Valentines Day

मदहोश धड़कनें: वैलेंटाइन्स डे स्पेशल लव स्टोरी

आज वैलेंटाइन्स डे है, साथ ही मेरी शादी की पहली वर्षगांठ भी। लेकिन आज भी मेरे वैलेंटाइन यानि कि मेरे पति देव ऑफिस के किसी अति आवश्यक काम से शहर के बाहर हैं। आज आने की बोल कर गए थे, लेकिन शाम के सात  बज चुके हैं, और साहब बहादुर का अभी तक कोई पता ठिकाना नहीं है। उनपर इतना गुस्सा आ रहा है कि पूछिए मत।

मैं अकेली घर में बैठी बैठी बेइंतिहा कुढ़ती हुई फोन पर स्क्रॉल कर रही थी, कि तभी फ़ेसबुक पर मेमोरी फ़्लैश हुई  और उन्हें देखते देखते मैं कब पुरानी खुशनुमा यादों में खो गई, मुझे पता ही नहीं चला।

अविजी मेरे साथ ही ऑफिस में मुझसे कुछ पहले से कार्यरत थे। ऑफ़िस के हम सब  युवक, युवतियां उनकी पीठ पीछे उन्हें अंकल जी बुलाते थे। एक मोटे से फ्रेम वाला चश्मा, तनिक ढीली मोहरी की पुराने स्टाइल की  पैंट, बेहद डल कलर की शर्ट में  वह अपनी वास्तविक उम्र से कहीं अधिक दिखते थे। उन्हें हमने कभी किसी शोख रंगों के कपड़ों या जीन्स टीशर्ट में नहीं देखा, यहाँ  तक कि ऑफिस के किसी फ़ंक्शन  में भी नहीं । हमेशा अपनी टेबल पर फ़ाइलों में आंखें गड़ाए दिखते। उनसे हम सबका मात्र हाय, हेलो, गुड मॉर्निंग और गुड इवनिंग का रिश्ता भर था।

दो  साल गुज़र गए उस बात को। उस दिन भी वैलेंटाइन्स डे ही था। लंच के समय हम ऑफ़िस के ही एक अन्य सहकर्मी के मजेदार चुटकुलों से जी बहला रहे थे, कि तभी मेरी  एक घनिष्ठ  सहेली मेरे पास आकर मेरे कानों में उसके साथ चलने के लिए फुसफुसाई। उन सहकर्मी की लच्छेदार बातों को छोड़कर मेरा वहां से उठने का कतई मन नहीं था, लेकिन सहेली के आग्रह पर मैं बड़े ही बेमन से उसके पीछे पीछे चल दी।

वह मुझे ऑफिस के सूने पड़े गेस्ट रूम में खींच कर ले गई, जहां संसार का आठवां आश्चर्य मेरी प्रतीक्षा कर रहा था।

जानना चाहेंगे वह आठवां आश्चर्य आखिर  था क्या ? तो मैं बताती हूं आपको। वहां हमारे यही अंकलजी  बेहद घबराए हुए से, तनावग्रस्त मुद्रा में अपने हाथ में एक सुर्ख गुलाब थामे खड़े थे।  मेरे वहां पहुंचते ही उन्होंने उसे मुझे थमाया और तनिक  हकलाते से  हुए वह मुझसे बोले,  “कनु, हैपी  वैलेंटाइंस डे।  मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं। बोलो, ज़िंदगी के सफ़र में मेरा साथ दोगी?”

अविजी का यह मोस्ट अनपेक्षित  अनरोमांटिक  प्रस्ताव सुन मुझे क्षणभर को तो समझ ही नहीं आया कि मैं उस पर क्या प्रतिक्रिया दूँ? फिर वस्तु स्थिति का अंदाजा लगाकर मैं  खिलखिला कर  हंस पड़ी और बोली, “अविजी, यह क्या मजाक है?  शादी और आपसे, कतई नहीं।” यह कहकर मैं वहां से भाग छूटी  और मेरी सहेली मेरे पीछे-पीछे आते हुए चिल्लाती रह गई,  “कनु, कनु  रुक तो।  अरे सुन तो ले।  वह तुझ से शादी करना चाहता है।”

“तू मेरी सहेली है या उसकी? तूने सोच भी कैसे लिया कि मैं उस महा बोर  से शादी कर लूंगी।  मर जाऊंगी लेकिन उससे शादी हरगिज़ नहीं करूंगी,”  मैं शीना  पर एकांत में चिल्लाई।

“कनु, मेरी बात समझने की कोशिश कर। उसकी वेषभूषा पर मत जा।  वह तो कभी भी बदली  जा सकती है, लेकिन सबसे अहम बात है कि वह दिल का बहुत अच्छा है। क्या तूने कभी भी उसे ऑफ़िस में गुस्सा होते हुए या ऊंची आवाज में बोलते हुए देखा है? शक्ल सूरत का अच्छा है बंदा, अच्छे परिवार से है।  खासा पढ़ा लिखा है, पीएचडी कर रखी है उसने।  इतने ऊंचे पद पर है। मेरे ख्याल से इन सब  की वजह से वह एक अच्छे पति की कसौटी पर सौ % खरा उतरता है। देख तो रही है मुझे, लव मैरिज करने के बावजूद मैं अपने पति के हद से ज्यादा रौबीले और गुस्सैल स्वभाव की वजह से कितना दुख भोग रही हूं। मुझे पूरा यकीन है, अवि  तुझे बहुत खुश रखेगा। फिर सबसे बड़ी बात वह तुझे दिल दे बैठा है। तुझे बेशर्त चाहता है । कल ही उसने मुझसे कहा “मिसेज वर्मा, आप अगर कनु से मेरी सिफारिश कर दें तो मैं आपका यह एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगा।”

