दसबस डाट कॉम में हमारी वास्तु श्रृंखला के पिछले अध्याय में हमने जिक्र किया था कि वास्तु अनुसार घर में मंदिर कहाँ स्थित होना चाहिए। आज के अध्याय में हम किसी भी निवास के एक और अहम् हिस्सा – रसोई – पर चर्चा करेंगे।
वास्तु भारत का प्राचीन निर्माण ग्रंथ है। इसके अंदर भवन, इमारत इत्यादि बनाने के नियम और दिशाएँ निहित किए गए हैं। वास्तु के अंदर आकाश और पाताल को मिला कर कुल दस दिशाएँ होती हैं। चार प्रमुख दिशाएँ – उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम, चार विदिशाएँ – ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य होती हैं। दिशा के मध्य भाग को विदिशा कहते हैं। इन सभी दिशाओं का वास्तु के अंदर अपना-अपना अलग महत्त्व है।
घर में रसोई आग्नेय(दक्षिण-पूर्व कोण) दिशा में होना चाहिए। आग्नेय कोण का स्वामी अग्नि होता है। स्वामी अग्नि होने के कारण रसोई का इस दिशा में बनाना अत्यंत शुभ माना जाता हैं।
अगर आग्नेय कोण में जगह नहीं हो तो आप वायव्य (उत्तर-पश्चिम) दिशा में भी आप रसोई को बना सकते हैं। मगर वास्तु शास्त्र के अंदर आग्नेय कोण में बनी रसोई को ही श्रेष्ठ माना जाता है।
अब मैं आपको नीचे रसोई में किस जगह क्या-क्या होना चाहिए वो लिखने का प्रयास कर रहा हूँ। क्यूंकी वो सामान अपनी जगह पर नहीं होंगे तो उसे वास्तु दोष मान जाएगा जिसका दुष्प्रभाव गृहिणी पर पड़ता है।
कुछ निम्नलिखित सामान हर रसोई में होते है, जिन्हें सही जगह पर होना जरूरी है:
चूल्हे को आग्नेय कोण में रखना चाहिए। चूल्हे को दीवार से सटा कर नहीं रखना चाहिए। चूल्हे को उत्तर दिशा में कभी भी नहीं रखना चाहिए, क्योंकि उत्तर दिशा का स्वामी कुबेर होता हैं। कुबेर की अग्नि से कभी भी नहीं बनती है, इसलिए चूल्हे को वास्तु शास्त्र के अनुसार आग्नेय कोण में ही रखना चाहिए।
सिंक रसोई घर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, क्योंकि पानी के बिना खाना नहीं बन सकता है और जूठे बर्तन नहीं धो सकते हैं। सिंक को ईशान(उत्तर-पूर्व) कोण में होना चाहिए।
रसोईघर में बिजली से चलने वाले उपकरण फ्रीज़, माइक्रोवेव ओवेन, टोस्टर आदि पश्चिम दिशा में होने चाहिए।
रसोईघर में प्रयोग होने वाले खाद्द्य पदार्थ जैसे आटा, चावल, दाल आदि पश्चिम दिशा या दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। जिससे वस्तुओं में कभी भी कमी नहीं आती है, बरकत ही बरकत होती हैं।
रसोईघर में उत्तर या पूर्व दिशा में खिड़की होनी चाहिए। जिससे रसोईघर में बनने वाले व्यंजन की गंध ज्यादा न फैले।
एग्ज़ॉस्ट फैन को रसोईघर की पूर्वी दीवार पर लगाना श्रेष्ठ रहता हैं। यानि आप जिस तरफ खिड़की बना रहे है ठीक उसके ऊपर एग्ज़ॉस्ट फैन लगा ले तो सोने पर सुहागा।
रसोईघर में पत्थर का स्लैब पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए जिससे गृहिणी का मुख उत्तर या दक्षिण दिशा में रहता हैं।
वास्तु अनुसार रसोई का दरवाजा ईशान कोण में होना श्रेष्ठकर माना गया हैं।
उम्मीद करता हूँ की आप सब को ये वास्तु टिप्स पसंद आये होंगे । आप सभी के सुझाव और टिप्पणियों की प्रतीक्षा रहेगी। इसी के साथ मैं अपनी कलम को विश्राम देता हूँ।
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Guruji vastu ka lekh padhkar hamko bahut khusi hui mera name Daulat Singh rajpoot hai
गुरु जी मेरे यहां पर किचन उत्तर पश्चिम दिशा में बन रहा है अब मुझे बताया जाय की में प्लेट फार्म किस दिशा में बनाई जाय और खाना बनाते समय मुंह किधर रहे
गुरु जी मेरे यहां पर किचन उत्तर पश्चिम दिशा में बन रहा है अब मुझे बताया जाय की में प्लेट फार्म किस दिशा में बनाई जाय और खाना बनाते समय मुंह किधर रहे
श्रीमान जी हमारा रसोई मध्य भाग से पूर्व की तरफ है तथा गैस का चूल्हा उत्तर की तरफ ही रखने का स्थान है और कार्य करते समय भी उत्तर की ओर मुख रहता है इसका क्या समाधान कर सकते हैं ?
प्रनाम गुरूजी मेरा प्लॉट.-43'/25'है तथा मख्य द्वार पश्चिम मे है क्रुप्या मार्ग दर्सन करें धन्यवाद
गुरु जी मेरा प्लाट 45 फ़ीट लम्बा west se east,और चौड़ाई पीछे 24 फिट है और आगे आके तिरछा 20 फ़ीट है,आगे से पूरब दिशा में रोड है south और west भी गली है ,किसतरह का मकान बनबाया जाय, उचित नक्शा कैसे मिलेगा
गुरु जी मेरे यहां पर किचन उत्तर पश्चिम दिशा में बन रहा है अब मुझे बताया जाय की में प्लेट फार्म किस दिशा में बनाई जाय और खाना बनाते समय मुंह किधर रहे
गुरूजी मेरे घर केअंदर से मुख्य दरवाजा दक्षिण दिशा मे बाहर की और खुलता है
दूसरी मंजिल पर मुख्य दरवाजे के ऊपर शौचालय बनवा सकते है या नही
Mera rasoighar uttar madaya me he kya ye sahi he
स्लैब तो पूर्व और उत्तर की दिशा में होनी चाहिए ताकि ग्रहणी का मुख पुर्व की और ओर सिंक उत्तर की ओर होनी चाहिए आप कह रहे हैं खाना बनाते हुए मुख उत्तर या दक्षिण की ओर कैसे हो सकता है
आपका, रसोई के चित्र में दिशा गलत दर्शायी गई है , उसे सही करे। पश्चिम की जगह पूर्व चाहिये।
ऊपर दिए नक्शे में दिशाएं गलत है.
उत्तर की जगह दक्षिण व दक्षिण की जगह उत्तर अंकित है.
गुरु जी हमारा ऊतरमुखी घर है मेन गेट उत्तर पूर्व दिशा में है उत्तर से 15-16 फुट छोड़कर रसोई उतर दिशा में है मध्य में ओर बनानी पड सकती है या वास्तु दोष दूर हो सकता है।