईशान कोण की तरफ होना चाहिए। आपका घर चाहे किसी भी दिशा में हो, पर पूजाघर के लिए सबसे बढ़िया स्थान ईशान कोण ही है। इस दिशा में मंदिर होने से ज्ञान बढ़ता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है। प्रसिद्ध वास्तु विशेषज्ञ डॉ आनंद भारद्वाज का भी कहना है कि “एक सकारात्मक पूजा घर सभी परिवारजनों को मन की शांति देता है।”

विश्वकर्मप्रकाश वास्तुशास्त्रम में भी पूजा घर को ईशान कोण में ही स्थापित करने की बात की गयी है:

ईशान्यां देवतागृहं पूर्वस्यां मंदिरम ।

वास्तु अनुसार पूजा करते समय किस दिशा में बैठें?

पूजा करते समय हमेशा आपका मुख पूर्व की तरफ़ होना चाहिए। ऐसा करने से घर में धन आता है और समृद्धि का वास होता है।

मंदिर का रंग

वास्तु के अनुसार मंदिर की हल्के पीले रंग की दीवारें होना शुभ होता है। हिन्दू संस्कृति में वैसे भी पीले रंग को पावन माना जाता है और शुभ व धार्मिक कार्यों में इस रंग का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है।

बैडरूम में मंदिर न बनाएँ

वास्तु के अनुसार जहाँ आप सोते हैं या जो आपका बैडरूम है उसमे कभी भी मंदिर नहीं बनाना चाहिये। अगर आपके विश्राम कक्ष में मंदिर है, तो रात को मंदिर पर अवश्य पर्दा डाल दें।

वास्तु के अनुसार क्या न हो मंदिर के आसपास

  • मंदिर के आस-पास बाथरूम या शौचालय नहीं होना चाहिये। इससे घर में खुशियां और समृद्धि नही आती।
  • मंदिर के आसपास कभी-भी कूड़ेदान न रखें। झाड़ू या पोंछा भी मंदिर के पास न रखें। मंदिर के लिए झाड़ू-पोंछा अलग ही रखें।
  • जिन देवताओं के हाथ में दो से ज्यादा अस्त्र हों, ऐसी तस्वीरे और मूर्तियां भी मंदिर में न रखें। वास्तु के अनुसार इसे भी अशुभ माना जाता है।
  • सीढ़ियों के नीचे कभी भी मंदिर न बनाएं। इसके अलावा घर में बनाये मंदिर के ऊपर गुंबद न बनाये। वास्तु के अनुसार इसे भी नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

अपने घर के पूजा घर / मंदिर में आप भी वास्तु शास्त्र में बताई गई इन बातों का, जहां तक संभव हो, ध्यान रखें। कई बार सभी बातों का पालन करना संभव नहीं होता – इसलिए उन बातों को लेकर परेशान न हों।

आपके लिए और वास्तु टिप्स:

Anu Sharma

View Comments

  • मेरा घर उत्तर पूर्व मुखी है
    तो मंदिर कौनसी दिशा में होना चाहिए

  • सर घर मे मंदिर किस दीशा मे होना चाहिये
    यह बताओ मे बहुत परेशान हू और मे हमेशा
    कोई न कोई परेशानी से झुझता ही रेहता हू ऐसा कियो मे धर्मपुन मे भी हमेशा भाग लेता हू मेरी शक्ति अनुसार करता ही रेहता हू फिर भी मे परेशानी से झुझ रहा हू मन को शाती नही

    • Sir.Mera puja ghar bhandar kon yani west north me hai west ke taraf mukh karke puja karte hai ishan kon me jagah nahi hai lska koi upaya bataye

    • घर का मेन गेट पूर्व दिशा में है मेरे भी घर में बहुत परेशान रहते हैं काम धंधे में रुकावट पैसे में रुकावट मैं मंदिर किस दिशा में स्थापित करूं और मंदिर में क्या क्या होना चाहिए फ्लोरिंग लेवल से कितना ऊपर होना चाहिए पूजा बैठ बैठ कर करनी चाहिए खड़े खड़े

      • सर उत्तर को मंदिर रखना बराबर है क्या ? पूजा करते समय मुह उत्तर को आता है

        • हमारे घर का गेट पूरब दिशा की ओर है मंदिर किधर बना है पूजा करते समय खड़े होकर पूजा करनी चाहिए या बैठ के

    • घर मे मंदिर हमेसा उत्तर पूरब यानी इंसान कोंन में में होना चाहिए। अगर ये संभब ना हो तो पूरब ,या उत्तर दिशा मे बना सकते है।
      अधिक जानकारी के लिए किर्पया मेरेyoutube चैनल पर visit करे , channel name is golu se jano
      #golusejano