“पर शीना, इस बंदे के मुंह में तो ज़ुबान ही नहीं है। मुझे तो ऐसा बंदा चाहिए जो थोड़ा मज़ाकिया स्वाभाव का हो और हाज़िरजवाब हो। उसका सबसे बड़ा नेगेटिव उसका संकोची और मितभाषी स्वाभाव है। ना बाबा, मैं नहीं बंधने  वाली ऐसे बोर इंसान से।”

“हां और इस मज़ाकिया और हाज़िरजवाब स्वाभाव के चक्कर में किसी  गर्म स्वभाव के हिटलर के साथ फंस गई तो जिंदगी भर रोती रहेगी तू। ऑफिस में ही अपने इर्द गिर्द देख ले।  हिना, रिया, अनु, ये सब अपने अपने पति की तानाशाही  की वजह से  कितनी त्रस्त हैं।”

“तब की तब देखेंगे।  फ़िलहाल मुझे इस अंकल जी से शादी नहीं करनी तो नहीं करनी। बात खत्म। अब मुझे और मत पका”, शीना से यह कहकर मैं वापस अपनी सीट पर आकर बैठ गई।

शाम हो आई थी। मैं घर की ओर पैदल चल दी। मैं अपने ही ख्यालों में मगन चलती जा रही थी कि अचानक मेरे पीछे कोई आया और वह मुझे झटके से अपनी गोद में उठाकर भागने लगा। सब कुछ इतनी अप्रत्याशित रूप से बिजली की तेजी से घटा कि मुझे समझ नहीं आया था कि आखिर हुआ क्या?  शॉक  से मेरी आंखें बंद हो गई थीं। 

कुछ लम्हों  बाद जब मेरी आंखें खुली तो मैंने देखा कि मैं अविजी की गोद में हूं। मैं अतीव  गुस्से से चिल्लाई, “यह क्या बदतमीजी है? अविजी उतारिए मुझे”, लेकिन उन्होंने मुझे कोई जवाब नहीं दिया। तभी मेरी नज़र अपने पीछे दौड़ते हुए एक विकराल सांड पर पड़ी। मैंने डर के मारे अपनी आंखें बंद कर लीं। अविजी करीब 5 मिनट तक मुझे गोद में लिए दौड़ते रहे और तभी एक घर के खुले गेट से उसके अहाते में घुस उन्होंने लोहे का मजबूत गेट बिजली की तेजी से बंद कर दिया। सांड फ़ाटक के उस पार हमें आग्नेय नेत्रों से घूर रहा था। 

इधर अविजी अपनी धौंकनी सी  चढ़ती उतरती सांसो को संयत करने का प्रयास करते हुए  बुदबुदाए, “तौबा अब कभी यह लाल पोशाक मत पहनिएगा। आपकी इसी ड्रेस को देखकर ही यह सांड आपके पीछे पड़ गया।”  तभी मेरी नजरें फ़ाटक के पार  हमें गुस्से से घूरते सांड पर पड़ी और मैं बेसाख्ता  हंस पड़ी। इस पर वह बेहद निरीह  स्वरों में बोले, “आपको हंसी सूझ रही है इधर आपकी जान पर बन आई थी।”

अविजी की  भोली मुख-मुद्रा और बेचारगी  का अंदाज मेरे मन को छू गया और उसी  एक लम्हे में मैंने निर्णय ले लिया कि मेरी  वजह से अपनी जान को खतरे में डालने वाला यही वह शख्स है जिसके साथ में ताउम्र महफ़ूज रह पाऊंगी।” 

तभी आंखों में आंसू लिए  अविजी बोल उठे, “कनु, आई लव यू टू मच। हां कह दो कनु।  मेरे प्यार का मजाक मत उड़ाओ प्लीज़। तुम मेरी ज़िंदगी में नहीं आई तो मैं खत्म हो जाऊंगा,”  और जवाब में मैंने उनके होठों पर अपना हाथ रख दिया और उन्होंने उसे हौले से चूम लिया।

एक वैलेंटाइन डे से शुरू हुई मेरी लव स्टोरी की परिणति अगले वैलेंटाइन डे पर हुई, जिस दिन मैं अविजी के साथ जन्म जन्मांतर के बंधन में बंधी। 

शादी के एक साल बाद आज मैं यकीन के साथ कह सकती हूं कि मेरा फैसला गलत नहीं था। वक़्त के साथ मुझे अविजी की सहृदय, मृदु और  केयरिंग स्वाभाव का यथेष्ठ परिचय मिल चुका है। 

मेरी यादों का सिलसिला अनवरत जारी था, कि तभी घंटी बजी। मैंने दरवाजा खोला और मेरे सामने अनेक टेडी बेयर्स, चॉकलेट्स और सॉरी के टैग्स से सजा एक बेहद खूबसूरत विशालकाय बुके लेकर अविजी खड़े थे।

बुके को परे रखकर मैंने उनके सीने में मुंह गड़ा दिया  और मैं बुदबुदाई,  “हैपी एनीवर्सरी  एंड हैपी  वैलेंटाइन्स डे टू यू, माई लव।”

“हैप्पी एनीवर्सरी एंड वैलेंटाइंस डे स्वीटहार्ट,” अविजी बोले।  

 हमारी वह खूबसूरत यादगार रात हम दोनों की मदहोश धड़कनों की जुगलबंदी की साक्षी रही।

Renu Gupta

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