प्राचीन समय से ही तुलसी के पौधों का धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व के साथ ही औषधीय गुण जन-जन के बीच विख्यात है। ऐसा माना जाता है कि घर में तुलसी का पौधा लगाने से घर में सकारात्मकता, धन-दौलत, ज्ञान, ऐश्वर्य, शांति, आरोग्य एवं शुद्धता का वास बना रहता है। यही वजह है कि तुलसी को अत्यधिक गुणकारी एवं अद्वितीय भी माना जाता है।
तुलसी को उसके गुणों एवं रंगों के आधार पर कई प्रजातियों में बाँटा गया है। इनमें से राम तुलसी और कृष्ण तुलसी दो लोकप्रिय प्रकार हैं। यहाँ हम राम और कृष्ण तुलसी के संबंध में जानेंगे। राम तुलसी एवं कृष्णा तुलसी दोनों का अपना-अपना औषधीय महत्व है। दोनों ही प्रकार के तुलसी के पौधे अनेक रोगों को जड़ से समाप्त करने की क्षमता से परिपूर्ण एवं आयुर्वेदिक औषधि की भांति सहायक एवं गुणकारी हैं।
राम तुलसी
हल्के हरे रंग के पत्तों एवं भूरी छोटी मंजरियों वाली तुलसी को राम तुलसी कहा जाता है। इस तुलसी की टहनियाँ सफेद रंग की होती हैं। इसकी शाखाएँ भी श्वेताभ वर्ण लिए हुए रहती हैं। इसकी गंध एवं तीक्ष्णता कम होती है। राम तुलसी का प्रयोग कई स्वास्थ्य एवं त्वचा संबंधी रोगों के निवारण के लिए औषधी के रूप में किया जाता है।
कृष्ण तुलसी
इसे श्याम तुलसी या काली तुलसी के नाम से भी जाना जाता है। हल्के जामुनी या कृष्ण (काले) रंग की छोटी पत्तियों एवं मंजरियों का यह पौधा जामुनी रंग का होता है। श्याम तुलसी की शाखाएँ लगभग 1 से 3 फुट ऊँची एवं बैगनी आभा वाली होती हैं। इसके पत्ते 1 से 2 इंच लम्बे एवं अण्डाकार या आयताकार आकृति के होते हैं। कृष्ण तुलसी का प्रयोग विभिन्न तरह के रोगों एवं कफ की समस्या के निवारण के लिए किया जाता है।
तुलसी की विभिन्न प्रजातियाँ
- ऑसीमम सैक्टम (Ocimum Sectum)
- ऑसीमम किलिमण्डचेरिकम (Ocimum Kilimandscharicum)
- ऑसीमम अमेरिकन गम्भीरा या मामरी (Ocimum American Gambhira)
- ऑसीमम वेसिलिकम मुन्जरिकी या मुरसा (Ocimum Vacilicum Munjrika)
- ऑसीमम वेसिलिकम मिनिमम (Ocimum Vacilicum Minimum)
- आसीमम ग्रेटिसिकम (Ocimum Gratisikum)
- ऑसीमम विरिडी (Ocimum Viridi)
ऊपर वर्णित तुलसी के पौधे की विभिन्न प्रजातियों में ऑसीमम सैक्टम को प्रधान तुलसी अर्थात गुणकारी एवं पवित्र तुलसी माना गया है। ऑसीमम सैक्टम तुलसी की भी अन्य दो प्रधान प्रजातियां या किस्में हैं: राम तुलसी एवं कृष्ण तुलसी। ऊपर दिये तुलसी के चित्रों को देख आपने यह अंदाज़ा तो लगाया ही लिया होगा कि आपके आँगन में राम तुलसी लगी हुई या फिर कृष्ण तुलसी।
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