  • Sir nmste,mera prashn ye hai ki hum brahmin hain aur 20 saal se bhoot pret ki baadha ke shikar bhi hain,mera chote bhai ka school 1 saal tak ruk gya tha isi bhut pret ki badha ki wajah se,phir uske sapne me maata durga aayi aur mandir bnane ko kaha aur kaha ki unki murti sthapit krwa do to sbhi badhao se mukti mil jayegi,hmne bhi unki murti lakar jaipur se sthapit krwa di 9 feet ki,bhut pret badha se thoda aaram to hua,lekin bhai ka school mandir bnne ke 6mahine baad khula,phir bhi aaj tak sab ghar me pareshan hi hain,mera jeevan puri tarah se ruk gya hai,hum sbhi ka jeevan behad kathin ho gya hai,hum sbhi ko behad kathin niyam kaaydo ke pehre me rehna padta hai,hmare mandir ke uper gumbad bhi hai,jbse mandir bna hai tbse hi meri study band ho gyi,mera jeevan ladkhada sa gya hai,me ek nirarthak jeevan ji rahi hu jo ki saansarik jeevan se bilkul hi alag hai,pura pariwar pareshani me hai,kathor niyamo ki wajah se,aur hum mata ke dar se un niyamo ko nibhane ko majboor hain,ghar ke andar murti sthapit hone se pariwar ka koi sadasya ghar me snan kiye bina pravesh tak ni kar skta,agr kiya to koi sankat jhelna padta hai,please meri samasya ka samadhan bta dijiye,mujhko mandir ki wajah se hmesha safai dafai me hi lage rehna padta hai,mandir bnane se pehle aisa ni hota tha,sab apni apni jindagi ji rahe the,kya mandir bna kar hmse koi bhut badi halti ho gi hai?please samadhan bta dijiye.

    • Sir pichle 4 saalo se mujhe apni jindagi ka koi hosh hi ni raha hai,me ek normal life bhi bhul chuki hu,hmesha safai dafai me lage rehne ke karan log mujhe pagal tak kehne lge,lakh koshish krne pr bhi mera khud pr aur safai dafai pr koi control ni ho pa raha hai,btaiye please ki me kya kru,kya is tarah se ji pana sambhav hai?aaj pareshan hoker me us din ko baar baar kosti hu ki mere ghar me mandir kyu bna,kyuki tbhi ke baad se roj ghut ghur ke ji rahi hu,kyuki jeevan sahi disha me ni ja raha hai,lag raha jaise ki sab bikhar jayega,aap hi btadijiye kya ye sab sahi ho raha hai.mene b.ed.ke sath M.A.English kiya hua hai,study me bhi acchi hu aur mehnti bhi hu,but pichle 4saal me mene jo bhi compititive exam diye,sab me 1 ya 2 nmbr se ruk gyi,jo ki mujhe dhng se study ka samay bhi ni mil paya,ab bta dijiye,mujhe ghr pr kisi ka aana tk pasand ni hai tbse,but pehle jb koi ghr pr aata tha tb me bhut jada khush hoti thi,aakhir ye sab kya chal raha hai,mujhe kuch bhi samajh ni aa raha hai,please bta dijiye.

  • Sir, Maine apne darwaje par ek mandir baNwaye hai jisme hanumanji ka murti sthapit karna chahte hai, lekin MANDIR west aur south kon me ban gaya hai aur mandir ka mukh uttar dikha me hai ....Ham is mandir me hanumanji ko sthapit kare ya nahi..... mandir 4ft/4ft pakka bana hai ...koi upai bataye please... please

  • मेरे घर मे मुझे मंदिर बनवाने है, लेकिन वह जगह जहां मंदिर बनवाने है वह पूर्व मुख्य है ,मतलब जो मंदिर बनेगा वो पूर्व मुख्य होगा और पूजा करने वाले व्यक्ति का मुख पछिम मुखी। इससे कोई दिक्कत तो नही और दूसरी बात । मंदिर के ऊपर तो सीधी नही आएगी लेकिन बगल से सीधी है उससे कोई दिक्कत तो नही।मेरा मतलब है जितनी मंदिर की सीमा है उसमें सीधे मंदिर के ऊपर नही आएगी। और जहां मज्झे मंदिर बनवाने है उसके सामने कमरे का दरवाजा आ रहा है उससे तो कोई दिकत नही । बस इसको क्लियर कर दीजिए । कृपया

    धन्यवाद आपका । कृपया जवाब जरूर दें

  • अगर मंदिर उत्तर पूर्व कोने में रखेंगे तो भगवान् का मुख दक्षिण पश्चिम की तरफ होगा.. तो क्या यह सही है??? मान्यताओं के अनुसार भगवान् का मुख उत्तर-पूर्व की ओर होना चाहिए, और इस हिसाब से तो मंदिर दक्षिण-पश्चिम कोने में होना चाहिए।
    तो अब यह कन्फ्यूजन का हल बताओ। मंदिर उत्तर-पूर्व होना चाहिए या भगवान् का मुख?????

    • और अगर भगवान् का मुख उत्तर-पूर्व की ओर रखेंगे तो पूजा करते समय हमारा मुख दक्षिण-पश्चिम की तरफ होगा। तो वह भी गलत होगा। तो इसका हल क्या हो सकता है?? भगवान् का मुख दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना सही है क्या?? क्योंकि मैं आजतक जितने भी मंदिरों में गया हूँ , भगवान् का मुख उत्तर-पूर्व में ही होता है।
      अब कैसे मंदिर बनाये? भगवान् का मुख किस तरफ रखे और हमारा मुख पूजा करते समय किस तरफ रखे????

  • mere ghar ka mandir uttar-purva ke bich padta he. Puja karte samay mere mukh uttar ki or raheta he kya ye sahi he? Ghar ka pravesh dwar vayavya disha me he ye sahi he?

  • सर मेरे घर का मंदिर पूर्व दिशा की ओर है ! पूजा करते समय हमारा मुंह पश्चिम की ओर होता है !
    सर कुछ उपाय बताये मैं बहुत परेशान हूँ !

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